Renal Organ Or Organ Of Bojanus Zoology Question Answer
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प्रश्न 5 – पाइला के वृक्कांग या बोजैनस के अंग ( उत्सर्जी अंग) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
Write about the Renal Organ or Organ of Bojanus (Excretory Organ) of Pila.
उत्तर –
वृक्कांग या बोजैनस के अंग (उत्सर्जी अंग)
[Renal Organ or Organ of Bojanus (Excretory Organ)]
यह पाइला का उत्सर्जी अंग है। यह बायीं ओर स्थित होता है। इसका दायीं ओर का वृक्कांग या तो विलुप्त हो गया है या जननवाहिनी में रूपान्तरित हो गया है। यह एक ओर तो बाहर खुलता है और दूसरी ओर देह-गुहिका का निरूपण करने वाली हृदयावरणी गुहिका से जुड़ा रहता है। इस प्रकार यह एक प्रगुहा वाहिनी (coelomoduct) प्रकृति का होता है। इसमें दो कक्ष होते हैं, जिनमें एक दायाँ अग्र कक्ष और दूसरा बायाँ पश्च कक्ष कहलाता है।
- अग्र वृक्क कक्ष (Anterior Renal chamber)– यह लगभग अण्डाकार और लाल रंग का अंग होता है और हृदयावरण के आगे स्थित रहता है। यह एपिटीनिआ के निकट एक छिद्र द्वारा प्रावार गुहिका के क्लोम कक्ष में खुलता है। दूसरी ओर, यह एक आन्तरिक छिद्र द्वारा पश्च वृक्क कक्ष से जुड़ा रहता है। अग्र कक्ष में अनेक त्रिभुजाकार पत्तियों के समान प्रवर्ध या पटलिकाएँ होने के कारण इसकी गुहिका अत्यधिक समानीत होती है। ये प्रवर्ध कक्ष की छत और फर्श से एकान्तरित रूप से निकलते हैं। इस कक्ष की ऊपरी सतह पर असंख्य अनुप्रस्थ खाँच अन्दर की पटलिकाओं के साथ-साथ पायी जाती हैं। छत से निकलने वाली पटलिकाएँ एक मध्यवर्ती अनुदैर्घ्य अक्ष या अपवाही वृक्क कोटर (efferent renal sinus) के दाएं-बाएं व्यवस्थित रहती हैं। फर्श पर स्थित पटलिकाएँ भी एक अन्य मध्यवर्ती अक्ष अभिवाही वृक्क कोटर (afferent renal sinus) के दोनों ओर व्यवस्थित होती हैं। अभिवाही वृक्क कोटर परि-आंत्र कोटर (peri-intestinal sinus) के दाँए – बाँए व्यवस्थित रहती हैं फर्श पर स्थित पटलिकाएँ भी एक अन्य मध्यवर्ती अक्ष अभिवाही वृक्क कोटर (afferent renal sinus) के दोनों ओर व्यवस्थित होती हैं। अभिवाही वृक्क कोटर परि-आंत्र कोटर (peri-intestinal sinus) की दायीं शाखा होती है तथा असंख्य शाखाओं में विभक्त दोनों ओर पटलिकाओं में फैल जाती है।
- पश्च वक्क कक्ष (Posterior Renal chamber)—यह एक चौड़ा हुक के समान कक्ष है, जो अग्र वृक्क कक्ष के पीछे दायीं ओर से रेक्टम और बायीं ओर से पेरिकार्डियम एंव पाचक ग्रन्थि के बीच स्थित होता है। इसकी बड़ी आन्तरिक गुहिका के अन्दर जननिक वाहिनी का कुछ भाग और आंत्र की थोड़ी कुण्डलियाँ बन्द रहती हैं। इसका एक सिरा एक छिद्र
द्वारा अग्र वृक्क कक्ष से तथा दूसरा सिरा वृक्क हृदयावरण छिद्र (reno-pericardial aperture) द्वारा हृदयावरण से सम्बन्धित रहता है। वृक्क हृदयावरण छिद्र पश्च वृक्क कक्ष एवं हृदयावरण को अलग करने वाले एक ऊर्ध्वाधर वृक्क हृदयावरण पट (reno-pericardial septum) के आर-पार होता है। अभिवाही तथा अपवाही वृक्क वाहिकाओं की शाखाएँ इस कक्ष की छत में फैली रहती हैं।
कार्यिकी (Physiology)-दोनों ही वृक्क कक्षों में रुधिर प्रचुर मात्रा में आता है जहाँ नाइटोजनी उत्पादों को पृथक् किया जाता है। उत्सर्जी नाइट्रोजनी तरल पदार्थ (अमोनिया, यूरिया एव यूरिक अम्ल) दोनों ही वृक्क कक्षों में एकत्र होता रहता है। पश्च कक्ष में एकत्र हुआ उत्सर्जी द्रव भी अग्र कक्ष में आ जाता है, यहाँ से यह बाह्य वृक्क छिद्र से प्रावार गुहिका में फेंक दिया जाता है
और अन्त में बाहर प्रवाहित होते हुए जल के साथ दायीं कंधरा पालि से शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है। उत्सर्जी तरल में अधिकतर अमोनिया तथा इससे बने पदार्थ यरिया और मरिक अम्ल होते हैं। पाइला स्थलीय प्रावस्था के समय अमोनिया को अनघुले यूरिक अम्ल में बदलकर जल संरक्षण के लिए अनुकूलता प्रगट करता है। जलीय प्रावस्था में पाइला अमोनिया का उत्सर्जन करता है। इस प्रकार यह अमोनोटेलिक तथा यूरिकोलिक दोनों होता है।
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