Potential Energy Notes BSC Physics
Potential Energy Notes BSC Physics:-
प्रश्न 5. (अ) स्थितिज ऊर्जा की अभिधारणा उदाहरणों सहित समझाइए।
Explain the concept of potential energy with examples.
(ब) दर्शाइए कि संरक्षी बल को स्थितिज ऊर्जा की ऋणात्मक प्रवणता के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
Show that the conservative force may be expressed as a negative gradient of potential energy.
उत्तर : (अ) स्थितिज ऊर्जा विभिन्न वस्तुओं में अपने अभिविन्यास अथवा स्थिति अथवा विकृत अवस्था के कारण कार्य करने की कुछ क्षमता अवश्य होती है। किसी वस्तु की
इस क्षमता को उसकी ‘स्थितिज ऊर्जा’ कहा जाता है। जैसे ऊँचाई पर रखी किसी वस्तु में, खिंचे हुए स्प्रिंग आदि में स्थितिज ऊर्जा होती है। इसे ‘U’ से प्रदर्शित करते हैं।
उदाहरण— किसी हथौड़े को ऊँचाई से गिराकर उससे कोई वस्तु तोड़ी जा सकती है। हथौड़े में कार्य करने की यह क्षमता उसकी उच्च स्थिति के कारण है। हथौड़े को गुरुत्वीय बल के विरुद्ध ऊपर उठाने में जो कार्य किया जाता है वही उसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। गुरुत्वीय बल से सम्बन्धित इस स्थितिज ऊर्जा को ‘गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा‘ कहते हैं। इसी स्थितिज ऊर्जा का लाभ उठाकर ऊँचाई पर बनाए गए बाँध के जल को नीचे गिराकर पवनचक्की चलाई जाती है अथवा टरबाइन घुमाकर बिजली बनाई जाती है।
इसी प्रकार जब हम घड़ी में चाबी देते हैं तो घड़ी के भीतर स्प्रिंग दब जाती है। यह दबी हुई स्प्रिंग धीरे-धीरे खुलकर घड़ी को चलाती रहती है। इस प्रकार वह अपनी विकृत अवस्था के कारण कार्य करती है। चाबी द्वारा स्प्रिंग को दबाने में उसकी प्रत्यास्था के कारण जो कार्य किया जाता है वही उसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। इसे ‘प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा‘ कहते हैं। कार्य करते समय स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है (इस प्रकार, किसी वस्तु अथवा ‘निकाय की संचित ऊर्जा के रूप को ही, जो गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित हो सकती है, स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।)
(ब) संरक्षी बल स्थितिज ऊर्जा की ऋणात्मक प्रवणता के रूप में माना कोई कण संरक्षी बल क्षेत्र में स्थित है तथा उस पर बल F लग रहा है। कण पर लगे इस बल को माना F बल द्वारा सन्तुलित किया जा सकता है, तब F = – F। यदि कण को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक संरक्षी बल के विपरीत बहुत धीरे-धीरे से ले जाया जाता है, जिससे कि कण को गतिज ऊर्जा शून्य रहे तब कण पर किया गया सम्पूर्ण कार्य उसकी स्थितिज ऊर्जा में बदल जाएगा। यदि F बल के अन्तर्गत कण को dr दूरी विस्थापित किया जाता है तो किया गया कार्य (कण में एकत्रित स्थितिज ऊर्जा)
(स) बल F का स्थितिज ऊर्जा फलन है
प्रश्न 6. (अ) बल के आवेग से आप क्या समझते हैं? दर्शाइए कि किसी बल के अन्तर्गत किसी पिण्ड के संवेग में परिवर्तन बल के आवेग के बराबर होता है।
What do you understand by the impulse of a force ? Show that the change in the momentum of a body acted on by a force is equal to the impulse.
(ब) दिखाइए कि दो पिण्डों के संघट्ट के दौरान संवेग संरक्षित रहता है।
Show that the momentum remains conserved during a collision of two bodies.
(स) 401 + 50j- 25k मीटर/सेकण्ड वेग से गतिमान एक बम फटकर दो . टुकड़ों में विभक्त हो जाता है जिनके द्रव्यमानों में अनुपात 1 : 4 है। यदि छोटे टुकड़े का वेग 200 i + 70j + 15kमीटर/सेकण्ड हो तो बड़े टुकड़े का वेग ज्ञात कीजिए।
A bomb having velocity 40 î + 50 Î – 25 k m/s explodes into two :: parts of masses in ratio 1 : 4. If velocity of smaller part is 200 i + 70j+ 15 km/s, then what will be the velocity of larger parts?
उत्तर : (अ) बल का आवेग— जब एक बड़ा नियत बल किसी कण पर एक छोटे समयान्तराल At के लिए लगता है तो बल तथा समयान्तराल के गुणनफल F t को बल का आवेग कहते हैं। आवेग एक वेक्टर राशि है तथा इसका मात्रक न्यूटन-सेकण्ड (N-s) है।
इस प्रकार, बड़े टुकड़े का वेग
चूँकि कोई बाह्य बल नहीं लग रहा है, अत: द्रव्यमान केन्द्र विस्फोट के पश्चात् भी उतने ही वेग 40i + 50j- 25 k से चलता है जितने वेग से विस्फोट से पहले। अतः द्रव्यमान केन्द्र निर्देश-तंत्र में छोटे टुकड़े का वेग
प्रश्न 7. दो विमाओं में दो कणों के प्रत्यास्थ संघट्ट की विवेचना कीजिए तथा प्रदर्शित कीजिए कि प्रत्यास्थ संघट्ट में द्रव्यमान–केन्द्र निर्देश फ्रेम में कणों के वेगों के परिमाण अपरिवर्तित रहते हैं।
Discuss the elastic collision of two masses in two dimensions and show that in the centre of mass reference frame the magnitudes of velocities of particles remain unaltered in an elastic collision.
उत्तर : माना m1 व m2 द्रव्यमानों के दो कण प्रत्यास्थतः संघट्ट करते हैं। माना दूसरा कण L -फ्रेम में विरामावस्था में है। माना L-फ्रेम में पहले कण का प्रारम्भिक वेग.x-अक्ष में ॥ है तथा टक्कर के पश्चात् इसका अन्तिम वेग v2 हो जाता है, इसकी दिशा X-दिशा से , . कोण (प्रकीर्णन कोण) बनाती है। माना दूसरे कण का अन्तिम वेग 12 है जो X-अक्ष से , कोण बनाता है।
X-अक्ष तथा Y-अक्ष के अनुदिश संवेग संरक्षण के नियम से,
इन समीकरणों को हल करके, v1, v2,01 व 02 के मान ज्ञात किए जा सकते हैं।
C-निकाय में इनका हल सरल है तथा महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष देता है।
L-निकाय में द्रव्यमान केन्द्र का वेग है,
अतः प्रत्यास्थ टक्कर में द्रव्यमान–केन्द्र फ्रेम में कणों के वेगों के परिमाण अपरिवर्तित रहते हैं।
Physics Mechanics and Wave Motion