What adiabatic demagnetization Mean
What adiabatic demagnetization Mean:-Thermodynamics Relationships: Thermodynamic variables: extensive and intensive, Maxwell’s general relationships, application to Joule-Thomson cooling and adiabatic cooling in a general system, Vander Waal’s gas, Clausius-Clapeyron heat equation. Thermodynamic potentials and equilibrium of thermodynamical systems, relation with thermodynamical variables. Cooling due to adiabatic demagnetization. Production and measurement of very low temperatures.
प्रश्न 18. रुद्धोष्म विचुम्बकन (चुम्बकीय शीतलन) से आप क्या समझते हैं? इसके , द्वारा निम्नतम ताप कैसे प्राप्त किया जाता है? ऐसे निम्न ताप किस प्रकार नापे जाते हैं?
(magnetic cooling)? How is it used to produce lowest temperature? How are such low temperatures measured?
उत्तर : रुद्धोष्म विचुम्बकन (Adiabatic Demagnetization)–सन् 1926 ई० में डिबाई (Debye) तथा गाइक (Giaque) ने अलग-अलग यह सुझाव दिया कि अनुचुम्बकीय पदार्थों के रुद्धोष्म विचुम्बकन द्वारा ‘निम्नतम ताप प्राप्त किया जा सकता है। यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि जब किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ को चुम्बकित किया जाता है तो अणुओं को चुम्बकन-क्षेत्र की दिशा में संरेखित करने में किया गया बाह्य कार्य पदार्थ की
आन्तरिक ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है तथा पदार्थ का ताप बढ़ जाता है। अब यदि पदार्थ को उसके प्रारम्भिक ताप तक ठण्डा होने दिया जाए तथा रुद्धोष्म दशा में उसका विचुम्बकन कर दिया जाए तो उसके अणु पुनः अस्त-व्यस्त हो जाते हैं तथा पदार्थ का ताप गिर जाता है।
कार्य–विधि (Method)—प्रायोगिक उपकरण चित्र-19 में दर्शाया गया है। इसमें दो डेवार फ्लास्क B व C होते हैं। B में द्रव-हीलियम (liquid helium) तथा C में द्रव-हाइड्रोजन (liquid hydrogen) भरी रहती है। इस प्रकार B द्रव-हाइड्रोजन से घिरा रहता है। अनुचुम्बकीय लवण के चूर्ण को एलुमीनियम के बर्तन D में रखकर एक प्रकोष्ठ A में लटका देते हैं। प्रकोष्ठ A एक नली के द्वारा निर्वात पम्प से सम्बन्धित होता है तथा फ्लास्क B में द्रव-हीलियम के भीतर लटका रहता है। पूरे उपकरण को एक शक्तिशाली विद्युत-चुम्बक के ध्रुवों N,S के बीच रखते हैं।
(i) प्रारम्भ में प्रकोष्ठ A में हीलियम गैस भर देते हैं जिससे कि बर्तन D में रखा लवण, फ्लास्क B में भरी द्रव-हीलियम के ऊष्मीय सम्पर्क में आ जाता है (हीलियम गैस अति निम्न ताप पर बहुत अच्छी चालक हो जाती है।) इससे कुछ देर में लवण का ताप बाहरी द्रव-हीलियम के ताप, 1K तक गिर जाता है।
(ii) अब चुम्बकीय-क्षेत्र लगाकर लवणं को चुम्बकित करते हैं। इससे इसका ताप ४ बढ़ता है। उत्पन्न चुम्बकन-ऊष्मा शीघ्र ही हीलियम गैस के द्वारा द्रव-हीलियम में चली जाती है तथा लवण पुनः 1K ताप पर आ जाता है।
(iii) अब प्रकोष्ठ A की हीलियम गैस को निर्वात-पम्प द्वारा बाहर निकाल देते हैं जिससे कि लवण का द्रव-हीलियम से कोई ऊष्मीय सम्पर्क नहीं रहता।
(iv) अन्त में, चुम्बकीय क्षेत्र को हटा देते हैं। इससे अनुचुम्बकीय लवण रुद्धोष्म दशा में विचुम्बकित हो जाता है तथा इसका ताप बहुत निम्न मान तक गिर जाता है।
सन् 1956 ई० में क्लैर्क, स्टीनलैण्ड तथा गोर्टर (Klerk, Steenland and Gorter) ने क्रोमियम एलम तथा ऐलुमीनियम एलम के चूर्ण मिश्रित क्रिस्टलों (powdered mixed crystals) को प्रयुक्त करके 0:0014K ताप प्राप्त किया, जो सबसे निम्न (lowest) प्राप्य ताप है।
10-6K के क्रम के ताप नाभिकीय-चुम्बकत्व (nuclear magnetism) के आधार पर प्राप्त किए जा सकते हैं, परन्तु परम ताप शून्य को प्राप्त करना असम्भव है।
साधारण ताप पर चुम्बकीय शीतलन सम्भव नहीं है। रुद्धोष्म विचुम्बकन द्वारा ताप में पतन परम ताप के व्युत्क्रमानुपाती होता है। जब अनुचुम्बकीय पदार्थ का ताप लगभग 1K होता है तो ताप में यह कमी 1 केल्विन से भिन्न के क्रम की होती है। स्पष्ट है कि साधारण ताप (300 K) पर यह नगण्य होगी। अत: साधारण तापों पर रुद्धोष्म विचुम्बकन की विधि शीतलन के लिए प्रयुक्त नहीं कर सकते।
परम शन्य के समीप तापों का मापन (Measurement of Temperatures Absolute Zero)-रुद्धोष्म चुम्बकन से प्राप्त निम्न ताप क्यूरी नियम (Curie’s law) क आधार पर मापे जाते हैं। इस नियम के अनुसार, अनुचुम्बकीय लवण का चुम्बका (magnetic susceptibility) , परम ताप T के व्युत्क्रमानुपाती होती है
जहाँ C क्यूरी नियतांक है। अत: चुम्बकीय प्रवृत्ति मापकर, ताप की गणना कर सकते हैं।