BSC Physics Define Entropy Notes

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BSC Physics Define Entropy Notes:- The Laws of Thermodynamics: The Zeroth law, various indicator diagrams, work is done by and on the system, first law of thermodynamics. internal energy as a state function and other applications. Reversible and irreversible changes. Carnot cycle and its efficiency, Carnot theorem, and the second law of thermodynamics. Different versions of the second law, practical cycles used in internal combustion engines. Entropy, the principle of increase of entropy. The thermodynamic scale of temperature, its identity with the perfect gas scale. Impossibility of attaining the absolute zero, third law of thermodynamics.

Thermodynamics Relationships: Thermodynamic variables: extensive and intensive, Maxwell’s general relationships, application to Joule-Thomson cooling and adiabatic cooling in a general system,Vander Waal’s gas, Clausius-Clapeyron heat equation. Thermodynamic potentials and equilibrium of thermodynamical systems, relation with thermodynamical variables. Cooling due to adiabatic demagnetization. Production and measurement of very low temperatures.

 

प्रश्न 19. एन्ट्रॉपी की परिभाषा दीजिए। इसका भौतिक महत्त्व क्या है? दिखाइए कि उत्क्रमणीय चक्र में एन्ट्रॉपी स्थिर रहती है। 

Define entropy. What is its physical significance ? Show that entropy remains constant during a reversible cycle. 

अथवा

उत्क्रमणीय अनुत्क्रमणीय प्रक्रमों में एन्ट्रॉपी में परिवर्तन का व्यंजक स्थापित कीजिए। 

Deduce an expression for the change of entropy in reversible and irreversible process.

अथवा

एन्ट्रॉपी को परिभाषित कीजिए तथा दर्शाइए कि अनुत्क्रमणीय प्रक्रम में एन्ट्रॉपी बढ़ती है। 

Define entropy and show that in an irreversible process entropy increases. 

 

उत्तर : एन्ट्रॉपी (Entropy)-ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (dQ = dU+dw) निकाय की आन्तरिक ऊर्जा U की अवधारणा को व्यक्त करता है। इसी प्रकार ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम एक नए ऊष्मागतिक चर की अवधारणा को व्यक्त करता है जिसे एन्ट्रॉपी कहते हैं। क्लॉसियस ने बताया कि किसी निकाय की एन्ट्रॉपी वह भौतिक राशि है जो उत्क्रमणीय रुद्धोष्म प्रक्रम में नियत (स्थिर) रहती है। इसे अक्षर S से निरूपित किया जाता है।

यदि किसी उत्क्रमणीय प्रक्रम में कोई पदार्थ (निकाय) एक स्थिर परम ताप T पर परिवेश से ऊष्मा AQ का अवशोषण करता है (अर्थात् निकाय एवं परिवेश में AQ ऊष्मा का विनिमय होता है), तब निष्पत्ति AQ/T को निकाय की ‘एन्ट्रॉपी में परिवर्तन’ कहा जाता है तथा इसे AS से निरूपित किया जाता है। इस प्रकार उत्क्रमणीय प्रक्रम के लिए एन्ट्रॉपी में परिवर्तन

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उपर्युक्त सूत्र में, यदि पदार्थ Q ऊष्मा का अवशोषण करता है, तब S एन्ट्रॉपी में वृद्धि कहलाती है। परन्तु यदि पदार्थ Qऊष्मा का परित्याग करता है, तब S उस पदार्थ की एन्ट्रॉपी में कमी कहलाती है। उपर्युक्त समीकरण किसी भी प्रकार एन्ट्रॉपी को स्पष्टतः परिभाषित नहीं करती है, अर्थात् एन्ट्रॉपी की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। समीकरण (1) केवल एन्ट्रॉपी में परिवर्तन की गणना करने की अनुमति प्रदान करती है, एन्ट्रॉपी के निरपेक्ष मान को नहीं।

S.L पद्धति में, एन्ट्रॉपी का मात्रक जूल/केल्विन तथा C.G.S. पद्धति में अर्ग/केल्विन होता है।

 

भौतिक महत्त्व (Physical significance)-एन्ट्रॉपी को दाब या ताप की तरह भौतिक रूप से अनुभव नहीं किया जा सकता, इसलिए इसकी यथार्थ प्रकृति (वास्तविक रूप) को समझना कठिन हो जाता है। किसी पदार्थ की एन्ट्रॉपी में परिवर्तन के सूत्र dS = dQIT से,

अवशोषित या निष्कासित ऊष्मा ऊर्जा (d) = एन्ट्रॉपी में परिवर्तन (dS) x परम ताप (T) स्पष्ट है कि ऊष्मा-ऊर्जा की विमाएँ वही होती हैं जो एन्ट्रॉपी तथा परम ताप के गुणनफल की होती हैं। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में किसी पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा उसके द्रव्यमान तथा उसकी किसी शून्य तल से ऊँचाई के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होती है।

 

 

इन दोनों ऊर्जाओं की तुलना करने से स्पष्ट हो जाता है कि यदि ताप को ऊँचाई के संगत मान लिया जाए तो एन्ट्रॉपी, द्रव्यमान के संगत होगी। इस प्रकार किसी निकाय की एन्ट्रॉपी वह राशि है जिसका ऊष्मीय गति (heat motion) से वही सम्बन्ध होता है, जो द्रव्यमान का रैखिक गति (linear motion) से होता है।

 

उत्क्रमणीय चक्र में एन्ट्रॉपी में परिवर्तन (Change in Entropy in Reversible Cycle)-हम एक पूर्ण उत्क्रमणीय प्रक्रिया कानों चक्र ABCD पर विचार करते हैं (चित्र-20)। माना प्रारम्भ में कार्यकारी पदार्थ A अवस्था में है। माना अवस्था A से B तक समतापीय प्रसार में, कार्यकारी पदार्थ स्रोत के स्थिर ताप T1 पर ऊष्मा की मात्रा Q1 अवशोषित करता है। चूंकि ऊष्मा निकाय द्वारा अवशोषित की जाती है, अत: Q1 धनात्मक होता है और इसलिए एन्ट्रॉपी में परिवर्तन भी धनात्मक होता है।

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अतः उत्क्रमणीय चक्र में कार्यकारी पदार्थ की एन्ट्रॉपी में कुल परिवर्तन शून्य होता है। इसी प्रकार स्रोत तथा सिंक के संयुक्त निकाय की एन्ट्रॉपी में परिवर्तन भी शून्य होता है। इस प्रकार, उत्क्रमणीय प्रक्रिया के चक्र में निकाय की एन्ट्रॉपी अपरिवर्तित रहती है, अर्थात् निकाय की एन्ट्रॉपी में परिवर्तन शून्य होता है। 

यदि प्रक्रम में पदार्थ द्वारा ली गई ऊष्मा (Q1) को धनात्मक तथा दी गई ऊष्मा (Q2) को ऋणात्मक मान लिया जाए, तब उपर्युक्त समीकरण से,

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