Rhizophore Of Selaginella BSc Botany Notes
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प्रश्न 4 – सिलैजिनेला के राइजोफोर की आकारिकीय प्रकृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
सिलैजिनेला का राइजोफोर
(Rhizophore of Selaginella) Notes
सिलैजिनेला के राइजोफोर बिना पत्तियों वाले, जमीन के अन्दर की ओर को चलने वाले, अशाखित अंग होते हैं जो कि पौधे के तने के शाखित होने वाले स्थान से निकलते हैं। राइजोफोर अग्र भाग पर शाखित हो जाता है तथा इन शाखाओं को जड़ कहते हैं।
राइजोफोर की आकारिकीय प्रकृति सदा ही विवाद का विषय रही है। Cussik (1954) के अनुसार राइजोफोर एन्जिल मेरिस्टेंम (angel meristem) से विकसित होता है जो कि तने
के शाखित होने वाले स्थानों पर पाया जाता है। Selaginella martensii नामक जाति में एन्जिल मेरिस्टेम से एक के बजाय दो राइजोफोर निकलते हैं। इनमें से एक की स्थिति ventral तथा दूसरे की स्थिति dorsal होती है। Selaginella martensii का ventral राइजोफोर सदा छोटा रहता है, जबकि इसका dorsal राइजोफोर जमीन में काफी गहरा चला जाता है तथा इसके अग्र भाग पर जड़ें भी विकसित होती हैं।
सिलैजिनेला के राइजोफोर की आकारिकीय प्रकृति के बारे में वैज्ञानिकों ने बहत-से विचार रखे हैं तथा उनके आधार पर तीन प्रकार की धारणाएँ बनी हैं। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार राइजोफोर एक परिवर्तित तना है जिस पर अपस्थानिक जड़ें विकसित होती हैं, जबकि कुछ दसरे वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि राइजोफोर एक जड़ है। इसी के साथ कुछ वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि राइजोफोर न तो एक तना है और न ही एक जड़ है वरन् यह एक Organ Sui Generis है जिसका अर्थ होता है दोनों (जड़ और तने) के बीच में कोई अंग। इन विभिन्न मतों का विश्लेषण इस प्रकार है –
- राइजोफोर के जड़ की तरह के गुण (Root-like Characters of Rhizophore)-वान टीगम (Van Tieghem), अपहोफ (Uphoff), हार्वे (Harvey) आदि कुछ ऐसे वैज्ञानिक रहे हैं जो ऐसा मानते हैं कि राइजोफोर एक जड़ है क्योंकि इसमें अग्रलिखित गुण होते हैं
(1) इस पर कोई पत्ती नहीं होती है।
(2) ये सदा जमीन की तरफ को ही बढ़ते हैं।
(3) राइजोफोर की आन्तरिक रचना भी जड़ से काफी मिलती-जुलती होती है।
(4) इसका संवहन तन्त्र (stele) भी जड़ की तरह से मोनोस्टीलिक (monostelic) होता है।
- राइजोफोर के तने की तरह के गुण (Stem-like Characters of . Rhizophore)-बुकमैन, ड्रब, फिफर, ट्रोल, शुटे, वोर्सडल आदि कुछ ऐसे ., वनस्पतिविज्ञ हैं जो राइजोफोर को तना मानते हैं क्योंकि इसमें निम्नलिखित गुण होते हैं
(1) राइजोफोर की उत्पत्ति exogenous होती है।
(2) राइजोफोर की विशेष प्रकार के angel-meristem से उत्पत्ति होती है।
(3) इसमें मूल रोम (root hair) नहीं होते हैं।
(4) इसमें मूल गोप (root cap) नहीं होती है।
(5) कुछ विशेष प्रयोगों के द्वारा राइजोफोर के ऊपर पत्तियाँ उगाई जा सकती हैं।
3. राइजोफोर एक ऑर्गन सुई जेनेरिस है (Rhizophore is an Organ Sui-Generis)-अपने कुछ प्रयोगों के आधार पर बोवर एवं गोइबल नामक वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि राइजोफोर में कुछ गुण जड़ की तरह के एवं कुछ गुण तने की तरह के होते हैं और इसीलिए वह न तो जड़ है और न हो तना बल्कि दोनों के बीच की एक रचना है। इस प्रकार की रचनाएँ Organ Sui-Generis भी कहलाती हैं।