Bsc 2nd Year Physics IV Physical Optics and Lesers Long Question Part D

Bsc 2nd Year Physics IV Physical Optics and Lesers Long Question Part D :-


खण्ड ‘द’

प्रश्न 16. समतल-धूवित, वृत्तीय ध्रुवित व दीर्घवृत्तीय ध्रुवित प्रकाश में समझाइए। समतल-धुवित प्रकाश से हम किस प्रकार वृत्तीय ध्रुवित व दीर्घवृत्तीय पतिप्रकाश उत्पन्न करते हैं।

Explain plane polarized, circularly polarized and elliptically polarized light. How we produce circularly and elliptically polaris light from linear polarized light ?. 

अथवा दो परस्पर अभिलम्बवत् तलों में कम्पन करती हुई दो समतल-ध्रुवित तरंगों का अध्यारोपण समझाइए। सिद्ध कीजिए कि समतल एवं वृत्तीय ध्रुवित प्रकाश, दीर्घवनीत ध्रुवित प्रकाश की विशेष स्थितियाँ हैं।

Explain the superposition of two plane polarized waves vibration in two mutually perpendicular planes. Show that plane and circular polarized lights are special cases of elliptically polarized light.

उत्तर : समतल-ध्रुवित, वृत्तीय ध्रुवित तथा दीर्घवृत्तीय ध्रुवित प्रकाश – प्रकाश के विद्युत-चुम्बकीय सिद्धान्त के अनुसार प्रकाश की तरंग में विद्युत तथा चुम्बकीय वेक्टर परस्पर लम्बवत् तलों में कम्पन करते हैं तथा दोनों ही प्रकाश के संचरण की दिशा के भी लम्बवत् होते हैं। तरंग के प्रकाशिक प्रभाव विद्युत वेक्टर के कारण होते हैं, इसीलिए इसे प्रकाश-वेक्टर भी कहते हैं। अध्रुवित प्रकाश में प्रकाश-वेक्टर के कम्पन संचरण की दिशा में लम्बवत तल में सभी शव दिशाओं में समभित रूप से होते हैं। यदि प्रकाश-वेक्टर इस तल में, एक निश्चित (fixed) रेखा के अनुदिश कम्पन करता है तो प्रकाश को समतल – धुवित प्रकाश (plane polarized light) कहते हैं। – 

जब दो समतल-ध्रुवित प्रकाश-तरंगें परस्पर अध्यारोपित होती हैं तो कुछ विशेष परिस्थितियों में, परिणामी प्रकाश-वेक्टर संचरण की दिशा के लम्बवत् तल में एक नियत आयाम से चक्रण करता है। इस अवस्था में वेक्टर का शीर्ष एक वृत्त अनुरेखित करती है। इस प्रकाश को वृत्त ध्रुवित प्रकाश (circularly polarized light) कहते हैं। परन्तु यदि आयाम आवर्त रूप से बदलता है तब प्रकाश-वेक्टर की शीर्ष एक दीर्घवृत्त अनुरेखित करती है। इस प्रकाश को दीर्घवृत्त ध्रुवित प्रकाश (elliptically polarized light) कहते हैं।

दो परस्पर अभिलम्बवत् तलों में कम्पन करती हुई दो समतल ध्रुवित तरंगों का अध्यारोपण माना ध्रुवक (निकॉल प्रिज्म) से प्राप्त समतल-ध्रुवित प्रकाश की एक किरण एक कैलसाइट की प्लेट पर अभिलम्बवत् गिरती है [चित्र-29 (a)]। कैलसाइट की प्लेट को इस प्रकार काटा गया है कि उसकी प्रकाशिक-अक्ष (optic axis) आपतन तल के समान्तर है। माना आपतित प्रकाश में कम्पन PQ दिशा में है [चित्र-29 (b)], जो प्रकाशिक-अक्ष के साथ 0 कोण बनाते हैं। माना आपतित प्रकाश के कम्पनों का आयाम A है। प्लेट में प्रवेश करते ही प्रकाश किरण दो अवयवों में विभक्त हो जाती है—(i) A cos e, (ii) A sin 0; A cos 0 प्रकाशिक-अक्ष के अनुदिश तथा A sin 0 प्रकाशिक-अक्ष के लम्बवत् कम्पनों के आयाम हैं। A cos 0 से असाधारण किरण (E-किरण) तथा A sin e से साधारण किरण (O-किरण) बनती है। हाइगेन्स के द्विअपवर्तन की रचना के अनुसार दोनों (E व O) तरंगें एक ही मार्ग का अनुसरण करती हैं, परन्तु E-तरंग का वेग, 0-तरंग के वेग से अधिक होता है [चित्र-29 (c)], जिससे क्रिस्टल से निकलने पर दोनों तरंगों में एक कलान्तर उत्पन्न हो जाता है। इन दोनों तरंगों के अध्यारोपण से परिणामी तरंग मिलती है।

Follow me at social plate Form

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top