State Prove Carnot’s Theorem Notes
State Prove Carnot’s Theorem Notes:-Thermodynamics Relationships: Thermodynamic variables: extensive and intensive, Maxwell’s general relationships, application to Joule-Thomson cooling and adiabatic cooling in a general system,vander Waal’s gas, Clausius-Clapeyron heat equation. Thermodynamic potentials and equilibrium of thermodynamical systems, relation with thermodynamical variables. Cooling due to adiabatic demagnetization. Production and measurement of very low temperatures.
प्रश्न 15. कार्नो प्रमेय का वर्णन कीजिए और सिद्ध कीजिए।
State and prove Carnot’s theorem.
अथवा
सिद्ध कीजिए कि दो दिए गए तापों के बीच कार्य करने वाला कोई इंजन उन्हीं दो । तापों के बीच कार्य करने वाले उत्क्रमणीय इंजन से अधिक दक्ष नहीं हो सकता।
Prove that no engine working between two given temperatures can be more efficient than a reversible engine working between the same two temperatures.
अथवा
सिद्ध कीजिए कि दो दिए गए तापों के बीच कार्य करने वाले सभी उत्क्रमणा इंजनों की दक्षताएँ बराबर होती हैं।
Prove that the efficiencies of all reversible engines works between the same two temperatures are the same.
उत्तर : कार्नो की प्रमेय (Carnot’s Theorem)-इस प्रमेय के अनुसार दो निश्चित तापों के बीच कार्यरत कोई भी इंजन उन्हीं दो तापों के बीच कार्य करने वाले उत्क्रमणीय इंजन से अधिक दक्ष नहीं हो सकता है तथा दिए गए दो तापों के बीच कार्य करने वाले सभी उत्क्रमणीय इंजनों की दक्षताएँ समान होती हैं, चाहे कार्यकारी पदार्थ कुछ भी लिया गया हो।
उपपत्ति (Proof)-हम दो ऊष्मीय कुण्डों के बीच कार्य करने वाले एक अनुत्क्रमणीय इंजन I पर विचार करते हैं, जिसकी दक्षता उन्हीं कुण्डों के बीच कार्य करने वाले उत्क्रमणीय इंजन R से अधिक है। माना अनुत्क्रमणीय इंजन उच्च ताप कुण्ड, अर्थात् स्रोत से ताप T1 पर ऊष्मा Q1 लेता है और निम्न ताप कुण्ड अर्थात् सिंक को ताप T2 पर W कार्य करने के बाद शेष ऊष्मा Q1 – W दे देता है। इसकी दक्षता W/Q1 होगी। इसी प्रकार उत्क्रमणीय इंजन R स्रोत से Q1 ऊष्मा लेकर तथा W कार्य करके शेष ऊष्मा Q1 – W सिंक को दे देता है तथा इसकी दक्षता W/Q1 होती है।
अब इन दोनों इंजनों को इस प्रकार संयुग्मित करते हैं कि अनुत्क्रमणीय इंजन i उत्क्रमणीय इंजन R को विपरीत दिशा में चलाता है अर्थात् अब उत्क्रमणीय इंजन प्रशीतित्र (refrigerator) की भाँति कार्य करता है। यह प्रशीतित्र R सिंक से Q1 – W ऊष्मा ग्रहण करता है तथा अपने ऊपर Wकार्य करने के बाद Q1 ऊष्मा स्रोत को दे देता है। इस प्रकार दोनों इंजनों का संयुग्म एक स्वतःचालित (self-acting) मशीन की भाँति कार्य करता है, चूंकि प्रशीतित्र R को चलाने के लिए आवश्यक समस्त कार्य की आपूर्ति उत्क्रमणीय इंजन i द्वारा की जाती है। इस क्रिया में सिंक से ली गई ऊष्मा की मात्रा,
= (Q1 – W) – (Q1 – W )
= Q1 – Q1
जो एक धनात्मक राशि है। यह स्रोत को दी गई समस्त ऊष्मा की मात्रा के बराबर है, अत: इस संयुग्मित विधि का परिणामी प्रभाव यह हुआ कि (Q1 – Q1) ऊष्मा की मात्रा किसी बाह्य स्रोत की सहायता के बिना ही स्रोत को स्थानान्तरित कर दी जाती है, परन्तु यह निष्कर्ष ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम के विरुद्ध है, अतः हमारी मौलिक परिकल्पना कि कोई अनुत्क्रमणीय इंजन, उत्क्रमणीय इंजन से अधिक दक्ष है, गलत है। इनसे कानों के प्रमेय के प्रथम भाग की पुष्टि हो जाती है।
कानों प्रमेय के द्वितीय भाग को सिद्ध करने के लिए माना दो उत्क्रमणीय इंजन I तथा R किन्हीं दो निश्चित स्रोत व सिंक के बीच कार्यरत हैं। यह भी माना कि इंजन I दूसरे इंजन R को विपरीत दिशा में चलाता है। जहाँ यह स्पष्ट है कि ऊपर बताए अनुसार इंजन I, ऊष्मा R से अधिक दक्ष नहीं हो सकता है। ठीक इसी प्रकार, यदि R इंजन I को विपरीत दिशा में चलाता है तो वह भी I से अधिक दक्ष नहीं हो सकता। इससे हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि दोनों इंजन बराबर दक्ष हैं, अत: किन्हीं दो उत्क्रमणीय इंजनों की दक्षता उन्हीं स्रोत व सिंक के तापों पर निर्भर करती है तथा कार्यकारी पदार्थ से प्रभावित नहीं होती।
प्रश्न 16. एक उत्क्रमणीय ऊष्मा इंजन स्रोत से जितनी ऊष्मा लेता है उसका वाँ भाग कार्य में बदल देता है। सिंक का ताप 82°C कम करने पर उसकी दक्षता पहले से दुगुनी हो जाती है। स्रोत व सिंक के ताप ज्ञात कीजिए।
हल : माना इंजन स्रोत के केल्विन ताप T1 पर Q1 ऊष्मा लेता है तथा सिंक को केल्विन ताप T2 पर Q2 ऊष्मा दे देता है।
जो कि इंजन की दक्षता है। T2 को घटाकर T2 – 82K कर देने पर (82°C की कमी 82K की कमी के बराबर है) दक्षता दुगुनी अर्थात् 1/3 हो जाती है। अतः
(2) समीकरण (1) व (2) को हल करने पर,
T1 = 492K = 219°C
T2 = 410K = 137°C