प्रश्न 9. सरूपण से आप क्या समझते हैं? एथेन, n-ब्यूटेन तथा साइक्लोहेक्सेन के संरूपों को समझाइए।।
उतर : समपक्ष किसी अणु में परमाणुओं की वे त्रिविम व्यवस्थाएँ जो परस्पर अध्यारोपित नहीं होती हैं, परन्तु जो एकल सिग्मा बन्ध के घूर्णन द्वारा एक-दूसरे में परिवर्तित हो सकती हैं, संरूपण कहलाती हैं।
मेंथेन का छोड़कर अन्य सभी ऐल्केनों में कार्बन-कार्बन सिग्मा एकल बन्ध’ पर कार्बन अपन अक्ष पर मुक्त घूर्णन सम्भव होता है। एकल बन्ध के मुक्त घूर्णन के फलस्वरूप एक ही एल्केन अणु की कई त्रिविम व्यवस्थाएँ दर्शायी जा सकती हैं। अत: सिग्मा बन्ध द्वारा आबन्धित कार्बन-कार्बन बन्ध के अक्ष पर मुक्त घूणन द्वारा अनेक सरूपण उपत्न होते हैं।
किसी अणु के संरूपणों का स्थायित्व भिन्न-भिन्न होता है। ऊर्जा की दृष्टि से संरूपण का स्थायित्व और उसका अस्तित्व निश्चित होता है। भिन्न संरूपण वाले समावयवी संरूपी कहते हैं। इनमें एक विशेष प्रकार की त्रिविम समावयवता होती है। इस प्रकार समावयवता में न तो कोई बन्ध टूटता है और न ही कोई नया बन्ध बनता है, केवल अक्ष C—C बन्ध के मुक्त घूर्णन के फलस्वरूप ही संरूपी उत्पन्न होते हैं।
एथेन के संरूपण
एथेन के एक अणु में दो कार्बन परमाणु एकल सिग्मा बन्ध द्वारा आबन्धित हैं तथा प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन-तीन हाइड्रोजन परमाणुओं से जुड़ा है। यदि यह माना जाए कि CH3—CH3 अणु का एक मेथिल समूह स्थिर है और दूसरा C—C अक्ष पर मुक्त घूर्णन करता है तो एक कार्बन परमाणु से जुड़े हाइड्रोजन परमाणुओं के सापेक्ष दूसरे कार्बन परमाणु के घूर्णन करने से अनेक संरूपण उत्पन्न होते हैं। इनमें से कुछ ही संरूपण सम्भव हैं; जैसे
(a) ग्रसित संरूपण
(b) सांतरित संरूपण एथेन के अनेक संरूपणों में उपर्युक्त दो चरम संरूपण हैं जिनको क्रमशः (a) ग्रसित (eclipsed) संरूपण, (b) सांतरित (staggered) संरूपण कहते हैं।
(a) ग्रसित संरूपण— इसमें एक कार्बन परमाणु के हाइड्रोजन परमाणु दूसरे कार्बन परमाणु के हाइड्रोजन के सर्वाधिक सम्भव निकट होते हैं। इन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे ये एक-दूसरे को ग्रसित कर रहे हैं।
(b) सांतरित संरूपण— इसमें दोनों कार्बन परमाणुओं से जुड़े हाइड्रोजन परमाणु एक-दूसरे से सर्वाधिक सम्भव दूरी पर होते हैं।
विषमतलीय संरूपण में संरूपण उपर्युक्त संरूपणों के मध्य होता है। एथेन के संरूपणों के विभिन्न रूप ..
(i) सा-हार्स के प्रक्षेपण सूत्र
(ii) न्यूमैन के प्रक्षेपण सूत्र
उपर्युक्त तीनों संरूपणों के न्यूमैन प्रक्षेपण सूत्र निम्नांकित हैं—
संरूपणों में न्यूनतम ऊर्जा वाला संरूपी सर्वाधिक स्थायी संरूपण होता है। न्यूनतम ऊर्जा उस संरूपण में होती है जिसमें हाइड्रोजन परमाणु एक-दूसरे से अधिकतम दूरी पर होते हैं; परिणामस्वरूप एथेन का सांतरित संरूपण सर्वाधिक स्थायी संरूपण है तथा ग्रसित संरूपण – सबसे कम स्थायी संरूपण है।।
सांतरित संरूपण के स्थायित्व का कारण
एथेन के अणु में एकल बन्ध द्वारा जुड़े दोनों कार्बन परमाणु छह हाइड्रोजन परमाणु से जुड़े हुए हैं। सांतरित संरूपण में C-H बन्धों के इलेक्ट्रॉन मेघ अधिकतम दूरी पर हैं, परन्तु जब सांतरित संरूपण ग्रसित संरूपण में परिवर्तित होता है तो ये इलेक्ट्रॉन मेघ एक-दूसरे के समीप आ जाते हैं। अतः ग्रसित संरूपण में इन इलेक्ट्रॉन मेघों में परस्पर प्रतिकर्षण होता है तथा अणु की ऊर्जा बढ़ती है। इस कारण अणु का स्थायित्व कम होता है। सांतरित संरूपण में स्थायित्व अधिकतम तथा ऊर्जा न्यूनतम होती है।
ब्यूटेन के संरूपण
- ग्रसित संरूपण— इसमें निम्नलिखित दो मुख्य प्रकार के संरूपणों की सम्भावना होती है—
(a) वह संरूपण जिसमें एक मेथिल समूह दूसरे मेथिल समूह से ग्रसित होता है (संरचना I)। .
(b) वह संरूपण जिसमें एक मेथिल समूह एक हाइड्रोजन परमाणु से ग्रसित होता है। (संरचनाएँ II व III)।
संरचना I विशाल मेथिल समूह होने के कारण संरचना प्रतिकर्षित होती है क्योंकि II व III में मेथिल समूह के सामने हाइड्राजा व III की अपेक्षा I कम स्थायी संरचना है।।
ल माथल समूह होने के कारण संरचना II तथा III की अपेक्षा अधिक
- सांतरित संरूपण— इसमें दोनों मेथिल समह एक-दसरे से 180° पर स्थित होते हैं (संरचना IV)। इसे एण्टी संरूपण भी कहते हैं।
- विषमतलीय संरूपण— इस संरूपण में दोनों मेथिल समूह एक-दूसरे से 60° पर | स्थित होते हैं
(संरचना V तथा VI)
संरचनाएँ V व VI में प्रतिकर्षण बल IV की अपेक्षा अधिक होगा क्योकि में मेथिल समूह पास-पास हैं। अत: संरूपण IV की ऊर्जा न्यूनतम तथा स्था होगा।
- साइक्लोहेक्सेन के संरूपण— साइक्लोहेक्सेन समतलीय अणु नह C—C—C बन्ध कोण 120° नहीं होता है। इस आधार पर यह कम स्थाया में, साइक्लोहेक्सेन एक स्थायी अणु है। साचे तथा मोहर (Sache ar साइक्लोहेक्सेन के दो संरूपण जिनमें हाइड्रोजन परमाणुओं की अन्तराकाशनमें स्थितियाँ प्रदर्शितकी गयी है अग्रव्तप्रदशित है—
ये संरूपण कुर्सी (chair) तथा नाव (boat) कहलाते हैं। इन्हें क्रमश: Z- तथा C संरूपण भी कहा जाता है। साइक्लोहेक्सेन के कुर्सी रूप में सभी कार्बन-कार्बन बन्धों के युग्म पूर्ण रूप से सांतरित (staggered) होते हैं, जबकि नाव रूप में ये बन्ध ग्रसित (eclipsed) होते हैं। अत: कुर्सी रूप तनाव मुक्त होता है। नाव संरूपण में C1, व C4 पर हाइड्रोजन परमाणुओं की निकटता के कारण मरोड़ी तनाव (torsional strain) तथा त्रिविम तनाव (steric strain) पाया जाता है, यद्यपि इसके बन्ध कोण में तनाव नहीं पाया जाता। यह प्रेक्षित किया गया है कि साइक्लोहेक्सेन के कुर्सी संरूपण की ऊर्जा नाव संरूपण की ऊर्जा से 7 किलो कैलोरी प्रति मोल कम है। अतः कुर्सी रूप संरूपण नाव रूप संरूपण की तुलना में अधिक स्थायी होता है। साइक्लोहेक्सेन के ये दोनों संरूपण चित्र-38 में प्रदर्शित किए गए हैं
उपर्युक्त संरूपणों के अतिरिक्त साइक्लोहेक्सेन के कई अन्य संरूपण हैं जिन्हें चित्र-39 में प्रदर्शित किया गया है