Structure Of Stem Of Cycas BSc Botany Notes
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प्रश्न 6 – साइकस के तने की संरचना व द्वितीयक वृद्धि का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
साइकस के तने की संरचना __
(Structure of Stem of Cycas) Notes
तने की अनुप्रस्थ काट (T.S.) की बाह्यरेखा पर्णाधारों के कारण अनियमित होती है। सबसे बाहर की तरफ एककोशिकीय बाह्यत्वचा होती है। इसके नीचे बहुस्तरीय कॉर्टेक्स होता है, जो पैरेन्काइमा की कोशिकाओं का बना होता है। इसकी कोशिकाओं में मण्ड कण. म्यूसीलेज नलिकाएँ व वक्राकार पर्ण–अनुपथ (girdled leaf trace) मिलते हैं। कॉर्टेक्स के नीचे संवहन पूल (vascular bundles) एक वलय के रूप में व्यवस्थित होते हैं। इस स्थिति को विरलदारुक (manoxylic) कहते हैं। दो संवहन पूलों के मध्य विकसित मज्जा किरणें (medullary rays) मिलती हैं। प्रत्येक संवहन पूल संयुक्त (conjoint), कोलेटरल (collateral) तथा खुले (open) होते हैं। जाइलम एण्डार्क (endarch) होता है तथा इसमें वाहिकाएँ (vessels) अनुपस्थित (absent) होती हैं। प्रोटोजाइलम (protoxylem) में सर्पिल (spiral) तथा मेटाजाइलम (metaxylem) में सीढ़ीनुमा (scalariform) वाहिनिकाएँ (tracheids) मिलती हैं। फ्लोएम में चालनी नलिकाएँ (sieve tubes), पैरेन्काइमा तथा तन्तु (fibres) मिलते हैं। सहचर कोशिका (companion cell) का अभाव होता है। संवहन पूल का कैम्बियम कम समय तक क्रियाशील रहता है। एण्डोडर्मिस व पेरीसाइकिल स्पष्ट नहीं होते हैं। तने के मध्य में पैरेन्काइमा की कोशिकाओं से बनी पिथ होती जिसमें म्यूसीलेज नलिकाएँ भी मिल सकती हैं।
पर्ण अनुपथ (Leaf trace)-साइकस की पत्ती में मुख्य संवहन सिलिण्डर (mam. vascular cylinder) से अनेक पर्ण अनुपथ (leaf trace) प्रवेश करते हैं। इनमें से दो पत्तियों के ठीक सामने से निकलकर सीधे पत्ती में प्रवेश करते हैं। इनको सीधे अनुपथ (direct trace) कहते हैं। दो अन्य पर्ण अनुपथ पत्ती लगने के विपरीत स्थान से उत्पन्न होकर वैस्कुलर घेरे के सभी कॉर्टेक्स में घूमते हुए पत्ती में प्रवेश करते हैं। ऐसे पर्ण ट्रेसों को वलयन पर्ण अनुपथ wardling leaf trace) कहते हैं, कभी-कभी अन्य पत्ती के पर्ण अनुपथ भी कॉर्टेक्स में मिल जाते हैं।
द्वितीयक वृद्धि
(Secondary growth) Notes
पूलीय (intrafascicular) तथा अन्तरापूलीय (interfascicular) कैम्बियम मिलकर एक कैम्बियम वलय (cambium ring) का निर्माण करते हैं। इस वलय में अन्दर की तरफ द्वितीयक फ्लोएम (secondary phloem) बनती हैं। कुछ समय बाद यह वलय निष्क्रिय हो जाती है तथा कॉर्टेक्स की कोशिकाओं से दूसरी कैम्बियम वलय बनती है जिससे द्वितीयक ऊतकों का निर्माण होता है। इस प्रकार अनेक कैम्बियम वलय (कुछ साइकस स्पीशीज में 14 तक) बनते हैं। तने की इस प्रकार की अवस्था को पॉलीजाइलिक अवस्था (polyxylic condition) कहते हैं। जाइलम के ऊतक ढीले-ढाले रूप में व्यवस्थित (loosely arranged) रहते हैं। इस प्रकार की काष्ठ को विरलदारुक (manoxylic) कहते हैं।