Zoology External Features Of Nereis Question Answer
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प्रश्न 3 – नेरीस की बाह्य आकारिकी का वर्णन कीजिए। इसकी तुलना हेटरोनेरीस से कीजिए।
Describe the external features of Nereis and compare it -with Heteronereis.
अथवा नेरीस के सिर का वर्णन कीजिए।
Describe the Structure of head of Nereis.
अथवा हेटरोनेरीस के पैरापोडियम पर टिप्पणी लिखिए।
Write a note on Heteronereis parapodia.
अथवा नेरीस तथा हेटरोनेरीस के पैरापोडियम का विस्तार से वर्णन कीजिए एवं दोनों की तुलना कीजिए।
Describe structure of Parapodium of both Nereis and
Heteroneries and compare the both.
उत्तर –
नेरीस की बाह्य आकारिकी
(External Features of Nereis) –
नेरीस का शरीर लम्बा, पतला-दुबला, द्विपार्श्वसममित आगे की ओर से कुछ चौड़ा तथा पीछे की ओर शुण्डीय होता है। इसका पृष्ठ-अधर तल कुछ चपटा होता है। एक वयस्क कृमि 40 सेमी तक लम्बा होता है। इसकी विभिन्न जातियों का रंग भिन्न-भिन्न होता है।
शरीर का भाग (Body divisions) – नेरीस का शरीर अनेक खण्डों में बँटा होता है | जो एक-दूसरे से लम्बाई में जुड़े रहते हैं तथा खाँचों द्वारा एक-दूसरे से पृथक रहते हैं। प्रत्येक जाति में खण्डों की संख्या निश्चित होती है। नेरीस कल्ट्रिफेरा तथा नेरीस ड्यूमेरिली में
लगभग 80, नेरीस वाइरेन्स में लगभग 200 खण्ड पाए जाते हैं। शरीर में तीन भाग स्पष्ट होते हैं- सिर, धड़ तथा गुदाखण्ड या पाइजीडियम (pygidium)
- सिर (Head) – नेरीस के अगले सिरे पर एक सिर होता है जिसमें दो भाग होते हैं-पेरिस्टोमियम (peristomium) और प्रोस्टोमियम (prostomium)
(i) पेरिस्टोमियम (Peristomium) — यह बड़ा और वलय के आकार का, अधर सतह पर स्थित चौड़ा दरार समान मुख के चारों ओर होता है। यह लम्बाई में बड़ा, पैरापोडिया (parapodia) विहीन और प्रत्येक ओर धागे के समान दो जोड़ी पेरिस्टोमिअल सिरी (peristomial cirri) सहित होता है। प्रत्येक सिरस एक लम्बी व पतली स्पर्श संवेदी संरचना होती है।
(ii) प्रोस्टोमियम (Pro-stomium) — यह पेरिस्टोमियम का ही पृष्ठ अग्र प्रवर्ध होता है और पेरिस्टोमियम के साथ ही संगलित रहता है। यह लगभग त्रिभुजाकार, पृष्ठ आधारी चपटा होता है जो मुख के ऊपर और सामने स्थित होता है। इसकी पृष्ठ सतह पर दो जोड़ी सरल एवं वर्णकित नेत्र, आगे की ओर एक जोड़ी छोटे बेलनाकार, संवेदी प्रोस्टोमिअल स्पर्शक (prostomial tentacles) तथा अधर-पार्श्व में एक जोड़ी छोटे, दृढ़ मांसल संकुचनशील पैल्प (palps) होते हैं। स्पर्शक, पैल्प और सिरस सभी संवेदी अंगों की भाँति कार्य करते हैं।
- धड (Trunk )— सिर और गुदाखण्ड (पाइजीडियम) को छोड़कर शरीर के शेष भाग धड़ बनाते हैं। इस भाग में लगभग 80 से 200 समान खण्ड होते हैं। प्रत्येक खण्ड के पार्श्व में एक-एक पार्श्वपाद (parapodium) होता है।
पैरापोडिया (Parapodia) Notes
प्रत्येक धड़ खण्ड के दोनों पार्श्वो में चपटे शरीर भित्ति के ऊर्ध्व खोखले पल्ले होते हैं। धड़ खण्ड की प्रगुहा प्रत्येक पैरापोडियम के अन्दर तक फैली रहती है। इसकी रचना प्रारूपिक रूप से द्विशाखी (biramous) होती है। इसमें एक प्रारम्भिक आधारी भाग (basal region) होता है दूरस्थ सिरे पर दो भाग होते हैं। इनमें से पृष्ठ भाग को पृष्ठपाद (notopodium) ओर अधर भाग को निम्नपाद (neuropodium) कहते हैं।
प्रत्येक भाग फिर से पत्ती के समान दो पालियों या जीभिकाओं (ligulae) में उपविभाजित हो जाता
है। इनमें से एक को पृष्ठीय सुपीरियर लिग्यूला और दूसरी को अधरीय इन्फीरियर लिग्यूला कहते हैं।
प्रत्येक भाग के आधार पर एक दुर्बल स्पर्शकी प्रवर्ध होता है जिसे सिरस कहते हैं। नोटोपोडियम के ऊपर स्थित पृष्ठ सिरस (dorsal cirrus) नीचे की ओर स्थित न्यूरोपोडिअल सिरस या अधर सिरस की अपेक्षा बड़ा होता है। प्रत्येक भाग एक गहराई में धंस कर लम्ब दृढ़ काइटिनी दण्ड द्वारा आधारित रहता है जिसे एसीकुलम कहते हैं। प्रत्येक भाग लम्बे, महीन, कठोर काइटिनी रोम शूक (setae) का समूह होता है जो तट से बाहर निकले रहते हैं। प्रत्येक शूक एक शूक कोष (setigerous sac) के अन्दर स्थित रहता है। सीटा कोष के आधार पर स्थित निर्माणी कोशिका (formative cell) से शूक निकलता है। जैसे-जैसे पुराने शूक नष्ट होते जाते हैं वैसे-वैसे शूक कोष से नये शूकों का निरन्तर निर्माण होता रहता है। शूकीय पेशियों की सहायता से शूकों को विभिन्न दिशाओं में घुमाया जा सकता है। नेरीस के शूक दो प्रकार के होते हैं। – एक लम्बे फलकी (Long bladded) तथा इनका एक् तट serrated होता है, दूसरा शूक का ब्लेड छोटा, सिरा अन्दर को मुड़ा हुआ व खाँचदार होता है।
हेटरोनेरीस (Heteronereis) – इसकी लैंगिक प्रावस्था है। इसमें एक तीसरी प्रकार का पतवार आकार का शक पाया जाता है।
हेटरोनेरीस का पैरापोडियम
(Parapodium of Heteronereis) Notes
हेटरोनेरीस के पैरोपोडिया अपेक्षाकृत अधिक बड़े तथा वाहिकायित (vascularised) हो जाते हैं तथा इनमें अधिक श्वसन हेतु चपटी पत्तियों के समान उद्धर्ध (outgrowth) का विकास हो जाता है। इनमें सामान्य शूकों के स्थान पर नये शूकों का विकास होता है जो प्रायः पतवार के आकार (oar-shaped) के होते हैं। इन शूकों का उपयोग ये सुरक्षा तथा बिल के अन्दर की चिकनी दीवार को पकड़ने में करते हैं।
धड के मध्य भाग के पार्श्वपाद सबसे बड़े होते हैं और मध्य से दोनों सिरों की ओर छोरी होते हैं। सभी पार्श्वपाद रचना में समान होते हैं। केवल पहले दो जोड़ी पार्श्वपादों में नोटोपात शूक नहीं होते।
कार्य (Functions)-पार्श्वपाद प्रचलन और श्वसन क्रिया दोनों का कार्य करते हैं।
वृक्कक रन्ध्र (Nephridiopores)-ये अति सूक्ष्म उत्सर्जी छिद्र होते हैं। इनके द्वारा वृक्कक बाहर खुलते हैं। वृक्कक रन्ध्र, वृक्ककधारी खण्डों के प्रत्येक पार्श्वपाद में अधर सिरस के आधार के निकट खुलता है।
- गुदाखण्ड या पाइजीडियम (Pygidium)—यह शरीर का अन्तिम खण्ड होता है। इसे गुदीयखण्ड भी कहते हैं। इस पर गुदा (anus) एक जोड़ी लम्बे तन्तु समान गुदा सिरस और अनेक संवेदी पैपिलियाँ (sensory papillae) होती हैं। इनमें पार्श्वपाद नहीं होते हैं।
ऐपिटोकी (Epitoky)-लैंगिक रूप से परिपक्व होने पर इसके अधिकांश पश्च खण्ड युग्मकों से भरे होने के कारण आकारिकी एवं शारीरिक रूप से भिन्नता प्रगट करते हैं। ऐसे खण्ड कृमि के लैंगिक भाग या ऐपिटोक का निर्माण करते हैं। आगे के कुछ थोड़े खण्ड जिनमें युग्मकों का निर्माण नहीं होता, अलैंगिक भाग या ऐटोक कहलाता है। लैंगिक रूप से परिपक्व ऐसा कृमि जिसमें ऐटोक तथा ऐपिटोक दोनों भाग होते हैं, हेटरोनेरीस कहलाता है| अलैंगिक प्रावस्था से लैंगिक प्रावस्था में परिवर्तन की यह परिघटना ऐपिटोकी कहलाती है।
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Nice