BSc Botany Endospore In Bacteria Question Answer Notes
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प्रश्न 2 – जीवाणुओं में अन्तःबीजाणु पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर –
जीवाणुओं में अन्तःबीजाणु
(Endospore in Bacteria) Notes
ये एक प्रकार के प्रतिरोधी (resistant) स्पोर हैं जो बैसीलस (Bacillus) तथा क्लॉस्ट्रीडियम (Clostridium) प्रकार के जीवाणुओं में अधिकता से बनते हैं। एण्डोस्पोर प्रायः जीवाणु के सिरे पर (terminal) या सिरे के पास (subterminal) या मध्य भाग (middle) में बन सकते हैं।
एण्डोस्पोर एक जटिल संरचना है तथा ये प्रतिकूल परिस्थितियों में ही बनते हैं। निर्माण के प्रथम चरण में कोशिका के क्रोमैटिन का एक अंश कोशिका के एक तरफ केन्दित हो जाता है। इसके चारों तरफ कोशिकाद्रव्य की एक पतली परत बन जाती है। इस रचना को स्पोर प्रीमॉर्डियम (spore primordium) कहते हैं। धीरे-धीरे इसके आकार में वृद्धि होती है और इसके चारों तरफ़ बीजाणु भित्ति (spore wall) बन जाती है। स्पोर बनने की प्रक्रिया लगभग 16 से 20 घण्टों में पूरी होती है। निर्माण के अन्तिम कुछ घण्टों में एण्डोस्पोर के आकार में अभूतपूर्व वृद्धि होती है। एण्डोस्पोर का आकार गोल (round) तथा दीर्घवत्ताकार (ellipsoidal) हो सकता है। इसकी भित्ति कई परतों की बनी होती है तथा इसकी संरचना अति विशिष्ट होती है।
परिपक्व एण्डोस्पोर के केन्द्र में प्रोटोप्लास्ट (protoplast) होता है जिसे कोर कहते हैं। यह एक पतली झिल्ली से ढका रहता है जिसको कोर कला (core membrane) कहते हैं। इसके चारों तरफ बहुस्तरीय कॉर्टेक्स होती है। इसके बाहर की तरफ एक मोटी परत होती है जो अन्त:चोल (inner coat) तथा बाह्यचोल (outer coat) से मिलकर बनी होती है। बैसीलस जीवाणु की कुछ जातियों में बाहर की तरफ एक अतिरिक्त कोमल परत भी मिलती है जिसको एक्सोस्पोरियम (exosporium) कहते हैं। यह परत प्रतिकूल परिस्थितियों का प्रतिरोध करने में सहायक होती है।
एण्डोस्पोर के कॉर्टेक्स में कैल्सियम–डी०पी०ए० (calcium-DPA-dipicolinic acid) का जटिल संयोजन होता है। यह इसका विशेष लक्षण है। इसमें राइबोसोम, डी०एन०ए०, आर०एन०ए०, ऐमीनो अम्ल तथा एण्डोप्लाज्म मिलते हैं। प्रतिकूल वातावरण के समाप्त होते ही बीजाणु चोल फट जाता है तथा जीवाणु कोशिका से बाहर निकल आता है। एण्डोस्पोर ग्राम पोजीटिव बैसीलाई में भी बनते हैं।
एण्डोस्पोर प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवाणु की रक्षा करता है। इसके बीजाणु चोल पर रासायनिक पदार्थ, गर्म जल, बर्फ, ऊँचे तापमान (150-170°C) आदि का प्रभाव पड़ता है। वास्तव में एण्डोस्पोर का बनना गुणन (multiplication) की क्रिया नहीं है। यह एक चिरकालिकता (perennation) की क्रिया है।
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