Reproduction In Pteridium BSc Botany Notes
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प्रश्न 10 – टेरीडियम में जनन पर लेख लिखिए।
उत्तर –
टेरीडियम में जनन
(Reproduction in Pteridium) Notes
टेरीडियम में तीन विधियों— कायिक, अलैंगिक व लैंगिक विधि द्वारा जनन होता है।
- कायिक जनन (Vegetative Reproduction)-भूमिगत प्रकन्द का जीर्ण भाग धरि-धीरे मृत होकर नष्ट हो जाता है फलस्वरूप दो शाखाएँ पृथक् होकर स्वतन्त्र रूप से दो पाधों का निर्माण करती हैं। कायिक जनन क्रिया अधिक होने से ही पौधे समूह प्रवृत्ति (gregarious) में उगते हैं।
- अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)-टेरीडियम एक बीजाणुद्भिद पादप है। इसकी पत्तियों की निचली या अपाक्ष (abaxial) सतह पर हरे, काले या भूरे रंग के स्थान दिखाई देते हैं जिन्हें बीजाणुधानी पुंज या सोराई (Sori, एकवचन में sorus) कहते हैं 14 सोरस में अनेक उभयोत्तल (biconvex), वृन्तीय (stalked) बीजाणुधानियाँ porangia) होती हैं। बीजाणधानियाँ सोरस में मृदूतकीय उभार वाले बीजाण्डासन(placenta) पर परिवर्द्धित होती हैं। प्रत्येक सोरस एक रक्षात्मक सोरसछद (indusium). द्वारा ढका रहता है।
टेरीडियम में पर्णकों की निचली सतह के किनारों पर सीमान्त सोरस (marginal sorus) होती है जो अविच्छिन्न रेखीय सोरस (continuous linear sorus) के रूप में होती है अर्थात् पर्णकों के पूरे किनारों पर लम्बाई में होती है फलस्वरूप इसे सीनोसोरस (coenosorus) या संयुक्त सोरस (compound sorus) भी कहते हैं। इसमें बीजाणुधानियाँ द्विओष्ठी आभासी सोरसछद (bilipped, false indusium) से ढकी रहती है। सत्य सोरसछद वह है जिसका परिवर्द्धन बीजाण्डासन (placenta) से होता है तथा जो सोरसछद
बीजाण्डासन से परिवर्द्धित न होकर बीजाणुपर्ण के मुड़े हुऐ किनारों से बनता है। वह आभासी सोरसछद होता है। टेरीडियम के द्विओष्ठी सोरसछद में बाह्य सोरसछद बड़ा व आभासी होता है जो पर्णक के मुड़े हुए किनारों से बना होता है। दसरा सोरसछद का भीतरी ओष्ठ बीजाण्डासन से परिवर्द्धित होता है। अत: यह वास्तविक या सत्य सोरसछद होता है।
बीजाणुधानी की संरचना
(Structure of Sporangium) Notes
बीजाणधानी एक सवृन्त संरचना है तथा इसकी मुख्य काय उभयोत्तल (biconvex) होती है। वृन्त लम्बा तथा बहुकोशिकीय होता है। बीजाणुधानी की काय को सम्पुट (capsule) भी कहते हैं तथा इसकी भित्ति कोशिकाएँ एक पर्त से निर्मित होती है। इसकी प्रत्येक कोशिका पतली भित्ति वाली होती है, परन्तु किनारों (margin) पर एक कोशिका लम्बी कतार विशेष प्रकार से स्थूलित भित्ति वाली होती है, इस पंक्ति को वलय (annulus) कहते हैं। वलय की कोशिकाओं की अरीय व भीतरी स्पर्शरेखीय भित्तियाँ (Radial and inner tanential wall) मोटी होती है तथा बाहरी भित्तियाँ पतली होती हैं। यह वलय, वृन्त के एक ओर से आरम्भ होकर पूरे किनारों पर घूमकर दूसरी ओर बीच में ही समाप्त हो जाती है। सम्पुट की भित्ति की शेष कोशिकाएँ पतली व चपटी तथा सम्पुट के अर्द्धव्यास के साथ लम्बी होती हैं, इसे रन्ध्रक या मुख (stomium) कहते हैं। यहीं से सम्पुट फटता है।
प्रत्येक सम्पुट के अन्दर 8 या 16 बीजाणु मातृ कोशिकाएँ (spore mother cells) .. होती हैं। इनमें अर्द्धसूत्री विभाजन होने के फलस्वरूप प्रत्येक के 4 अगुणित बीजाणु बनने से । अन्त में 32 या 64 बीजाणु बन जाते हैं। ये सभी बीजाणु समान आकृति के होते हैं, इसे समबीजाणुक (homosprous) कहते हैं।
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