Reproductive System Of Taenia Solium Zoology Notes

Reproductive System Of Taenia Solium Zoology Notes

 

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प्रश्न 4 – टीनिया सोलियम के जनन अंगों का वर्णन कीजिए।

anlium Describe the reproductive organs of Taenia solius 

अथवा टीनिया सोलियम(फीताकृमि) के जनन अंग एवं परिवर्धन का उल्लेख कीजिए।

Describe the reproductive organ and develop Taenia solium.

उत्तर –

टीनिया का जनन तन्त्र 

 (Reproductive System of Taenia solium) 

फीताकृमि (टीनिया सोलियम) उभयलिंगी होता है परिपक्वन होने पर प्रत्येक देहखण्ड में नर एवं मादा जननांग उपस्थित होते हैं। ये जननांग मीसेन्काइम से बनते हैं। नर जननांग मादा जननांगों की अपेक्षा पहले विकसित होते हैं।

  1. नर जनन तन्त्र (Male Reproductive System)-असंख्य छोटे गोलाकार वृषण (testes) ऊपरी सतह के निकट मीसेन्काइम में बिखरे रहते हैं। प्रत्येक वृषण से एक अति महीन नली शुक्र वाहिका (vas efferens) निकलती है। अन्त में समस्त शुक्रवाहिकाएँ देहखण्ड के मध्य भाग में परस्पर समेकित होकर एक सामान्य शुक्रवाहक (vas deferens) बनाती हैं। शुक्र वाहक एक लम्बी संवलित नली (convoluted tube) होती है। इसका बाहरी सिरा एक मोटा, पेशीय, बहिर्सरित मैथुनांग सिरस बनाता है जो एक सिरस आवरण में बन्द रहता है। सिरस नर जननिक रन्ध्र (male genital pore) के द्वारा एक प्यालेनुमा जननिक परिकोष्ठ (genital atrium) में खुलता है जो सम्मिलित जनन छिद्र (common gonopore) के द्वारा बाहर खुलता है।
  2. मादा जनन तन्त्र (Female Reproductive System)-फीताकृमि के प्रत्येक . परिपक्व देहखण्ड के पिछले भाग में निचली सतह के निकट एक द्विपालित अण्डाशय (bilobed ovary) स्थित होता है। अण्डाशय की प्रत्येक पालि अरीय व्यवस्थित जनन रज्जुओं (genital cords) अथवा पुटकों (follicles) की बनी होती है। दोनों पालियाँ एक अण्डाशयी तनुयोजी (ovarian bridge) के द्वारा जुड़ी रहती हैं। इस तनुयोजी के मध्य से एक छोटी अण्डवाहिनी (oviduct) निकलती है जो पीछे की ओर एक पतली नली, जिसे योनि (vagina) कहते हैं, से जुड़ी रहती है, तत्पश्चात् यह फूलकर एक वेश्म-ऊटाइप (ootype) का निर्माण करती है जिसके चारों ओर मेहलिस ग्रन्थियाँ (Mehlis glands) उपस्थित होती हैं। योनि का एक सिरा अण्डवाहिनी से, जबकि दूसरा मादा जनन छिद्र (female genital pore) से जुड़ा रहता है। अण्डवाहिनी से जुड़ने से पूर्व योनि फूलकर शुक्रग्राही (seminal receptacle) का निर्माण करती है जिसमें शुक्राणुओं का संग्रह होता है। निषेचन वाहिनी एक सँकरा भाग है जो शुक्रग्राही तथा अण्डवाहिनी के मध्य स्थित होता है। अण्डाशय के पीछे एक बड़ी-पीतक ग्रन्थि (vitelline gland) उपस्थित होती है जो एक छोटी पीतक वाहिनी द्वारा ऊटाइप से जुड़ी रहती है। ऊटाइप से एक बेलनाकार गर्भाशय (uterus) निकलता है जो देहखण्ड के अगले भाग तक फैला रहता है। इसमें दोनों ओर 7-13 पार्श्व शाखाएँ निकली रहती हैं।

(टीनिया सोलियम के परिवर्धन के लिए उत्तर 3 देखें)


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