BSc 1st Year Annelida Nereis Question Answer

BSc 1st Year Annelida Nereis Question Answer

 

BSc 1st Year Annelida Nereis Question Answer :- In this post all the questions of the second part of zoology are fully answered. This post will provide immense help to all the students of BSc zoology. All Topic of zoology is discussed in detail in this post.

 


लघु उत्तरीय प्रश्न?

Unit – I

प्रश्न 1 –  हेटरोनेरीस के विशिष्ट लक्षणों का वर्णन कीजिए।

Describe the characteristic features of Heteronereis.

उत्तर

हेटरोनेरीस के विशिष्ट लक्षण

(Characteristic features of Heteronereis)

  1. नेरीस की भाँति बिलों में रहने या समुद्र की तली में रेंगने के बजाय हेटरोनेरीस समुद्र की सतह पर सक्रिय रूप से तैरता है।
  2. हेटरोनेरीस का शरीर दो भागों में बँटा होता है-आगे की ओर अलैंगिक ऐटोक तथा पीछे का भाग ऐपिटोक।
  3. पिछले लैंगिक भाग के पार्श्व पाद अपेक्षाकृत अधिक बड़े और vascularised हो जाते हैं। अधिक तीव्र श्वसन के लिए इनमें पत्तियों के समान outgrowths बन जाते हैं। सामान्य शूकों के स्थान पर नये चपटे तथा पतवार के समान शूक बन जाते हैं तथा यह तैरने के लिए पंखे के समान व्यवस्थित रहते हैं। पृष्ठ सिरस बदल जाते हैं। प्रारम्भिक पार्श्वपाद पेशियों के स्थान पर नयी पेशियों का निर्माण हो जाता है। नेरीस में शूक दो प्रकार के होते हैं-एक ‘ मीस लम्बे फलकी शूक जिनका शैफ्ट छोटा और ब्लेड लम्बा, सीधा और नुकीला होता है। दूसरे शूक का शैफ्ट बड़ा, ब्लेड छोटा, दृढ़ तथा सिरा मुड़ा, खाँचदार होता है। हेटरोनेरीस में एक तीसरे प्रकार का पतवार समान शूक होता है। इसका प्रयोग सुरक्षा और बिल के अन्दर की चिकनी दीवार की पकड़ करने के लिए किया जाता है। .
  4. नेत्र अधिक बड़े और स्पष्ट हो जाते हैं। पेरिस्टोमिअल सिरस अधिक लम्बे हो जाते हैं। प्रोस्टोमिअल पैल्प और स्पर्शक समानीत हो जाते हैं।
  5. जनन ग्रन्थियाँ अत्यधिक विकसित हो जाने से आंत्र संहत और निष्क्रिय हो जाती है।
  6. संवेदी प्रक्षेप (projections) सिकुड़ जाते हैं और पाइजीडियम में विशेष संवेदी पैपिली विकसित हो जाती है।
  7. नेरीस वाइरेन्स में हेटरोनेरीस लैंगिक द्विरूपता प्रगट करते हैं। इनके नर के अगले खण्डों में मादा की अपेक्षा कम परिवर्तन होता है।

नोटचित्र के लिए Fig. 1 देखें।

प्रश्न 2 – नेरीस में ट्रोकोफोर लारवा की संरचना का वर्णन कीजिए।

Describe the structure of trochophore larva in Nereis.

उत्तर – 

नेरीस में ट्रोकोफोर लारवा

(Trochophore Larva in Nereis)

कुछ पॉलीकीट प्राणियों में अण्डे से बाहर निकला शिशु ट्रोकोफोर (trochophore) . कहलाता है।

ट्रोकोफोर की संरचना (Structure of Trochophore)

नेरीस के परिवर्धन में गैस्ट्रलाभवन के पश्चात् यह पक्ष्माभी भ्रूण तेजी से एक लारवा में परिवर्धित होता है जिसे ट्रोकोफोर कहते हैं।

यह एक छोटा पक्ष्माभित अखण्डी तथा नाशपाती के आकार का पीलेजिक लारवा है। पूर्ण रूप से विकसित ट्रोकोफोर में एक संवेदी अंग (sensory apical organ) या प्लेट होती है। इसके ऊपर पक्ष्माभों का एक गुच्छा पाया जाता है। इसके नीचे एक गुच्छिका के समान मस्तिष्क के आद्य विशेष दिखाई देते हैं। ट्रोकोफोर में मध्य रेखा से कुछ ऊपर पक्ष्माभित कोशिकाओं की प्रीओरल पट्टी होती है। इस पट्टी को प्रोटोट्रोक (prototroch) कहते हैं।

आहार नाल पूर्ण होती है। मुख आधारीय तथा प्रोटोट्रोक के ठीक नीचे होता है। मुख के नीचे भी शरीर के चारों ओर एक पक्ष्माभित पट्टी पायी जाती है जिसे मेटाट्रोक (metatroch) कहते हैं। कुछ जातियों में गुदा से पहले भी एक ऐसी ही तीसरी पट्टी होती है जिसे टीलोट्रोक (telotroch) कहते हैं। इन पट्टियों से इसे भोजन ग्रहण करने तथा प्रचलन में सहायता मिलती है।

इसकी आहार नाल में ग्रसिका, आमाशय और आंत्र तीन भाग होते हैं।

मीसोडर्म अस्पष्ट कोशिकाओं के एक जोड़ी पुंजों के रूप में नीचे की ओर शंक में पायी जाती है। इन पुंजों के निकट ही एक्टोडर्म से विकसित एक जोड़ी प्रोटोनेफ्रीडिया होते हैं।

आहार नाल (एण्डोडर्म) तथा एक्टोडर्म के बीच का अवकाश ब्लास्टोसील कहलाती है।

कायान्तरण – ट्रोकोफोर लारवा कायान्तरण के फलस्वरूप तत्काल प्रभाव से इसका pelagic अस्तित्व समाप्त हो जाता है और अनेक लारवीय रचनाएँ (प्रोटोनेफ्रीडिया, एक्टोडर्म-मीसोडर्मी पेशीय पट्टियाँ, पक्ष्माभी girdles इत्यादि विलुप्त हो जाती हैं। शिखरीय प्लेट की कोशिकाओं से प्रोस्टोमियम तथा मस्तिष्क बन जाता है। अन्तस्थ पाइजीडियम से आगे की ओर धड़ खण्डों के बनने और विकास होने से लारवा धीरे-धीरे लम्बाई में वृद्धि करने लगता है। शूकों और शूक कोषों के विकास द्वारा शरीर खण्डों की बाह्य रचना स्पष्ट होने

BSc 1st Year Annelida Nereis
BSc 1st Year Annelida Nereis

लगती है। मुख भाग धड़ के प्रथम खण्ड के साथ संगलित हो जाता है और शूकविहीन पेरिस्टोमियम का निर्माण करता है। अन्त में पश्च लारवा परिवर्धन और वयस्क के स्वभाव को प्राप्त करने हेतु नीचे डूबकर तली पर पहुँच जाता है।

प्रश्न 3 – अरीय तथा द्विपार्श्व सममिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

Differentiate between radial and bilateral symmetry.

उत्तरअरीयसममिति (Radial Symmetry)-प्राय: उन सभी जन्तुओं, जिनका शरीर मुखीय तल (oral surface) तथा अपमुखीय तल (aboral surface) में बँटा होता है, में इस प्रकार की सममिति पायी जाती है। इस प्रकार के जन्तु प्रायः सीलेन्ट्रेटा, टीनोफोरा तथा इकाइनोडर्मेटा संघों में पाए जाते हैं। इन जन्तुओं को किसी भी तल से, केन्द्र से गुजरती रेखा से काटने पर दो समान भाग प्राप्त होते हैं। किसी तल को दो या दो से अधिक व्यासों से काटने पर भी यदि समान भाग प्राप्त होते हैं तब उनको काटों की संख्या के आधार पर द्विअरीय (biradial), पंचअरीय (pentaradial) या बहुअरीय (polymerous) सममितियों में विभक्त किया है।

द्विपार्श्व सममिति (Bilateral Symmetry)- जिन जन्तुओं में पृष्ठ व अधर तल करता है। ने (dorsal and ventral surface) के साथ-साथ अग्र व पश्च भागों (anterior and posterior) का भी भेद स्पष्ट होता है उन्हें केवल शरीर के मध्य अक्ष (median axis) से दो समान भागों में विभाजित किया जा सकता है। इस प्रकार से कटे भाग जन्तु को दो भागों-दाएँ तथा बाएँ में बाँटते हैं तथा ऐसी सममिति (bilateral symmetry) कहलाती है। संघ प्लैटीहैल्मिन्थीज, ऐस्केल्मिन्थीज, ऐनीलिडा आदि में इसी प्रकार की सममिति उपस्थित होती है।

प्रश्न 4 –  नेरीस के नेत्र की संरचना का वर्णन कीजिए।

Describe the structure of eye of Nereis.

उत्तर –

नेरीस का नेत्र

(Eye of Nereis)

नेरीस में प्रोस्टोमियम की ऊपरी सतह पर काले रंग के चार नेत्र होते हैं। प्रत्येक नेत्र एक प्याले के समान संरचना है। इसकी भित्ति वर्णकित होती है और इसमें अरीय रूप से व्यवस्थित ऊँची, सँकरी और प्रकाशमयी रेटिनल कोशिकाएँ होती हैं। प्रत्येक रेटिनल कोशिका में तीन स्पष्ट भाग होते हैं—1. बाहर की ओर स्थित केन्द्रकित भाग जो खिंचकर ऑप्टिक तन्त्रिका के तन्त्रिका तन्तु में बढ़ जाता है। 2. वर्णकित मध्यवर्ती भाग (मुख्यकाय) और अन्दर की ओर स्थित भाग जो लेन्स की ओर हायलाइन स्तर की पारदर्शी क्यूटिकुलर छड़ का निर्माण करता है।

BSc 1st Year Annelida Nereis
BSc 1st Year Annelida Nereis

प्यालाकार संरचना के अन्दर एक जिलेटिनी पदार्थ भरा रहता है जो लेन्स का निर्माण करता है। नेत्र की बाहरी सतह चपटी एपिडर्मल कोशिकाओं की इकहरी पर्त और एक पारदर्शी क्यूटिकली पर्त द्वारा ढकी रहती है। यह दोनों पर्ते परस्पर मिलकर कॉर्निया बनाती हैं। इसकी रेटिनी कोशिकाएँ रूपान्तरित एपिडर्मिल कोशिकाएँ होती हैं और किनारों पर उपचर्म के साथ सतत रहती हैं, जिससे कॉर्निया की ओर खुलने वाले प्याले का छोटा छिद्र एक तारे (pupil) की तरह कार्य करता है।

नेत्र कृमि को प्रकाश की तीव्रता में होने वाले परिवर्तनों को पहचानने की क्षमता प्रदान करते हैं। कृमि फोटोनिगेटिव होता है। नेत्रों में प्रतिबिम्ब नहीं बनता है।

प्रश्न 5 – ऐपिटोकी क्या है?

What is Epitoky ?

उत्तर –

एपिटोकी

(Epitoky)

नेरीस के लैंगिक रूप से परिपक्व हो जाने पर कृमि के अधिकांश, पश्च खण्ड युग्मकों से भरे होने के कारण आकारिकी एवं शारीरिकी रूप से भिन्नता प्रकट करते हैं। ऐसे खण्ड कृमि के लैंगिक भाग या ऐपिटोक का निर्माण करते हैं। आगे के भाग के कुछ थोड़े खण्ड जिनमें युग्मकों का निर्माण नहीं होता अलैंगिक भाग या ऐटोक कहलाता है। लैंगिक रूप से परिपक्व ऐसा कृमि जिसमें ऐटोक एवं ऐपिटोक दोनों भाग होते हैं। हेटरोनेरीस कहलाता है। अलैंगिक प्रावस्था से लैंगिक प्रावस्था में परिवर्तन की यह परिघटना ऐपिटोकी कहलाती है।

 


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