Reproduction In Actocarpus BSc 1st Year Botany Notes

Reproduction In Actocarpus BSc 1st Year Botany Notes

 

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प्रश्न – 3 एक्टोकार्पस में जनन का सचित्र वर्णन कीजिए। अथवाएक्टोकार्पसके लैंगिक जनन का वर्णन कीजिए। 

उत्तर – 

एक्टोकार्पस में जनन

(Reproduction in Actocarpus)

एक्टोकार्पस में अलैंगिक व लैंगिक जनन पाया जाता है।

अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction) 

एक्टोकार्पस में अलैंगिक जनन द्विकशाभिक चल बीजाणुओं के द्वारा होता है जो बहकोष्ठीय (multilocular) तथा एककोष्ठीय (unilocular) बीजाणुधानियों (sporangia) में बनते हैं।

(i) एककोष्ठीय बीजाणुधानी (Unilocular Sporangium)-छोटी शाखा की अन्तस्थ कोशिका दीर्घित (enlarge) होकर एककोष्ठीय बीजाणुधानी में परिवर्तित हो जाती है। यह गोल अथवा अण्डाकार होती है। इसका केन्द्रक द्विगुणित (diploid) होता है।

Reproduction In Actocarpus
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क्रोमेटोफोर की संख्या बहुत अधिक हो जाती है तथा केन्द्रक सर्वप्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन से विभाजित होता है। इसके पश्चात् बार-बार सूत्री विभाजन से 32-64 केन्द्रक बनते हैं। इन केन्द्रकों (x) के चारों ओर थोड़ा-थोड़ा कोशिकाद्रव्य एकत्रित हो जाता है। ।

प्रत्येक चल बीजाणु अगुणित एककेन्द्रकीय तथा द्विकशाभिक होता है। कशाभिकाएँ पार्श्व में स्थित होती हैं। एक कशाभिका व्हिपलेश प्रकार की छोटी व दूसरी कशाभिका टिनसेल प्रकार की व लम्बी होती है। टिनसेल कशाभिका अग्रदिशा की ओर तथा व्हिपलेश कशाभिका पश्च दिशा की ओर होती है। बीजाणुधानी का अग्रभाग गल जाने से बीजाणु जल में वियोजित हो जाते हैं। ये सभी बीजाणु पहले एक जिलेटिन में धंसे होते हैं। जिलेटिन के गलने से सभी बीजाणु जल में स्वतन्त्र रूप से तैरते हैं।

कुछ समय तक सभी दिशाओं में तैरने के पश्चात् किसी आधार से ये चिपक जाते हैं। कशाभिका नष्ट हो जाती है तथा बीजाणु के चारों ओर एक भित्ति निर्मित होती है। एक जर्म ट्यूब इसमें से बाहर निकलती है तथा श्यान तन्त्र बनता है। इसमें से ही फिर ऊर्ध्व तन्त्र बनकर पूर्ण पादप बन जाता है क्योंकि जीवाणु अगुणित होते हैं। अत: बनने वाला पादप युग्मकोद्भिद् (gametophyte) होता है।

(ii) बहुकोष्ठीय बीजाणुधानी (Multilocular Sporangium)-बहुकोष्ठीय बीजाणुधानी पार्श्व शाखा की अन्तस्थ कोशिका से विकसित होती है। यदि यह बीजाणुधानी द्विगुणित पादप पर बनती है तो इसे बीजाणुधानी अथवा न्यूट्रल बीजाणुधानी भी कहते हैं। परन्तु यह संरचना यदि अगुणित पादप पर बनती है तो इसे युग्मकधानी कहते हैं। बहुकोष्ठीय बीजाणुधानी वृन्ती (stalked) अथवा अवृन्ती (sessile) होती हैं। ये विभिन्न आकार की होती हैं (चित्र)। प्रथम कोशिका (initial cell) में अनुप्रस्थ विभाजनों से 6-12 कोशिकीय एक तन्तु बन जाता है (चित्र-A-D)। इनमें अब लम्बवत् विभाजन मध्य कोशिका से आरम्भ होता है। बार-बार अनुप्रस्थ व लम्बवत् विभाजनों से कुछ सौ कोशिकाओं की एक 20-40 स्तरों पर बहुकोष्ठीय संरचना बनती है (चित्र-E, F)। प्रत्येक कोशिका घनाकार (cubical) होती है। प्रत्येक कोशिका के जीवद्रव्य रूपान्तरण से एक द्विकशाभिक द्विगुणित चल बीजाणु बनता है। इसकी संरचना अगणित चल बीजाणु (एककोष्ठीय बीजाणुधानी से बनने वाला) के समान ही होती है। यह एककेन्द्रकीय तथा नाशपाती के आकार की होती है। दोनों कशाभिक भिन्न-भिन्न आकार व प्रकार के जैसे टिनसेल (लम्बी) तथा व्हिपलेश (छोटी) होते हैं। दोनों प्रकार के चल बीजाणु में केवल इतना अन्तर होता है कि एक द्विगुणित व दूसरा अगुणित होता है। संरचना में दोनों समान हैं। इसके अंकुरण से द्विगुणित पादप अर्थात् बीजाणुउद्भिद् बनता है

Reproduction In Actocarpus
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लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) 

एक्टोकार्पस में असमयुग्मकी अथवा कार्यिकी असमयुग्मकी (Physiological anisogamy) ए० सिलिकुलोसस (E. siliculosus) में आकारिकी असमयुग्मकी (morphological anisogamy) तथा ए० सेकेण्डस (E. secundus) में समयुग्मकी (isogamy) लैंगिक जनन मिलता है। युग्मक बहुकोष्ठीय. युग्मकधानी (multilocular gametagium) में अगुणित युग्मकोद्भिद पर विकसित होते हैं। संरचना व विकास में बहुकोष्ठीय युग्मकधानी बहुकोष्ठीय बीजाणुधानी के समान होती है। युग्मकधानी बहुकोष्ठीय अवृन्तीय अथवा वृन्ती संरचना है। प्रत्येक कोशिका से एक युग्मक बनता है। युग्मक भी संरचना में चल बीजाणु के समान होते हैं, परन्तु ये अगुणित व बहुत छोटे होते हैं।

युग्मक जल में विभाजित होते हैं। ए० ग्लोबीफेर (E. globifer) में समयुग्मकी जनन होता है। दोनों युग्मक धनी या ऋणी (+ तथा – ) होते हैं। ये आकारिकी व कार्यिकी में समान होते हैं। इनमें संलयन से जाइगोट बनता है। इस प्रकार के युग्मक एक ही युग्मकधानी से भी बन सकते हैं

जिन प्रजातियों में कार्यिकी असमयुग्मन मिलता है उनमें दोनों युग्मक आकारिकी में समान, परन्तु कार्यिकी में असमान होता है। मादा युग्मक बहुत धीमी गति से चलता है, परन्तु युग्मकों की गति तीव्र होती है। मादा युग्मक कुछ समय पश्चात् विश्राम अवस्था में आ जाता है तथा आधार पर चिपक जाता है।

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