Sexual Reproduction BSc 1st Year Botany Notes
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प्रश्न 7 – ऊडोगोनियम में लैंगिक प्रजनन का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
ऊडोगोनियम में लैंगिक प्रजनन (sexual reproduction) Notes
अण्डयुग्मकी (oogamous) प्रकार का होता है। इसमें कुछ जातियाँ monoecious तथा दूसरी dioecious हाती हैं। सभी dioecious जातियों को दो भागों में बाँटा जा सकता है ___
(1) Oedogonium की कुछ दूसरी जातियों में नर तन्तु (male filaments) का आकार काफी छोटा होता है। ऐसे नर तन्तुओं को छोटा नर (dwarf male) अथवा पुंवामन (nannandrium) कहते हैं तथा इन जातियों को nannandrous (पुंवामनीय) जातियाँ कहते हैं।
(2) कुछ जातियों में नर तथा मादा तन्तुओं की आकृति तथा आज होता है। ऐसी जातियों को macrandrous जातियाँ कहते हैं।
मैक्रैन्ड्रस जातियाँ (Macrandrous Species) . Notes
इन जातियों में antheridia टोपी कोशिकाओं (cap cells) में बनते हैं। Antheridium के बनने के समय पर कोशिका छोटे-छोटे भागों (comparine में विभाजित हो जाती है। इनमें से प्रत्येक भाग एक antheridium के रूप में कार्य करना प्ररम्भ कर देता है। प्रत्येक antheridium में 2 नर युग्मक (antherozoids) होते हैं। प्रत्येक नर युग्मक (male gamete) में एक केन्द्रक होता है तथा यह बहुकशामिन (multiflagellate) एवं एक कोशिका वाला होता है।
ऊडोगोनियम की अण्डधानी (oogonium) एक अण्डाकार या गोल आकृति की संरचना है, जिसके अन्दर एक अण्ड (egg) होता है। अण्ड एककेन्द्रकीय होता है। अण्डधानी के एक ओर receptive spot होता है। अण्डधानी के ठीक नीचे वाली कोशिका को suffultory कोशिका या supporting कोशिका कहते हैं।
नैनैन्ड्रस (पुंवामनीय) जातियाँ (Nannandrous Species) Notes
इन जातियों में नर कोशिकाओं को androsporangia कहते हैं। Androsporangia के निर्माण की प्रक्रिया ठीक उसी प्रकार से होती है जैसे कि Macrandrous जातियों में antheridia के बनने की अर्थात् इनके निर्माण के समय कोशिका बहुत सारे छोटे-छोटे compartments में बँट जाती है। Nannandrous जातियों में प्रत्येक ऐसे बने हुए compartment में केवल एक multiflagellate androspore बनता है। ये androspore एन्ड्रोस्पोरेन्जियम से निकलकर 0ogonium या supporting cell के ऊपर चिपकते हैं। ये androspores विकसित होकर बौना नर (dwarf male) या nannandrium बनाते हैं।
अगर ndrospore ऐसे तन्तुओं में ही बनते हैं जिनमें कि oogonium भी होती है, तब Dedogonium की ऐसी सभी जातियों को gynandrosporous जातियाँ कहते हैं लेकिन यदि androspore तथा oogonium अलग-अलग तन्तुओं में विकसित होते है, तब ऐसी Oedogonium की जातियों को idioandrosporous जातिया कहते है।
एऩ्डोस्पोर का विकास (Development of Androspore)- का विकास सबसे बाद में तभी होता है, जबकि यह oogonium अथवा supporting कोशिका के ऊपर आकर स्थापित हो जाता है। एन्ड्रोस्पोर (androspore) के ऊपर के भाग में 3-4 transverse विभाजन होते हैं और इससे 5-6 कोशिकाएँ बन जाती हैं। इस प्रकार निर्मित प्रत्येक कोशिका एक antheridium के रूप में कार्य करना शुरू करती है। प्रत्येक एन्थ्रीडियम (antheridium) में केन्द्रक विभाजित होकर दो भागों में बँट जाता है। इन दोनों केन्द्रकों के बाद में दो antherozoids बन जाते हैं। इस प्रकार प्रत्येक antheridium में 2 antherozoids बन जाते हैं। प्रत्येक पुमणु बहुकशाभिक (antherozoid multiflagellate) होता है। ये antherozoids अन्त में बाहर निकल जाते हैं तथा अण्ड को निषेचित करते हैं।
अण्डधानी (Oogonium)-Macrandrous तथा Nannandrous जातियों में अण्डधानी की रचना, आकार तथा दूसरे भाग लगभग एक से ही होते हैं। प्रत्येक अण्डधानी गोल या अण्डाकार होती है तथा प्रत्येक में एक पिण्ड होता है जिसमें एक केन्द्रक होता है।
निषेचन (Fertilization)—यह क्रिया Macrandrous तथा Nannandrous दोनों ही प्रकार की जातियों में एकसमान होती है। अण्ड के receptive spot द्वारा antherozoids को प्राप्त किया जाता है। Antherozoids अण्ड के निकट तक आते हैं और अन्त में इनमें से एक अण्ड के बिल्कुल निकट तक पहुँच जाता है। Plasmogamy तथा Karyogamy की क्रियाएँ होती हैं और अन्त में एक diploid zygote बनता है।
जाइगोट का विकास (Development of Zygote)-अण्डधानी की दीवार के फटने पर जाइगोट बाहर निकल जाता है। इसका diploid केन्द्रक meiosis द्वारा विभाजित होता है और इससे बाद में चार zoospores बनते हैं। प्रत्येक zoospore बाद में किसी आधार के ऊपर आकर टिक जाता है। इसके पश्चात् flagella झड़ जाते हैं तथा प्रत्येक zoospore से एक नया तन्तु बन जाता है।