BSc 1st Year Botany Cell Wall Long Question Answer

BSc 1st Year Botany Cell Wall Long Question Answer

 

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प्रश्न 7 – जीवाणु कोशिका भित्ति की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए। 

उत्तर जीवाणुओं की कोशिका भित्ति सेलुलोस के बजाय म्यूकोपेप्टाइड की बनी होती है म्यूकोपेप्टाइड शृंखला ऐमीनो अम्लों की छोटी शृंखलाओं से जुड़ी होती है।

ऐसीटाइल म्यूरामिक अम्ल से एक छोटी टेट्रापेप्टाइड श्रृंखला (tetrapeptid chain) जुड़ी रहती है। इसमें L. एलानीन (alanine), D ग्लूटामेट (glutamate ) L लाइसिन (Lysine) तथा D एलानीन (alanine) होते हैं। टेट्रापेप्टाइड का तीसरा ऐमीनों अम्ल विभिन्न जीवाणु जातियों में बदलता रहता है। यह लायसिन या डाइऐमीनोपिमलिन अम्ल (Diaminopimalic acid) हो सकते हैं। D तथा L ऐमीनो अम्ल भी एकान्तर क्रम होते हैं। ग्राम पॉजीटिव जीवाणु में दो पेप्टाइड शृंखला एक पेन्टाग्लाइसिन पेप्टाइड से क्राँस बन्धित होती है। Pentaglycine peptide cross bridge, PPCB) PPCB एक शृंखला के L Lysine से तथा दूसरी शृंखला के D alanine से जुड़ी होती है। इस क्रॉस बन्ध

के कारण यह संरचना दृढ़ होती है।

BSc Cell Wall Question Answer
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ग्राम पॉजीटिव कोशिका भित्ति (Grampositive cell wall) Notes

इसमें पेप्टीडोग्लाइकन के कई स्तर होते हैं। यह मोटी तथा दृढ़ संरचना है इसकी भित्ति में टिकोइक अम्ल (teichoic acid) भी मिलता है जो एक ऐल्कोहॉल (ग्लिसरॉल या रिबीटोल) तथा फॉस्फेट का बना होता है। टिकोइक अम्ल दो प्रकार का होता है peptide

(i) लिपोटिकोइक अम्ल (Lipoteichoic Acid)—यह पेप्टीडोग्लाइकन परत से होता हुआ प्लाज्मा-झिल्ली से जुड़ा रहता है।

(ii) भित्ति वाला टिकोइक अम्ल (Wall teichoic Acid)—यह पेप्टीडोग्लाइकन अम्ल से जुड़ा रहता है। कोशिका भित्ति में अनेक पॉलिसैकेराइड की परतें हो सकती हैं। माइकोबेक्टीरियम में 60% माइकोलिक अम्ल, वेक्सीलिपिड तथा शेष पेप्टीडोग्लाइकन होता है। इसकी मोटाई 20-30 nm तथा पेप्टीडोग्लाइकन 50% या इससे अधिक हो सकती है।

ग्राम नेगेटिव कोशिका भित्ति (Gram negative Cell wall) Notes

इसमें कोशिकाभित्ति अपेक्षाकृत कम मोटी पेप्टीडोग्लाइकन की परत तथा एक बाहर झिल्ली की बनी होती है। पेप्टीडोग्लाइकन, लिपोप्रोटीन (लिपिड सहसंयोजी रूप में प्रोटीन  जुड़े रहते हैं) से बाहरी झिल्ली में जुड़े रहते हैं तथा पेरीप्लाज्मा स्थान (बाह्य झिल्ली तथा प्लाज्मा झिल्ली के बीच का स्थान) में होते हैं। पेरीप्लाज्मा स्थान में विघटनकारी विकार (degradative enzymes) तथा ट्रांसपोर्ट प्रोटीन होती है। इस भित्ति में टिकोइक म्ल नहीं होता है। इनकी कम मोटाई के कारण ये यान्त्रिक (mechanically) रूप से टूट सकती है।

ग्राम नेगेटिव जीवाणु की बाह्य झिल्ली (outer membrane) में लिपोप्रोटीन लिपोपॉलिसैकेराइड (LPS) तथा फॉस्फोलिपिड होते हैं।

इसमें 10 – 50% पेप्टीडोग्लाइकन, 30% फॉस्फोलिपिड, 15% प्रोटीन, 50% 

लिपोपॉलिसैकेराइड हो सकते हैं। भित्ति की मोटाई 10-15 nm हो सकती है।

मुख्य कार्य (Main Functions) Notes

  1. इस पर ऋणात्मक आवेश होता है। अतः यह फेगोसाइटोसिस को रोकती है।
  2. 2. यह कुछ विकरों (Lysozyme) से संरक्षण देती है।
  3. पोषक तत्त्व तथा अन्य पदार्थ बाहरी झिल्ली से गुजर सकते हैं यह porins प्रोटीनके कारण होता है।
  4. Porins प्रोटीन द्वारा बनी चैनल पेप्टाइड, डाइसैकेराइड, विटामिन आदि के लिए भी पारगम्य है।

लिपोपॉलिसैकेराइड भाग के दो मुख्य कार्य हैं

पॉलिसैकेराइड भाग शर्करा का बना होता है जिसे 0 पॉलिसैकेराइब (o polysacharide) कहते हैं। यह एण्टीजेनिक होती है। लिपिड भाग लिपिड A Clipid A कहलाता है। यह एण्डोटॉक्सिन में होता है। इससे परपोषी के रक्त तथा आहार नाल संक्रमण होता है।

 


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