Conjugation In Paramecium BSc 1st Year Long Question Answer Notes
Conjugation In Paramecium BSc 1st Year Long Question Answer Notes
प्रश्न 5 – पैरामीशियम में संयुग्मन क्रिया को विस्तार से समझाइए।
Describe in detail the conjugation process in Paramecium.
उत्तर : पैरामीशियम में संयुग्मन
(Conjugation in Paramecium)
संयुग्मन को लैंगिक जनन भी कहा जाता है, किन्तु यह समान जाति के दो प्राणियों के लघु केन्द्रकों के पदार्थों का आंशिक विनिमय के लिए उत्तरदायी होता है। यह पैरामीशियम के पुनर्युवन (Rejuvenation), केन्द्रकी पुनर्गठन (Nuclear reorganization): तथा आनुवंशिक विविधता (Hereditary variation) के लिए उत्तरदायी है।
प्रक्रिया (Process)-एक ही जाति के दो भिन्न संगम-प्रकार (mating type) के दो प्राणी या पूर्व संयुग्मक (Preconjugants) अधर तल से परस्पर जुड़ जाते हैं जिससे दोनों की मुख खाँच आपस में एक-दूसरे के सम्पर्क में आ जाती हैं। दोनों भोजन ग्रहण करना बन्द कर देते हैं तथा इनकी मुख संरचनाएँ विलुप्त हो जाती हैं तथा इनके सम्पर्क स्थल पर उपस्थित त्वक् तथा एक्टोप्लाज्म हासित हो जाते हैं तथा दोनों पैरामीशियम के मध्य एक जीवद्रव्य सेतु (protoplasmic bridge) का निर्माण होता है। ये दोनों पैरामीशियम संयुग्मक (conjugants) कहलाते हैं।
इनमें से प्रत्येक का कायिक गुरुकेन्द्रक (macronucleus) छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर कोशिकाद्रव्य में अवशोषित हो जाता है तथा इनके लघुकेन्द्रक (micronucleus) के परिमाण में वृद्धि होती है तथा प्रत्येक में दो विभाजनों के पश्चात् 4 अगुणित संतति लघुकेन्द्रक (haploid daughter micronuclei) बन जाते हैं। तीन संतति लघुकेन्द्रक अदृश्य हो जाते हैं तथा बचा हुआ संतति लघुकेन्द्रक सूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होकर दो असमान युग्मक केन्द्रकों में बँट जाता है। लघुकेन्द्रक प्रवासी युग्मक केन्द्रक (migratory gamete nucleus) जबकि गुरुकेन्द्रक अचल युग्मक केन्द्रक (stationary gamete nucleus) कहलाता है। इसके पश्चात् एक संयुग्मक का प्रवासी केन्द्रक जीवद्रव्यी सेतु से होकर दूसरे संयुग्मक के अन्दर प्रवेश करके अचल केन्द्रक के साथ संयुक्त होकर द्विगुणित जाइगोट
तत्पश्चात दोनों पैरामीशियम एक-दूसरे से पृथक् हो जाते हैं तथा बहिःसंयग्मक (enconjugats) कहलाते हैं। प्रत्येक का युग्मनज केन्द्रक तीन बार विभाजित होकर 8 नए केन्द्रकों का निर्माण करता है। इनमें से चार अपने आकार में वृद्धि करके गुरुकेन्द्रक में बदल जाते हैं। बचे चार में से तीन लघुकेन्द्रक पुनः अदृश्य हो जाते है। शेष बचा 1 लघुकेन्द्रक द्विखण्डन के साथ विभाजित होता है। अब प्रत्येक बहि:संयुग्मक से 2 सन्तति पैरामीशिया बन जाते हैं जिसमें से प्रत्येक में 2 गुरुकेन्द्रक तथा 1 लघुकेन्द्रक उपस्थित होते हैं। इसके पश्चात् प्रत्येक सन्तति पैरामीशियम के विभाजन के साथ-साथ लघुकेन्द्रक का पुन विभाजन होता है। फलस्वरूप प्रत्येक से दो ऐसे पैरामीशियम का निर्माण होता है जिनमें प्रत्येक जनक पैरामीशियमों से चार सन्तति पैरामीशियमों का निर्माण होता है।