Stelar System BSc 1st Year Botany Notes
Stelar System BSc 1st Year Botany Notes :- BSc Botany Question Answer Notes Sample Model Practice Papers Previous Year Notes Available. In This Site Dreamtopper.in is very helpful for all the Student. All types of Notes have been Made available on our Site in PDF Free through which you will get immense help in your Studies. In this post you will full information related to BSc Botany.
प्रश्न 10 – टेरिडोफाइटा के रम्भ तन्त्र (stelar system) पर एक निबन्ध लिखिए।
अथवा स्टील शब्द की परिभाषा दीजिए। अपने द्वारा पढ़े गए टेरिडोफाइटा में मिलने वाले विभिन्न प्रकार की स्टील्स का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर – स्टील (Steel) वानटीघम तथा डूलिएट (Van Tiegham and Douliot) के अनुसार, स्टील पौधे का मध्य (central core) भाग है। इसमें संवहन तंत्र, दो पूलों के मध्य का भाग या अन्तरापूलीय क्षेत्र (interfascicular region), पिथ तथा पेरीसाइकिल होते हैं : स्टील दो प्रकार की होती है।
टेरिडोफाइटा का रम्भ तन्त्र
(Stelar System of Pteridophyta)
Sachs (1875) के इस विचार के बाद कि किसी पौधे का रम्भ तन्त्र (stelar system) एक लगातार चलने वाला तन्त्र होता है, Van Tiegham तथा Douliot (1886) ने यह प्रतिपादित किया कि जड़ तथा तना मौलिक रूप से अपनी आन्तरिक रचना में लगभग एकसमान से ही होते हैं क्योंकि दोनों एक रम्भ को ढकते हैं। इस विचार के साथ Van Tiegham तथा Douliot (1886) ने रम्भ वाद को प्रतिपादित किया।
स्टील के प्रकार
(Types of Steles)
स्टील निम्न प्रकार की होती हैं –
- प्रोटोस्टील (Protostele)-प्रोटोस्टील में xylem का भाग पूरी तरह से phloem, pericycle तथा endodermis से घिरा रहता है। यह प्राथमिक प्रकार का स्टील होता है। इसमें पिथ नहीं पाया जाता है। Protostele निम्नलिखित प्रकार का होता है
(i) हेप्लोस्टील (Haplostele)–इसमें जाइलम का भाग पूरी तरह से फ्लोएम से घिरा रहता है। जैसे-Rhynia, Lycopodium cernuum तथा Selaginella kraussiana आदि।
(ii) एक्टिनोस्टील (Actinostele)–जब हेप्लोस्टील की केन्द्रीय जाइलम के भाग में बाहर की तरफ radiating किरणें निकली रहती हैं, तब इसे एक्टिनोस्टील कहते है। यह तारे के आकार का होता है जैसे—Psilotum में।
(iii) प्लोक्टोस्टील (Plectostele) एक actinostele की जाइलम कुछ लम्बी प्लोटों में बँट जाती है तब इसे plectostel कहते हैं; जैसे—-Lycopodiumnolubile में। इसमें भी पूरी जाइलम फ्लोएम से घिरी रहती है।
(iv) मित्र प्रोटोस्टील (Mixed Protostele)–Lycopodium cernuum तथा Gleichenia dichotoma आदि में xylem छोटे-छोटे xylem के टुकड़ों में बँट जाती है। इस तरह xylem के टुकड़े फ्लोएम में फंसे रहते हैं। ऐसे रम्भ को mixed protostele कहते हैं।
- साइफोनोस्टील (Siphonostele)-ऐसा प्रोटोस्टील जिसके केन्द्र में pith बन जाता है, साइफोनोस्टील कहलाता है। यह दो प्रकार का होता है
(i) एक्टोफ्लोइक साइफोनोस्टील (Ectophloic Siphonostele)-अगर साइफोनोस्टील में फ्लोएम जाइलम के केवल बाहर की तरफ ही उपस्थित रहती है, तब इसे एक्टोफ्लोइक साइफोनोस्टील कहते हैं; जैसे-Equisetum, Osmunda.
(ii) एम्फीफ्लोइक साइफोनोस्टील (Amphiphloic Siphonostele)-अगर किसी siphonostele में फ्लोएम जाइलम के दोनों तरफ (अन्दर तथा बाहर) होती है, तब इसे एम्फीफ्लोइक साइफोनोस्टील कहते हैं; जैसे–Marsilea का राइजोम।
(iii) सोलेनोस्टील (Solenostele)-~-यदि किसी साइफोनोस्टील में एक लीफ गैप (leaf gap) पैदा हो जाता है तो यह ‘C’ के आकार का हो जाता है तथा सोलेनोस्टील (solenostele) कहलाता है। यह भी phloem के बाहर तथा xylem के दोनों तरफ होने की परिस्थितियों में एक्टोफ्लोइक सोलेनोस्टील तथा एम्फीफ्लोइक सोलेनोस्टील कहलाता है।
(iv) डिक्टियोस्टील (Dictyostele) – यदि किसी साइफोनोस्टील में दो या दो से अधिक लीफ गैप आ जाते हैं तो जाइलम का भाग छोटे – छोटे टुकडों में बँट जाता है। ऐसे स्टील को डिक्टयोस्टील कहते है तथा प्रत्येक छोटे टुकडें को Meristele कहते है। जैसे – Dryopteris, Pteridium आदि।
|
||||||
9584102941
I like it you page I am proud up you
This is a good website