Planetary Motion from Newton Law Gravitation

Planetary Motion from Newton Law Gravitation

Planetary Motion from Newton Law Gravitation:-Central forces, two particle central force problem, reduced mass, relative and centre of mass motion. Law of gravitation, Kepler’s laws. motions of planets and satellites, geo-stationary satellites.

 

प्रश्न 23. केपलर के ग्रहीय गति के तीनों नियमों की उत्पत्ति न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम से कीजिए। 

Derive all the three Kepler’s laws of planetary motion from Newton’s Law of gravitation.

उत्तर : केपलर ने खगोलीय प्रेक्षणों के आधार पर ग्रहीय गति के निम्नलिखित तीन नियम प्रतिपादित किए.

(i) दीर्घ-वृत्ताकार कक्षाओं का नियम प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्ष में परिक्रमण करता है तथा सूर्य कक्षा के एक फोकस पर होता है।

(ii) क्षेत्रों का नियमकिसी भी ग्रह को सूर्य से मिलाने वाली रेखा अर्थात् प्रत्येक ग्रह का सूर्य के सापेक्ष त्रिज्य वेक्टर, समान समयान्तरालों में समान क्षेत्रफल तय करता है अर्थात् ग्रह की क्षेत्रीय चाल नियत रहती है।

(iii) हारमोनिक— किसी भी ग्रह का सूर्य के परितः परिक्रमण काल का वर्ग, दीर्घवृत्ताकार कक्षा की अर्द्ध-दीर्घ अक्ष की तृतीय घात के अनुक्रमानुपाती होता है।

 

केपलर के नियमों की न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम से उत्पत्ति 

केपलर का प्रथम नियम— न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम से, ग्रह पर सूर्य के कारण गुरुत्वाकर्षण बल

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अतः ग्रह की सूर्य के चारों ओर कक्षादीर्घवृत्ताकार (elliptical) है। यही केपलर का प्रथम नियम है।

केपलर का द्वितीय नियम-यदि m द्रव्यमान का ग्रह. M द्रव्यमान के सूर्य के गुरुत्वाय क्षेत्र में गतिमान है तो सूर्य के कारण गुरुत्वाकर्षण बल

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यहाँ ग्रह की सर्य से दरी है। गरुत्वाकर्षण बल केन्द्रीय होने के कारण ग्रह का काण संवेग परिमाण व दिशा में संरक्षित होता है। अतः ग्रह की गति निश्चित तल में सीमित होने के कारण इसके त्रिज्य वेक्टर का क्षेत्रीय वेग नियत रहता है, इसे केपलर का दूसरा नियम कहते हैं। यदि किसी क्षण t पर ग्रह की स्थिति A, स्थिति वेक्टर तथा रेखीय वेग । है और t + dt क्षण पर ग्रह की स्थिति P है तो इसका स्थिति वेक्टर r + dr होगा। सूर्य के सापेक्ष ग्रह का कोणीय संवेग,

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यही केपलर का दूसरा नियम है।

केपलर का तृतीय नियम— इसे प्राप्त करने के लिए दीर्घवृत्ताकार कक्षा के अर्द्धनाभिलम्ब ! पर विचार करते हैं। यदि दीर्घवृत्त की अर्द्धदीर्घ तथा अर्द्धलघु अर्को क्रमश: a व b हों तो

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यही केपलर का तृतीय नियम है।

 


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