Sexual Reproduction In Pteridium BSc Botany Notes
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प्रश्न 13 – टेरीडियम में लैंगिक जनन का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर –
टेरीडियम में लैंगिक जनन
(Sexual Reproduction in Pteridium) Notes
नर जननांग के पुंधानी (antherridium) तथा मादा जननांग को स्त्रीधानी | (archegonium) कहते हैं। दोनों जननांग एक ही प्रोथैलस पर होते है, परन्तु पुंपूर्वी | (prthandrous) लक्षण के होते हैं अर्थात् नर जननांग मादा से पूर्व परिपक्व हो जाते हैं। अतः प्रोफेनस उभयलिंगाश्रयी (monoecious) होता है।
पुंधानी (Antheridium)..ये रचनाएँ गोल गुम्बद (dome) की आकृति की तथा प्रोथैलस की सतह से बाहर (projected) निकली रहती हैं। इसकी भित्ति jacket) मोटाई में केवल एक कोशिका की होती है और यह तीन कोशिकाओं से बनी होती है-एक निचली प्रथम रिंग कोशिका (first ring cell), मध्य की द्वितीय रिंग कोशिका (second ring cell) तथा तीसरी ऊपरी कोशिका पुंधानी का ढक्कन बनाती है, इसे ढक्कन कोशिका (cap cell = operculum) कहते हैं। जैकेट के अन्दर गुहिका (cavity) में प्राथमिक पुंजनक कोशिकाएं (Prinary androgonial cells) होती हैं जो विभाजित होकर पुंजनक कोशिकाओं (androgonial cell) तथा फिर एण्ड्रोसाइट (androcyte) कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। ये । कोशिकाएँ अन्त में पुमणु (antherozoid) में रूपान्तरित हो जाती हैं। प्रत्येक पुमणु कुण्डलित (coiled), एक केन्द्रकयुक्त व बहुपक्ष्माभिकाय (multiciliated) होते हैं।
स्त्रीधानी (Archegonium) – स्त्रीधानियाँ शीर्ष खाँच के आस-पास समह में उत्पन्न होती है। प्रत्येक स्त्रीधानी एक फ्लास्कनुमा रचना होती है। इसके आधार के फूले हुए भाग अण्डधा (venter) पर जैकेट का अभाव होता है तथा यह भाग प्रोथैलस की ऊतकों में धँसा रहता है। ग्रीवा (neck) प्रोथैलस से बाहर निकली हुई सँकरी नलिकादार रचना है जिसके जैकेट का निर्माण चार ऊर्ध्व पंक्तियों में व्यवस्थित कोशिकाओं से होता है। प्रत्येक पंक्ति में चार-चार कोशिकाएँ होती हैं। वैसे ग्रीवा का मुख नीचे की ओर रहता है क्योंकि ये प्रोथैलस की अध्यक्ष सतह पर होती हैं। अण्डधा में अण्ड (egg) व एक छोटी अण्डधा नाल कोशिका (neck canal cell) होती है, परन्तु इसमें दो केन्द्रक (binucleated) रहते हैं।
निषेचन (Fertilization)—इनका निषेचन ठीक ब्रायोफाइट्स (रिक्सिया) के समान होता है अर्थात् निषेचन क्रिया हेतु जल आवश्यक होता है। इनमें रिक्सिया की भाँति श्लेष्म का निर्माण, आर्द्रताग्राही होने से बाहरी जल का अन्दर अवशोषण, आयतन बढ़कर दाब उत्पन्न करना स्त्रीजननांग में ग्रीवा नाल कोशिका व अण्डधा नाल कोशिका का विघटन होकर श्लेष्म बनना व इस श्लेष्म (मादा के) में मैलिक अम्ल की उपस्थिति तथा रसायन अनुचलन (chemotactic) क्रिया से पुमणुओं को आकर्षित करना, दबाव के कारण पुंधानी की ढक्कन कोशिका का खुलना इत्यादि क्रियाविधि होती हैं। अन्त में एक पुमणु अण्ड से संलयित (fuse) होकर युग्मनज (zygote) बनाता है।
भ्रूण व तरुण बीजाणुउद्भिद् (Embryo and Young Sporophyte)—युग्मनज द्वगुणित (diploid) रचना है। वैसे एक प्रोथैलस की अनेक स्त्रीधानियाँ. निषेचित होती हैं, परन्तु आगे जाकर केवल एक ही युग्मनज का परिवर्द्धन होने से एक ही तरुण बीजाणुद्भिद् मिलता है। युग्मनज का प्रथम विभाजन उदग्र (vertical) होने से दो कोशिकाएँ तथा फिर उदग्र विभाजन (पहले के समकोण) होने से चार तथा बाद में अनुप्रस्थ विभाजन से आठ कोशिकाएँ है। इन आठ कोशिकाओं के भ्रूण में आधार की ओर की चार कोशिकाएँ हाइपोबेसल (hypobasal) तथा शीर्ष की ओर की चार कोशिकाएँ एपीबेसल (epibasal) होती हैं। “” एपीबेलस से प्राथमिक मल बनती है तथा हाइपोबेसल से पाद (foot) व भ्रूणीय स्तम्भ (embryonal stem) बनता है। इस प्रकार शीघ्र ही एक तरुण बीजाणुउद्भिद् पादप का परिवर्द्धन होने से नये पादप का निर्माण हो जाता है।
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