Ultraviolet Catastrophe Physics Notes

Ultraviolet Catastrophe Physics Notes

Ultraviolet Catastrophe Physics Notes:-Black Body Radiation: Pure temperature dependence, Stefan Boltzmann law, pressure of radiation. Spectral distribution of black body radiation, Wein displacement law, Rayleigh-Jean’s law, Planck’s law, the ultraviolet catastrophy.

 

 

प्रश्न 30. वीन और रैले-जीन्सं नियम को लिखिए और उनके सूत्र दीजिए। इनके प्रतिपादन में ली गयी परिकल्पनाओं को लिखिए। पराबैंगनी केटस्ट्राफ क्या है? प्लांक की क्वाण्टम संकल्पना बताते हुए प्लांक के विकिरण नियम से स्टीफन-बोल्ट्समान नियम को प्राप्त कीजिए। 

 

State and express Wien’s law and Rayleigh-Jeans law and mention the assumptions used under their formulation. What is an ultraviolet catastrophe? Stating Planck’s quantum hypothesis derives the expression of Stefan’s-Boltzmann law from Planck’s radiation law. 

उत्तर : वीन व रैले-जीन्स के नियम तथा सम्बन्धित परिकल्पनाओं के लिए प्रश्न-27 देखें।

 

पराबैंगनी कैटस्ट्रॉफ

(Ultraviolet Catastrophe)

 

पराबैंगनी कैटस्ट्रॉफ चिरसम्मत भौतिकी की एक परिकल्पना है जिसके अनुसार, “तापीय साम्य की स्थिति में आदर्श कृष्णिका सभी आवृत्तियों का विकिरण उत्सर्जित करेंगी तथा विशेषतौर पर उच्च आवृत्तियों में अधिक और अधिक ऊर्जा उत्सर्जित करेगी। इस स्थिति में दिखाया जा सकता है कि कृष्णिका द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा अपरिमित होगी, जोकि ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त के विरुद्ध है।”

 

इस परिकल्पना का उदय वास्तव में रैले-जीन्स के नियम के प्रतिपादन के पश्चात हुआ था। वास्तव में इस परिकल्पना से स्पष्ट होता है कि रैले-जीन्स का नियम 10°Hz आवृत्ति से कम आवृत्तियों के लिए प्रायोगिक परिणामों की सही व्याख्या करता है परन्तु जैसे ही विकिरण की आवृत्ति पराबैंगनी क्षेत्र में पहुँचती है वैसे रैले-जीन्स का नियम प्रायोगिक परिणामों से भिन्न परिणाम प्रदर्शित करने लगता है।

 

प्लांक के सूत्र से स्टीफन का नियम— प्लांक का सूत्र आवृत्ति के पदों में लिखने पर,

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प्रश्न 31. कृष्णिका विकिरण का विभिन्न तापों पर, ऊर्जा वितरण का क्वॉलिटेटिव स्पेक्ट्रम, तरंगदैर्घ्य के साथ खींचिए तथा इन वक्रों के मुख्य अभिलक्षण भी बताइए। विकिरण दाब से आप क्या समझते हैं? सिद्ध कीजिए कि आपतित विकिरण पूरी तरह अवशोषित हो जाए, तो उसके द्वारा उत्पन्न विकिरण दाब, विकिरण के ऊर्जा घनत्व के बराबर होता है। 

Qualitatively, sketch the spectral distribution of black-body radiation with wavelength at different temperatures and state the various conclusions drawn from the curves. What do you mean by pressure of radiation ? Show that when the incident radiation is completely absorbed the pressure of radiation is equal to energy density. 

उत्तर : कृष्णिका विकिरण के ऊर्जा वितरण वक्रों तथा इनके अभिलक्षणों के लिए प्रश्न-29 का उत्तर देखें।

विकिरण दाब

(Radiation Pressure)

 

जब विद्युत-चुम्बकीय विकिरण किसी सतह पर गिरता है तो विकिरण द्वारा सतह पर एक दाब आरोपित किया जाता है। इस दाब को ही विकिरण दाब कहते हैं।

 

माना कि विकिरण जिसका ऊर्जा-घनत्व (प्रति एकांक आयतन में विकिरण की मात्रा) u है, किसी पृष्ठ पर लम्बवत् आपतित है। विकिरण प्रकाश की चाल c से गमन करता है। अतः एकांक पृष्ठ-क्षेत्रफल पर प्रति सेकण्ड पहुँचने वाला विकिरण

 

= C x U

 

जोकि एकांक परिच्छेद-क्षेत्रफल तथा c लम्बाई के सिलिण्डर में भरे विकिरण की मात्रा है।

हम जानते हैं कि ऊर्जा u के साथ संवेग (u/c) सम्बद्ध होता है। अतः पृष्ठ-क्षेत्रफल पर प्रति सेकण्ड पहुँचने वाला संवेग

 

= C x (u / c)= U

 

चूँकि प्रति एकांक पृष्ठ-क्षेत्रफल पर होने वाले संवेग-परिवर्तन की दर को दाब कहते हैं, अत: जिस पृष्ठ पर विकिरण आपतित है, उस पर आरोपित दाब

p = u

 

इस प्रकार यदि यह विकिरण सतह द्वारा पूर्णत: अवशोषित कर लिया जाता है तो सतह पर दाब

p = u= विकिरण का ऊर्जा-घनत्व

 

प्रश्न 32. सौर नियतांक की परिभाषा दीजिए।आवश्यक सिद्धान्तों सहित समझाइए कि सौर नियतांक किस प्रकार ज्ञात किया जाता है? इसके मान से सूर्य का ताप किस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं

Define solar constant. Explain with necessary theory, how the solar constant is determined? How is the temperature of sun estimated from the data of the constant ?

 

उत्तर : सौर नियतांक (Solar Constant)-सौर ऊष्मांक सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली विकिरण-ऊर्जा का परिमाण है। सूर्य के विकिरण का अधिकांश: भाग वायुमण्डल द्वारा अवशोषित होता है तथा वर्ष के विभिन्न दिनों में सूर्य से पृथ्वी की दूरी भिन्न-भिन्न होती है। इस प्रकार सौर नियतांक की परिभाषा निम्नलिखित प्रकार दी जाती है

 

वायुमण्डल की अनुपस्थिति में, सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी पर स्थित एक पृष्ठ पर प्रति सेमीप्रति मिनट लम्बरूप पड़ने वाली सूर्य की किरणों की ऊर्जा को सौर नियतांककहते हैं। 

इसका औसत मान 1.937 कैलोरी-सेमी2-मिनट1 है।

 

सौर नियतांक ज्ञात करना (Determination of Solar Constant)—सौर नियतांक ज्ञात करने के लिए प्रयुक्त यन्त्र को सूर्य-विकिरणमापी(Pyrheliometer) अथवा ‘किरण-क्रियामापी (Actionometer) कहते हैं। ऐंग्स्ट्रॉम (Angstrom) द्वारा निर्मित यन्त्र का सरलतम रूप चित्र-24 में दिखाया गया है। इसमें प्लैटिनम की पतली व एक समान दो पत्तियाँ S1 व S2 होती हैं जिनके एक ओर के तल काले किए हुए होते हैं।

 

 

इनमें से एक पत्ती (S1) को सूर्य की किरणों के लम्बवत् व्यवस्थित कर देते हैं तथा दूसरी (S2) को दोहरी दीवार के परिरक्षक H से ढक देते हैं जिससे कि सूर्य की किरणें उस पर न पहुँच पाएँ। प्रत्येक पत्ती S1 व S2 के निचले पृष्ठ पर कॉपर-कॉन्सटैन्टन के तापवैद्युत-युग्म की सन्धियाँ लगी रहती हैं जिसके परिपथ में धारामापी G जोड़ दिया जाता है। परिरक्षित पत्ती S2 को गर्म करने के लिए इसके दोनों सिरे एक बैटरी B अमीटर A तथा धारा-नियन्त्रक जुड़ रहते हैं। पत्ती के सिरों के बीच लगाए गए विभवान्तर को मापने के लिए एक वोल्टमाटर V लगाया जाता है।

 

 

कार्य-विधि (Working Method)—दोनों पत्तियों S1 व S2 के सौर-विकिरण से परिरक्षित होने पर दोनों के ताप समान रहते हैं तथा धारामापी G में कोई विक्षेप नहीं होता। परन्तु जब S1 पर सौर-विकिरण पड़ने दिया जाता है तो इसका ताप बढ़ता है और धारामापी में विक्षेप होता है। अब, परिरक्षित पत्ती S2 में धारा प्रवाहित करते हैं तथा इसके मान को इस प्रकार नियन्त्रित करते हैं.कि धारामापी का विक्षेप पुनः शून्य हो जाए। इस स्थिति में S1 तथा S2 के ताप समान होंगे। इसका अर्थ है कि उनके द्वारा अवशोषित विकिरण-ऊर्जा की दरें भी समान हैं, अर्थात् S पर आपतित सौर-विकिरण की ऊर्जा की दर, S2 को विद्युत द्वारा प्राप्त ऊर्जा की दर के बराबर है।

 

यदि पत्ती S1 की लम्बाई व चौड़ाई क्रमश: i व b सेमी हैं, इसका अवशोषण गुणांक a है तथा इस पर प्रति वर्ग सेमी प्रति सेकण्ड आपतित सौर-विकिरण ऊर्जा H है, तब पत्ती द्वारा प्रति सेकण्ड अवशोषित विकिरण-ऊर्जा Halb होगी।

 

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