Zoology Mollusca Pila Apple Snail Question Answer

Zoology Mollusca Pila Apple Snail Question Answer

 

Zoology Mollusca Pila Apple Snail Question Answer :- In this post all the questions of the second part of zoology are fully answered. This post will provide immense help to all the students of BSc zoology. All Topic of zoology is discussed in detail in this post.


 

Unit – III

प्रश्न 13 – पाइला के मुख गुहिका या प्रावार अंगसमूह (कॉम्प्लेक्स) का उल्लेख कीजिए।

Describe Pallial Complex of Pila.

उत्तर – 

पाइला का प्रावार अंगसमूह (कॉम्प्लेक्स)

(Pallial Complex of Pila)

प्रावार पाइला के पृष्ठ-पार्श्व भाग में एक बड़ी गुहिका को बन्द रखती है जिसे प्रावार गुहिका कहते हैं। पाइला सुरक्षा एवं विश्राम के समय सम्पूर्ण शरीर को इस गुहिका में समेट लेता है।

Mollusca Pila Apple Snail
Mollusca Pila Apple Snail

इस गुहिका के फर्श पर दायीं कंधरा पालि (nuchal lobe) के अगले किनारे के निकट से निकला हुआ एक स्पष्ट कटक ridge एपिटीनिआ (epitaenia) होता है जो गुहिका के पिछले सिरे तक फैला होता है। यह रिज प्रावार गुहिका को दो प्रकोष्ठों में विभाजित कर देता है। इनमें से दाएँ प्रकोष्ठ को बैंकिअल कक्ष तथा बाएँ प्रकोष्ठ को पल्मोनरी कक्ष कहते हैं। ये दोनों कक्ष जन्तु के श्वसन में प्रमुख रूप से भाग लेते हैं।

प्रावार गुहिका में बहुत-सी मुख्य संरचनाएँ पायी जाती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से प्रावार अंगसमूह (पैलियल कॉम्प्लेक्स) के अंग कहते हैं।

  1. क्लोम कक्ष के अंग (Organs of branchial chamber)-प्रावार गुहीका में दायीं ओर पृष्ठ-पार्श्व भित्ति से नीचे को लटका हुआ टीनिडियम (कंकत गिल) होता है।

बँकिअल कक्ष के फर्श पर कंकत क्लोम की बायीं ओर रेक्टम होता है। यह प्रावार गुहिका के पिछले सिरे से शुरू होकर दायीं न्यूकल पालि के पीछे तक फैला होता है। यह गुदा द्वारा बाहर खुलता है, जिसके चारों ओर सूक्ष्म अंकुरों का एक रोजेट होता है।

नर तथा मादा जननिक वाहिनी मलाशय के निकट पायी जाती है। नर मैथुन अंग शिश्न जननिक छिद्र के सामने प्रावार के तट से निकलता है।

हाइपोबैंकिअल ग्रन्थि शिश्न के आधार पर एक फूली हुई ग्रन्थिल रचना है। इसका स्राव मैथुन कार्य में सहायक होता है।

वृक्कक अंग (renal organ) का अगला कक्ष एपिटीनिआ के पिछले भाग तक क्लोम कक्ष में उभरा रहता है। इसका वृक्कक छिद्र एक अनुप्रस्थ दरार के समान होता है और एक गर्त में स्थित रहता है।

फुफ्फुस कक्ष के अंग (Pulmonary chamber)—प्रावार गुहिका की छत से एक बड़ा थैले के समान अंग नीचे की ओर लटका रहता है। यह फुफ्फुस कक्ष के अधिकांश भाग को घेरे रहता है। इसे फुफ्फुस कोष या फुफ्फुस कहते हैं। यह एक बड़े छिद्र द्वारा प्लमोनरी कोष्ठ में खुलता है। यह aerial श्वसन में सहायक होता है। ।

Zoology Mollusca Pila Apple Snail Question Answer

प्रश्न 14 – जलेक्षिका या ओसफ़ेडियम का वर्णन कीजिए।

Discuss the Osphradium. अथवा पाइला का ओसफ्रेडियम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

Write short note on Osphradium of Pila.

उत्तर

ओसफ़ेडियम

(Osphradium)

पाइला की बायीं न्यूकल (कंधरा) पालि के पास तथा फुफ्फुस कक्ष के बायीं ओर प्रावार (pallial) से निकलती हुई गिल के समान एक ओसफ़ेडियम होती है। यह पर के समान द्विकंकत (bipectinate) रचना होती है और यह लगभग 22 से 28 मांसल त्रिभुजाकार वर्णकों (leaflets) की बनी होती है।

पर्णक एक median केन्द्रीय अक्ष के साथ दो पंक्तियों में व्यवस्थित रहते हैं।

Mollusca Pila Apple Snail
Mollusca Pila Apple Snail

जलेक्षिका का बाहरी स्तर उपकला का होता है। यह अन्दर की ओर एक पतली आधारी कला द्वारा आस्तरित रहता है। अन्दर के भाग में तन्त्रिकाएँ, संयोजी ऊतक एवं रुधिर अवकाश पाए जाते हैं।

कार्य — यह अन्दर जाने वाले जल की भौतिक एवं रासायनिक जाँच करती है। यह भोजन के चयन में भी सहायता करती है।

प्रश्न 15 – पाइला में व्यावर्तन का वर्णन कीजिए।

Describe Torsion in Pila.

उत्तर

व्यावर्तन

(Torsion)

व्यावर्तन गैस्ट्रोपोड जन्तुओं के लारवीय परिवर्धन के अन्तर्गत होने वाली एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अंतरंग प्रावार भाग अपनी प्रारम्भिक स्थिति में वामावर्त (anti-clockwise) दिशा में 180° घूम जाता है जिसके फलस्वरूप प्रौढ़ प्राणी में प्रावार गुहिका अपने प्रावार कॉम्प्लैक्स सहित घूमकर शरीर के अगले भाग में आ जाती है। इस व्यावर्तन का वास्तविक स्थान सिर पाद के पीछे का भाग ग्रीवा (neck) होता है जिससे होकर ग्रसिका, मलाशय, महाधमनी, अंतरंग तन्त्रिका पाश (visceral nerve loop) एवं कवच पेशियाँ गुजरती हैं। इस व्यावर्तन के कारण लारवा गहरे पानी में जीवन व्यतीत करने हेतु अनुकूलित हो जाता है।

प्रश्न 16 वृन्त पाद का सचित्र वर्णन कीजिए।

Describe the pedicellariae along with diagram.

उत्तर

पेडिसिलेरिआई (वृन्त पाद)

 (Pedicellariae)

ये अति छोटी, श्वेताभ जबड़े के समान होती हैं। ये शरीर की दोनों सतहों पर शूलों के साथ पायी जाती हैं। ये सवृन्त व अवृन्त कैसी भी हो सकती हैं, परन्तु ऐस्टेरिऐस में केवल सवृन्त होती हैं। प्रत्येक में एक छोटा मांसल एवं चलायमान वृन्त होता है जिसके ऊपर परस्पर जुड़े दो कैलकेरिआई ब्लेड या वाल्व होते हैं जो एक तीसरी कैलकेरिआई आधारी या बेसीलर प्लेट (basilar plate) के साथ जुड़े रहते हैं। इस प्रकार के तीन कैलकेरिआई प्लेट वाले पेडिसिलेरिया लघु चिमटी रूप (forcipulate) होते हैं। दोनों वाल्वों के सम्मुख तल दाँतेदार होते हैं। दोनों वाल्व एक जोड़ी अपवर्तनी (abductor) और दो जोड़ी अभिवर्तनी (adductor) पेशियों द्वारा क्रमशः खुलते और बन्द होते हैं। ऐस्टेरिऐस में पेडिसिलेरिआई दो प्रकार की होती हैं

सीधा प्रकार (Straight type) – वाल्व सीधे होते हैं और परस्पर मिलते समय अपनी सम्पूर्ण लम्बाई में मिल जाते हैं।

Mollusca Pila Apple Snail
Mollusca Pila Apple Snail

क्रॉसित प्रकार (Crossed type) – दोनों वाल्व एक कैंची की भुजाओं की भाँति एक-दूसरे को क्रॉस करते हैं। ये शूलों के आधार पर पाए जाते हैं।

प्रश्न 17 खोल की सूक्ष्मदर्शीय संरचना का वर्णन कीजिए।

Describe the microscopic structure of shell.

उत्तर

खोल की सूक्ष्मदर्शीय संरचना

(Microscopic structure of shell)

रासायनिक रूप से कवच (i) मैट्रिक्स (matrix) की भाँति कार्य करने वाले एक ऐल्बुमिनाभ शृंगी पदार्थ कॉन्चिओलिन (conchiolin) तथा (ii) कैल्साइट (calcite) या ऐरैगोनाइट (aragonite) के कणों के रूप में मिलने वाले कैल्सियम कार्बोनेट (calcium carbonate) का बना होता है। मैट्रिक्स में इन क्रिस्टलों के विन्यास के अनुसार कवच के परिच्छेद में तीन स्तर-(i) परिकवच या पेरिऑस्ट्रेकम (periostracum), (ii) ऑस्ट्रेकम (ostracum) तथा (iii) हाइपोऑस्ट्रेकम (hypoostracum) स्पष्ट दिखाई देते हैं। कवच के नीचे स्थित प्रावार (mantle) से कवच का स्त्राव होता है।

प्रश्न 18 – पाइला के हृदय की संरचना का उल्लेख कीजिए।

Discuss the structure of heart of Pila.

उत्तर

पाइला के हृदय की संरचना

(Structure of Heart of Pila)

पाइला का हृदय एक पतली भित्ति के अण्डाकार कक्ष पेरिकार्डियम में बन्द रहता है। यह प्रावार गुहिका के पीछे ऊपर की ओर देह चक्र की बायीं ओर स्थित रहता है। यह आगे की ओर आमाशय तक फैला होता है। पेरिकार्डियम की गुहिका वृक्क हृदयावरण छिद्र द्वारा पश्च वृक्क कक्ष में खुलती है। पेरिकार्डियम वृक्कों से जुड़ी रहने के कारण वास्तविक देह गुहिका का निरूपण करती है। भ्रूण में जनन कोशिकाएँ इसकी भित्ति से विकसित होती हैं।

हृदय में दो कक्ष अलिन्द (auricle) तथा निलय (ventricle) होते हैं।

अलिन्द (Auricle)-एक पतली भित्ति का त्रिभुजाकार संकुंचनशील कोष होता है। यह पेरिकार्डियम के पृष्ठ भाग में स्थित रहता है। इसके पृष्ठ शिखर में तीन मुख्य शिराओं द्वारा रुधिर आता है। इफेरैण्ट टिनिडियल शिरा क्लोम से इफेरैन्ट रीनल शिरा पश्च वृक्क कक्ष से तथा फुफ्फुस शिरा फुफ्फुस कोष से रुधिर आता है।

यह अधर तल पर अलिन्द-निलय छिद्र द्वारा निलय में खुलती है। इस छिद्र पर दो अर्द्धचन्द्राकार कपाट स्थित रहते हैं जिनसे रुधिर अलिन्द से निलय में ही आ सकता है, इसके विपरीत निलय से अलिन्द में नहीं जा सकता।

Mollusca Pila Apple Snail
Mollusca Pila Apple Snail

निलय (Ventricle)—यह अलिन्द के नीचे स्थित अण्डाकार कोष है जिसकी भित्ति मोटी, स्पंजी तथा पेशीय होती है। इसके अन्दर पेशीय धागों का बना जाल होता है जिससे इसकी गुहिका छोटी हो जाती है। निलय के निचले सिरे से एक बड़ी महाधमनी कांड (aortic – trunk) निकलती है। निलय तथा महाधमनी कांड के छिद्र पर दो अर्द्धचन्द्राकार कपाट होते हैं जो रुधिर को निलय से महाधमनी कांड में जाने देते हैं और वापस निलय में जाने से रोकते हैं।

हाइड्रोलि क्रिया द्वा तथा तन्त्र इसके शरं और मुक्त जाती हैं। द्वारा संकु होकर आ दृढ़ता से। जाता है। ऊर्ध्वाधर


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