Archigoniophore Of Marchantia BSc Botany Notes

Archigoniophore Of Marchantia BSc Botany Notes

 

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प्रश्न 6 – मार्केन्शिया के आर्किगोनियोफोर व एन्थ्रीडियोफोर की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए। .. 
अथवा बाह्य तथा आन्तरिक संरचना के आधार पर ‘मार्केन्शिया’ के पुंधानीधर तथा स्त्रीधानीधर में विभेदन कीजिए। उचित चित्र भी बनाइए। 
उत्तर –

मार्केन्शिया का आर्किगोनियोफोर 
(Archigoniophore of Marchantia) . Notes

इसे कार्पोसिफेलम (carpocephallum) भी कहते हैं। इसमें वृन्त तथा डिस्क मिलती है। वृन्त सूकाय का विस्तारण है। यह पृष्ठाधारी होता है। लम्बी खाँचों में राइजोइड व . . स्केल मिलते हैं। इसकी डॉर्सल (ऊपरी) सतह पर वायुकोश मिलते हैं। पहले डिस्क पालित डिस्क पालित
(lobed) होती है, परन्तु बाद में इसमें 8 रश्मियाँ (rays) निकलती हैं। आर्किगोनिया अग्राभिसारी क्रम में बनती हैं। डिस्क की ऊपरी सतह पर 8 आर्किगोनिया बनती है (चित्रा’

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मार्केन्शिया का एन्थ्रीडियोफोर
(Antheridiophore of Marchantia) – Notes

एन्थ्रीडियोफोर 1-3 सेमी लम्बा वृन्त होता है जिसके अग्रभाग पर 8 पालित (lobed) उत्तरी प्लेट के समान डिस्क मिलती है। मा० जेमिनेटा में डिस्क में 4 लोब मिलते हैं। मा० पामेटा में 3-9 लोब मिलते हैं। वृद्धि बिन्दु प्रत्येक पाली (लोब) के अग्रभाग में मिलता है। एन्थ्रीडियोफोर तथा डिस्क की आन्तरिक संरचना कायिक सूकाय की आन्तरिक संरचना के समान होती है। इसमें  भी ऊपरी बाह्य त्वचा व वायकोश मिलते हैं। प्रत्येक वायुकोश तथा एन्थ्रीडियल कोश (antheridial chamber) एक-दूसरे से
एकान्तर क्रम में स्थित होते हैं। एन्थ्रीडियल – कोश भी वायु कोश के समान बाहर की ओर एक रन्ध्र (pore) द्वारा खुलता है जिसे ऑस्टिओल (ostiole) कहते हैं। एन्थ्रीडिया अग्राभिसारी (acropetal) क्रम में निकलते हैं। सबसे पुराना एन्थ्रीडिया डिस्क के केन्द्र की ओर तथा नया एन्थ्रीडिया पाली (lobe) के अग्रभाग की ओर स्थित होता है। एन्थ्रीडियोफोर के ग्रूव (groove) में राइजोइड तथा स्केल मिलते हैं

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प्रारम्भ में आर्किगोनियोफोर छोटा होता है। डिस्क पर आर्किगोंनिया सीधी होती हैं। उनकी ग्रीवा ऊपर की ओर होती है। यह स्थिति निषेचन तक होती है। निषेचन के पश्चात् वृन्त में एकदम अधिक वृद्धि होती है तथा डिस्क के बन्ध्य भाग में भी अचानक अति वृद्धि होती है जिससे आर्किगोनिया निचली सतह पर आ जाते हैं। अब ये डिस्क के नीचे की ओर उल्टे लटकते हैं। अब जो आर्किगोनियम पहले किनारे की ओर था वह केन्द्र की तथा परिपक्व आर्किगोनियम किनारे पर मिलते हैं।
इस स्थिति के पश्चात् वृन्त के दोनों ओर की आर्किगोनिया समूह पर एक पेरीकीटियम की पर्त बन जाती है। विभिन्न जातियों में रश्मि की संख्या भिन्न होती है। आर्किगोनियोफोर पर रश्मियों की उपस्थिति से इसे छाते का स्वरूप मिलता है (चित्र)।

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