Classification Of Riccia BSc Botany Notes
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प्रश्न 5 – रिक्सिया के वर्गीकरण आवास, स्वभाव तथा बाह्य आकारिकी का वर्णन कीजिए।
अथवा ‘रिक्सिया’ के थैलस की बाह्य संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
रिक्सिया का वर्गीकरण (Classification of Riccia) Notes
जगत (Kingdom) – पादप (Plantae)
उपजगत (Subkingdom) – एम्ब्रियोफाइटा (Embryophyta)
विभाग (Divison) : ब्रायोफाइटा (Bryophyta)
वर्ग (Class) – हिपेटिकॉप्सिडा (Hepaticopsida)
गण (Order) – मार्केन्शिएल्स (Marchantiales)
कुल (Family) – रिक्सिएसी (Ricciaceae)
वंश (Genus) – रिक्सिया (Riccia)
आवास (Habitat)
रिक्सिया विश्वव्यापी (cosmopoliton) है। विश्व में इसकी लगभग 140 जातियाँ मिलती हैं। भारत में इसकी केवल 21 जातियाँ ही पायी जाती हैं। पौधे छायाप्रिय अर्थात् सायोफाइट्स (Psiophytes) होते हैं। ये छायादार व नमीयुक्त स्थानों पर तथा नम मिट्टी पर मिलते हैं। रिक्सिया पहाड़ी व मैदानी भागों में उगे रहते है। इसमें रि० डिस्कलर (R. discolour) सामान्य जाति है। रि० फ्लूटेन्स (R. fluitans), रि० नेटेन्स (R. natans) व रि० आबुयेन्सिस (R. abuensis) जलीय (aquatic) होते हैं। इस पौधे का नाम इसके खोजकर्ता इटली के वैज्ञानिक एफ० एफ० रिक्सी (F. F. Ricci) की स्मृति में रखा गया है।
स्वभाव व बाह्य आकारिकी ..
(Habit and External Morphology) Notes
पादप शरीर थैलाभ (thalloid) व युग्मकोद्भिद् होता है। रिक्सिया का शरीर हरा, चपटा, रिबन जैसा, पृष्ठाधारी (dorsiventral) व द्विभाजी शाखित (dichotomai branched) तथा गूदेदार होता है। इनमें अत्यधिक द्विभाजन शाखाओं के होने से इसका शरी रोजेट के आकार (rosette shape) में व्यवस्थित रहता है। पौधे एक स्थान पर समह.या संग्रथित (aggregated) रहते हैं। थैलस की प्रत्येक शाखा के अग्र सिरे पर एक खाँच (notch) होती है जिसमें वृद्धि बिन्दु (growth point) स्थित होता है। थैलस का मध्य भाग मोटा होता है जो मध्य शिरा (mid rib) को दर्शाता है तथा किनारों पर से पतला होता है। थैलस की ऊपरी या अपाक्ष (dorsal) सतह पर एक मध्य खाँच (median groove) होती है। इसकी निचली या अभ्यक्ष (ventral) सतह पर मूलाभास (rhizoids) व शल्क (scales) होते हैं। मूलाभास धागे के समान होते हैं तथा मध्य शिरा क्षेत्र में व्यवस्थित रहते हैं।
मूलाभास अशाखित व एककोशिकीय होते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं—(1) मूलाभास जिनकी भीतरी सतह चिकनी होती है उन्हें चिकने मूलाभास (smooth walled rhizoids) तथा (2) मूलाभास जिनकी भीतरी सतह से खूटियों जैसी (Peg like) अतिवृद्धियाँ निकलती हैं, उन्हें गुलकीय मूलाभास (tuberculated rhizoids) कहते हैं। इसका मुख्य कार्य पादप का स्थिरीकरण तथा जल व खनिज लवणों का अवशोषण करना है। जल में उगने वाली रिक्सिया की जातियों में मूलाभास का अभाव होता है। अभ्यक्ष सतह पर मूलाभास के अतिरिक्त शल्क (scales) होते हैं, जिनका रंग एन्थोसाइनिन वर्णक के कारण बैंगनी होता है। ये रचनाएँ बहुकोशिकीय, त्रिकोणीय व एककोशिका स्तर की मोटी तथा एक से दो पंक्तियों में व्यवस्थित रहती हैं। इनका कार्य वृद्धि बिन्दु (growth point) को सुरक्षा प्रदान करने का है किन्तु जल में उगने वाली रिक्सिया की जातियों में शल्क अनुपस्थित होते हैं।
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