BSc 1st Year Arthropoda Palaemon Prawn Question Answer
BSc 1st Year Arthropoda Palaemon Prawn Question Answer :- In this post all the questions of the second part of zoology are fully answered. This post will provide immense help to all the students of BSc zoology. All Topic of zoology is discussed in detail in this post.
Unit – II
प्रश्न 6 – संघ आर्थोपोडा के मुख्य लक्षणों का वर्णन कीजिए।
Describe the main characters of Phylum Arthropoda.
उत्तर–
संघ आर्थोपोडा के मुख्य लक्षण
(Main Characters of Phylum Arthropoda)
यह जन्तु जगत का सबसे बड़ा संघ है। संघ आर्थोपोडा में जन्तु जगत की लगभग 85% प्रजातियाँ आती हैं। इसके सदस्य सभी प्रकार के आवासों में पाए जाते हैं; जैसे—स्थल, जल, वायु, मृदा के नीचे, वृक्षों पर आदि।
(1) इनका शरीर त्रिस्तरीय, द्विपार्श्व सममित, प्रगुहीय (coelomate) तथा खण्डों में विभक्त होता है।
(2) शरीर का संगठन अंग तन्त्र स्तर (organgrade organisation) का होता है।
(3) शरीर पर काइटिन का खण्डयुक्त बाह्य कंकाल पाया जाता है।
(4) शरीर पर विविध कार्यों के लिए रूपान्तरित सन्धियुक्त उपांग (jointed appendages) पाए जाते हैं।
(5) देहगुहा को हीमोसील (haemocoel) तथा इसमें पाए जाने वाले तरल को हीमोलिम्फ (haemolymph) कहते हैं। यह रक्त तथा लसीका दोनों का कार्य करता है।
(6) रक्त परिसंचरण तन्त्र खुले प्रकार (open type) का होता है।
(7) श्वसन अंग क्लोम, बुक–लंग्स (book-lungs), ट्रेकिया (trachea) होते हैं।
(8) उत्सर्जन मैल्पीघी नलिकाओं (malpighian tubules), ग्रीन ग्रन्थियों (green glands) द्वारा होता है।
(9) संयुक्त नेत्र (compound eyes) पाए जाते हैं।
(10) जन्तु एकलिंगी, अण्डज (oviparous) होते हैं। निषेचन आन्तरिक होता है। परिवर्धन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष होता है। अप्रत्यक्ष परिवर्द्धन में एक से अधिक लार्वा अवस्थाएँ पायी जाती हैं।
उदाहरण – बिच्छू (पैलेम्निअस-Palamnaeus), झींगा मछली (पैलीमोन-Palaemon), टिड्डा (शिस्टोसकर्का-Schistocerca), तितली (butterfly) घरेलू मक्खी (Musca), तिलचट्टा (Periplanata) आदि।
प्रश्न 7 – पैलीमोन के गिल की संरचना का वर्णन कीजिए।
Describe the structure of gill of Palaemon.
उत्तर–
पैलीमोन में क्लोम की संरचना
(Structure of gill of Palaemon)
पैलीमोन के क्लोम लगभग अर्द्धचन्द्राकार होते हैं। इनका आकार आगे से पीछे की ओर बढ़ता जाता है। प्रत्येक क्लोम के मध्य से एक छोटी रचना क्लोम मूल (gill root) निकलती है, जिसके द्वारा यह अक्ष से जुड़ा रहता है। क्लोम में पायी जाने वाली क्लोम तन्त्रिका तथा क्लोम वाहिनी क्लोम मूल में से होकर जाती है। पैलीमोन का क्लोम फाइलोबॅक कहलाता है। इसमें एक लम्बा क्लोम अक्ष (gill axis) होता है जिसके दोनों किनारों पर क्लोम पट्टिकाओं (gill plates) की एक-एक पंक्ति होती है। क्लोम पट्टिकाएँ चौकोर व चपटी पत्ती के समान रचनाएँ हैं जो एक-दूसरे के समान्तर होती हैं। क्लोम अक्ष पर क्लोम पट्टिकाओं का विन्यास पुस्तक के पृष्ठों के समान होता है। क्लोम पट्टिकाओं की दोनों पंक्तियाँ एक-दूसरे के मध्य लम्बवत् खाँच (median longitudinal groove) द्वारा अलग रहती हैं। मध्य लम्बवत् खाँच क्लोम अक्ष की पूरी लम्बाई में पायी जाती है। क्लोम के मध्य में पायी जाने वाली क्लोम पट्टिकाएँ बड़ी होती हैं तथा दोनों सिरों की ओर धीरे-धीरे छोटी होती जाती हैं।
अनुप्रस्थ काट में क्लोम आधार तिकोना दिखाई देता है जो चारों ओर से अधिचर्म द्वारा परिसीमित संयोजी ऊतक से बनता है और बाहर की ओर से एक पतली क्यटिकल द्वारा सुरक्षित रहता है। प्रत्येक क्लोम पट्टिका में एपिथीलियम कोशिकाओं की एक पंक्ति होती है जिसके दोनों तलों पर पतली क्यूटिकल की परत होती है। क्लोम पट्टिका की कोशिकाएँ रंजक तथा पारदर्शी दो प्रकार की होती हैं।
प्रश्न 8 – पृष्ठ पक्ष्माभिकी अंग पर टिप्पणी लिखिए।
Write a note on Dorsal ciliated organ.
उत्तर –
पृष्ठ पक्ष्माभिकी अंग
(Dorsal Ciliated Organ)
नेरीस (Nereis) के प्रत्येक खण्ड में पृष्ठ अनुदैर्घ्य मांसपेशियों के साथ एक जोड़ी पृष्ठ पक्ष्माभिकी अंग उपस्थित होते हैं। प्रत्येक पक्ष्माभिकी अंग गुहीय एपीथीलियमी स्तर में एक पक्ष्माभिकी प्रणाली (ciliated tract) का निर्माण करता है जो गुहा में अन्दर की ओर एक छिद्र की सहायता से खुलती है परन्तु बाह्य वातावरण से इस प्रणाली का कोई सम्बन्ध नहीं होता है। ये अंग दूसरे पॉलीकीट एनीलिड जन्तुओं में उपस्थित प्रगुहा वाहिनी (coelomoduct) की भाँति होते हैं तथा उत्सर्जन में सहायता करते हैं।
प्रश्न 9 – पैलीमोन में उत्पत्ति एवं जुड़ने वाले स्थान के अनुसार कितने प्रकार के गिल पाए जाते हैं?
How much types of gills are found in Palaemon on the basis of origin and attachment ?
उत्तर –
पैलीमोन में गिलों के प्रकार
(Types of Gills in Palaemon)
अपने उत्पत्ति एवं जुड़ने के स्थान के अनुसार गिल तीन प्रकार के होते हैं—पोडोबैंक, आथ्रोबॅक तथा प्लूरोक्रैक।
- पोडोबैंक (Podobranch) इन्हें पाद गिल भी कहते हैं। पैलीमोन में
दोनों दूसरे मैक्सिलीपीड्स के कोक्सा से एक-एक पोडोबॅक जुड़ा होता है।
2. आर्थोबँक या संधिगिल (Arthrobranch or Joint gill) — यह उपांग के शरीर से जुड़ने के स्थान पर पायी जाने वाली आर्थोडियल कला से जुड़ा होता हैं। प्रत्येक तीसरे मैक्सिलीपीड्स पर दो संधि क्लोम होते हैं। दूसरा संधि क्लोम पहले की अपेक्षा छोटा होता है और पहले के नीचे छिपा रहता है।
- प्लूरोबँक या पार्श्व गिल (Pleurobranch or Lateral gill)—यह खण्ड की उस पार्श्व भित्ति से जुड़ा होता है जिससे उपांग जुड़ा रहता है। प्रत्येक ओर के अन्तिम पाँच गिल पार्श्व क्लोम होते हैं जो उन कक्षीय खण्डों की पार्श्व भित्ति से जुड़े होते हैं जिससे पाँच टाँगें जुड़ती हैं।
प्रश्न 10 – पैलीमोन की ग्रीन ग्रन्थियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
Write short note on Green glands of Palaemon.
उत्तर– पैलीमोन में एक जोड़ी शृंगिकी या ग्रीन ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं जो वयस्क पैलीमोन में उत्सर्जी तन्त्र का भाग होती हैं। प्रत्येक श्रृंगिका (antennae) के कॉक्सा (coxa) में एक ग्रीन ग्रन्थि उपस्थित होती है, जिसमें तीन भाग–अन्तिम कोष (end-sac), कलागहन (labyrinth) तथा आशय (bladder) पाए जाते हैं।
(1) अन्तिम कोष (End sac)—यह ग्रीन ग्रन्थि का सबसे छोटा भाग होता है जो आशय तथा कलागहन के मध्य स्थित होता है। इसमें एक बड़ी रुधिर अवकाशिका (blood-lacuna) पायी जाती है।
(2) कलागहन (Labyrinth)—यह अन्तिम कोष से बड़ा होता है। इसमें असंख्य सँकरी, शाखादार एवं कुण्डलित उत्सर्जी नलिकाओं (excretory tubules) उपस्थित होती हैं जो एक छिद्र के द्वारा अन्तिम कोष में तथा अनेकों छिद्रों के द्वारा आशय में खुलती हैं।
(3) आशय (Bladder)—यह ग्रीन ग्रन्थि का सबसे बड़ा भाग होता है। इसके अन्दर की भित्ति उभरकर एक छोटी मूत्रवाहिनी (ureter) बनाती है जो एक छोटे छिद्र (renal aperture) के द्वारा बाहर खुलती है।
प्रश्न 11 – पैलीमोन के स्टेटोसिस्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Write short note on Statocyst of Palaemon.
उत्तर–स्टेटोसिस्ट (Statocyst) – पैलीमोन की प्रत्येक लघुशृंगिका । (antennule) के प्रीकॉक्सा खण्ड के अन्दर एक छोटा, सफेद क्यूटीकिलयुक्त तथा गोलाकार खोखला कोष पृष्ठ भित्ति से चिपका हुआ पाया जाता है जिसे स्टेटोसिस्ट कहते हैं। लघु शृंगिकी तन्त्रिका की एक छोटी सन्तुलन शाखा (statocystic branch) स्टेटोसिस्ट में प्रवेश करती है। स्टेटोसिस्ट की गुहा अण्डाकार, रेत के अति सूक्ष्म कणों से भरी तथा लम्बे ग्राही शूकों (receptor setae) द्वारा आस्तरित रहती है। प्रत्येक ग्राही शूक में सन्तुलनीय तन्त्रिका की एक छोटी शाखा प्रवेश करती है। ग्राही शूक दो भागों—फूला हुआ आधार (base) तथा लम्बी
शाफ्ट (shaft) से मिलकर बना होता है। शाफ्ट बीच में मुड़ी होती है तथा मुड़े भाग पर रोम (bristles) पाए जाते हैं।
स्टेटोसिस्ट गुरुत्व बल की दिशा को ग्रहण करके स्थिति निर्धारण (orientation) तथा सन्तुलन (equilibrium) का कार्य करती है।
प्रश्न 12 – पैलीमोन के कार्डियक आमाशय की संरचना का वर्णन कीजिए।
Describe the structure of cardiac stomach of Palaemon.
उत्तर–कार्डियक आमाशय (Cardiac Stomach) – इसके आन्तरिक क्यूटिकली आस्तर (intima) में असंख्य, अस्पष्ट, अनुदैर्घ्य वलन होते हैं जो छोटे-छोटे शूकों से ढके रहते हैं। ग्रसिका छिद्र की अगली भित्ति में एक क्यूटिकली वृत्तीय पट्टिका (circular plate) और इसके पीछे आमाशय की छत पर एक क्यूटिकली मालाकार पट्टिका (lanceolate plate) होती है। कार्डियक आमाशय के फर्श के मध्य में एक त्रिभुजाकार प्लेट होती है जिसे भालाकार प्लेट (hastate plate) कहते हैं। भालाकार प्लेट की ऊपरी सतह पर कोमल शूक और एक स्पष्ट मध्यस्थ कटक (median ridge) होती है। इस प्लेट का पिछला त्रिभुजाकार अवनमित भाग कार्डियो-पाइलोरिक छिद्र की अगली सीमा बनाता है। भालाकार प्लेट की प्रत्येक पाव भुजा के नीचे एक अनुदैर्घ्य क्यूटिकली आधारी छड़ (supporting rod) होती है।
भालाकार प्लेट की दोनों पार्श्वीय सीमाओं के साथ सँकरी पार्श्व खाँच (lateral groove) होती है जिसके फर्श पर खुले ड्रेन पाइप के समान एक क्यूटिकल प्लेट या खाँच प्लेट (grooved plate) होती है। आधारी छड़ द्वारा अन्दर की सीमा और एक लम्बी क्यूटिकली कटक पट्टिका (ridged plate) प्रत्येक पार्श्व खाँच की बाहरी सीमा बनाती है। कटक प्लेट की अन्दर की सीमा पर पूरी लम्बाई में कोमल शूकों की एक पंक्ति होती है जो एक कंघी के समान रचना बनाती है। इसी कारण कटक प्लेट को कंकत प्लेट (comb plate) भी कहते हैं। कंकत प्लेट के शूक पार्श्व खाँच को पार करके आंशिक रूप से भालाकार प्लेट के पार्श्वीय किनारे के ऊपर चढ़ जाते हैं। दोनों कंकत प्लेट आगे की ओर परस्पर जुड़कर भालाकार प्लेट को पूरा घेर
लेती हैं। लेकिन इनके अन्दर की ओर मुड़े पिछले सिरे जठरागम-निर्गम द्वार (cardionloria aperture) द्वारा अलग रहते हैं। कंकत प्लेटों के बाहर दोनों ओर आमाशय की पार्श्व भित्ति में एक पार्श्व अनुदैर्घ्य वलन बन जाता है। दाएँ व बाएँ दोनों वलन आगे की ओर छोटे होते जाते हैं, परन्तु पीछे की ओर धीरे-धीरे बड़े होते जाते हैं और पिछले भाग में कार्डियो-पाइलोरिक छिद्र की पार्श्व भुजाएँ बनाने के लिए ये अन्दर की ओर मुड़ जाते हैं। इन वलनों को निर्देशक कटक (guiding ridges) भी कहते हैं क्योंकि ये भोजन को कार्डियो-पाइलोरिक छिद्र की ओर भेजते हैं।
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