BSc Zoology Mosaic Vision Question Answer Notes

BSc Zoology Mosaic Vision Question Answer Notes

 

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प्रश्न 5 पैलीमोन के संयुक्त नेत्र की रचना का वर्णन कीजिए। 

Describe the structure of compound eye of Palaemon. 

उत्तर

मोजेक दृष्टि 

(Mosaic Vision) 

संयुक्त नेत्र की रचना अनेक नेत्रांशक या ओमैटीडिया (ommatidia) से होती है। प्रत्येक नेत्रांशक सम्पूर्ण क्षेत्र के एक भाग का प्रतिबिम्ब बनाता है और फिर इन आंशिक प्रतिबिम्बों के परस्पर जुड़ने से एक सामान्य चित्र बन जाता है। अतः इस प्रकार की दृष्टि को मोजेक दृष्टि (mosaic vision) कहा जाता है क्योंकि अलग-अलग टुकड़ों से बने होने के कारण यह मोजेक शिल्पकला की भाँति होता है। इस प्रकार बना संयुक्त बिम्ब प्रकाश की विभिन्न तीव्रताओं के अनुसार बदलता रहता है।

पैलीमोन के संयुक्त नेत्र 

रंजक पर्ते (Compound Eyes of Palaemon) Notes

पैलीमोन में एक जोड़ी काली, अर्द्धगोलाकार, वृन्तयुक्त आँखें होती हैं जो सिफैलोथोरेक्स के पूर्वखण्डीय (presegmental) भाग पर स्थित रहती हैं। प्रत्येक आँख रोस्ट्रम के नेत्रीय गड्ढे (orbital notch) में स्थित होती है। इसका वृन्त दो खण्डी होता है तथा इधर-उधर घुमाया जा सकता है।

Mosaic Vision Question Answer
Mosaic Vision Question Answer

संरचना (Structure) 

संयुक्त आँख बहुत-से दृष्टि एककों (visual elements) या नेत्राणुओं (ommatidia) की बनी होती है। प्रत्येक नेत्राणु रचना में समान होता है और नेत्र के लम्बे अक्ष के समान्तर रहता है।

आँख के ऊपर क्यूटिकल की पारदर्शी पर्त कॉर्निया होती है। यह ग्राफ के समान बहुत-से कोष्ठकों फेसेट्स (fecets) में बँटी रहती है। प्रत्येक फेसेट के नीचे एक नेत्राणु स्थित होता है। प्रत्येक नेत्राणु की रचना अनेक कोशों से होती है जो कि एक कतार में ऊपर से नीचे की ओर स्थित होते हैं। इसको निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है

  1. 1. डायोप्ट्रिकल भाग (Dioptrical region)-प्रत्येक कॉर्नियल फेसेट मध्य में मोटा होकर उत्तल लेन्स (biconvex lens) बनाता है। इसके नीचे दो कॉर्निएजन कोशिकाएँ (corneagen cells) होती हैं। ये परिवर्तित एपिडर्मल कोशिकाएँ हैं। निर्मोचन के पश्चात् ये| नया कॉर्निया बनाती हैं। इसके पीछे चार शंक कोशिकाएँ (cone cells) होती हैं जो पारदर्शीक्रिस्टलीय शंकु (crystalline cone) के चारों ओर स्थित होती हैं। शंकु, कोशिकाओं के पश्च नुकीले सिरे रिसेप्टर भाग पर आधारित रहते हैं। डायोप्ट्रिकल भाग का कार्य वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणों कोफोकस करना है।
  2. ग्राही भाग (Receptor region)-ग्राही भाग के मध्य भाग में एक लम्बी, तर्कुवाकार रहैब्डोम (rhabdome) होती है। रहैब्डोम को घेरे हुए सात रेटिनल कोशिकाएँ माती हैं। रेटिनल कोशिकाएँ रहैब्डोम की रक्षा करती हैं तथा उसको भोजन पहुँचाती हैं। रहैब्डोम पिनल कोशिकाओं के स्राव से बनता है। रेटिनल कोशिकाओं तथा रहैब्डोम के दूरस्थ सिरे आधार कला (basement membrane) पर आधारित रहते हैं तथा तन्त्रिका तन्तुओं से जुड़े रहते हैं। रिसेप्टर भाग में वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है।

गतिशील रंजक पर्तों (pigmented layers) द्वारा नेत्राणु एक-दूसरे से पृथक् रहते हैं। रंजक पर्ते रंजक अमीबॉयड कोशिकाओं की बनी होती हैं। नेत्राणुओं की रंजक पर्ते दो रंजक समहों (pigmented groups) की बनी होती हैं। डायोप्ट्रिकल भाग में पाया जाने वाला रंजक समूह आइरिस रंजक समूह (iris pigment group) तथा रेटिनल भाग में पाया जाने वाला रंजक समूह रेटिनल रंजक समूह (retinal pigment group) कहलाता है।

प्रतिबिम्ब का बनना 

(Image Formation) Notes

  1. तीव्र प्रकाश में प्रतिबिम्ब (Image in bright light)-तीव्र प्रकाश में रंजक कोशिकाएँ फैलकर दो नेत्राणुओं के बीच रंगीन प्रकाश-शोषक पर्दा बना लेती हैं, जिससे समीपस्थ नेत्राणु एक-दूसरे से पूर्णतया अलग हो जाते हैं। नेत्राणुओं के कॉर्निया पर विभिन्न कोणों से टकराने वाली प्रकाश किरणें प्रतिबिम्ब बनाने में असमर्थ होती हैं क्योंकि ये परावर्तन के पश्चात् रंगीन पर्दे द्वारा शोषित कर ली जाती हैं। केवल वे प्रकाश की किरणें ही प्रतिबिम्ब बना सकती हैं, जो कॉर्निया पर नेत्राणु के अक्ष के समान्तर आकर टकराती हैं। इससे ज्ञात होता है कि प्रत्येक नेत्राणु प्रकाश की केवल कुछ किरणों को ही परावर्तित करके रेटिनल भाग तक पहुंचा पाता है। इस प्रकार संयुक्त नेत्र से बने प्रतिबिम्ब में वस्तु के प्रत्येक बिन्दु का अलग-अलग प्रतिबिम्ब अलग-अलग नेत्राणुओं से बना होता है, जो एक-दूसरे के बिल्कुलसमीप स्थित होते हैं। इस प्रकार बने प्रतिबिम्ब में उतने प्रतिबिम्बों का समेकन होता है जितनी कि संयुक्त नेत्र में नेत्राणु की संख्या होती है। यह प्रतिबिम्ब एपोजिशन प्रतिबिम्ब (apposition image)कहलाता है। इसकी तीव्रता प्रकाश की तीव्रता तथा नेत्राणुओं के बीच रंजक पर्तों की क्षमता पर निर्भर करती है।
  2. मन्द प्रकाश में प्रतिबिम्ब (Image in dim light)-मन्द प्रकाश में रंजक (pigment cells) नेत्राणुओं के दोनों सिरों पर संघनित होकर छोटे-छोटे समूहबना लेती हैं, जिसमें समस्त नेत्राणु एक-दूसरे के सम्पर्क में आ जाते हैं और वे एक साथ मिलकर प्रतिबिम्ब बनाते हैं। कॉर्निया की सतह पर टकराने वाली समस्त प्रकाश की किरणें इस दशा में प्रतिबिम्ब बनाने में समर्थ होती हैं। एक कॉर्निया की सतह से विभिन्न कोणों पर टकराने वाली प्रकाश की किरणें परावर्तित होकर दूसरे नेत्राणुओं द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं जिससे एक ही बिन्दु का प्रतिबिम्ब कई नेत्राणुओं द्वारा बन जाता है तथा एक ही नेत्राणु कई-कई बिन्दुओं का प्रतिबिम्ब बना सकता है फलस्वरूप बिन्दुओं के प्रतिबिम्बों का अंशछादन (overlapping) होता है। इस प्रकार का प्रतिबिम्ब सुपर पोजिशन प्रतिबिम्ब (super position image) कहलाता है। यह प्रतिबिम्ब स्पष्ट नहीं होता तथा जन्तु केवल घूमते हुए पदार्थ का अनुमान ही प्राप्त कर सकता है।

संयुक्त नेत्र से समीप की वस्तुएँ देखी जा सकती हैं। ये जन्तु निकट (सूक्ष्म ) दृष्टि (short-sighted) होते हैं।

 


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