White Rust Disease Of Cruciferae BSc Botany Question Answer
White Rust Disease Of Cruciferae BSc Botany Question Answer :- BSc 1st Year Botany Cell Biology And Genetics Examination Paper Notes. This Post is very useful for all the Student Botany. This post will provide immense help to all the students of BSc Botany.
प्रश्न 3 – क्रूसीफेरी के श्वेत किट्ट रोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
क्रूसीफेरी का श्वेत किट्ट रोग
(White Rust Disease of Cruciferae) Notes
क्रूसीफेरी (Cruciferae) अथवा ब्रैसीकेसी (Brassicaceae) कुल के अनेक सदस्यों (जैसे-सरसों, मूली, शलजम, गोभी आदि) की पत्तियों, तने तथा अन्य भागों पर श्वेत किट्ट रोग (White Rust Disease) हो जाता है। यह रोग Albugo candida नामक कवक से होता है जो कि Division : Eumycota, Sub-division : Mastigomycotina, Class : . Oomycetes, Order : Peronosporales एवं Family:Albuginaceae का सदस्य है।
रोग लक्षण (Symptoms of Disease)-क्रूसीफेरी कुल के पौधों पर इस कवक के infection के कारण अनेक सफेद धब्बे (white pustules) अथवा ब्लिस्टर्स (blisters) दिखाई पड़ने लगते हैं। ये सफेद धब्बे प्रायः पौधों की पत्तियों की निचली सतह तथा तने पर पाए जाते हैं।
कवक के आक्रमण की अधिकता की स्थिति में पोषी पौधे के अंगों में काफी असमानताएँ उत्पन्न हो जाती हैं। इसके तने तथा पुष्प के अनेक भागों में कोशिकाएँ बड़ी हो जाती हैं जिससे hypertrophy हो जाती है। इस प्रकार से पुष्प के विभिन्न अंग मांसल होकर फूल जाते हैं।
कवक की संरचना (Structure of Fungus)-Albugo अथवा Cystopus नामक कवक एक obligate परजीवी होता है। इस कवक का कवकजाल अन्तर्कोशिकीय, शाखित तथा संकेन्द्रिक होता है अर्थात् इसमें अनेक केन्द्रक पाए जाते हैं। इसमें पटों (septa) का अभाव होता है। यह क्रूसीफेरी कुल के सदस्यों की पत्तियों में रन्ध्र के द्वारा प्रवेश करता है। इसके कवकजाल (mycelium) से धुंडी के आकार (knob-shaped) के चूषकांग (haustoria) निकलते हैं। अलैंगिक जनन के समय इस कवकजाल (mycelium) से अनेक स्पोरेन्जियोफोर्स निकलते हैं जिनके शिखर से अनेक गोल बहुकेन्द्रीय स्पोरेन्जिया विकसित होती हैं।
रोकथाम (Control)—इसकी रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए
(1) जो पौधे संक्रमित (infected) हो गए हैं, उन्हें नष्ट कर देना चाहिए अथवा जला देना चाहिए।
(2) पौधों पर Bordeaux mixture का छिड़काव करना चाहिए।
(3) पौधों की रोगप्रतिरोधी किस्मों (resistant varieties) का प्रयोग करना चाहिए। (4) फसल चक्रण (crop rotation) अपनाना चाहिए।
|
||||||