Preservation Of Food Materials BSc 1st Year Botany Notes
Preservation Of Food Materials BSc 1st Year Botany Notes :- This Post is very useful for all the Student Botany. This post will provide immense help to all the students of BSc Botany. You will get full information Related to BSc Botany in over site. In this post I have given all the information related to BSc Botany Completely.
खण्ड ‘द‘
प्रश्न 1 – खाद्य पदार्थों का प्रिजर्वेशन किस प्रकार करेंगे? विस्तार से लिखिए।
उत्तर –
खाद्य पदार्थों का प्रिजर्वेशन ।
(Preservation of Food Materials) Notes
खाद्य पदार्थों के प्रिजर्वेशन की निम्नलिखित विधियाँ हैं
- कैनिंग (Canning)-डिब्बे में बन्द खाद्य पदार्थ आमतौर पर खाने के लिए लम्बे समय तक सुरक्षित रहते हैं। इनको भाप द्वारा 15 पौण्ड दाब पर करीब 15-20 मिनट तक गर्म किया जाता है। इस क्रिया में तापमान 121°C तक रहता है। इसके फलस्वरूप सभी जीवाणु
और उनके स्पोर नष्ट हो जाते हैं।
- पाश्चुरीकरण (Pasteurization)-इसका प्रयोग सर्वप्रथम लुई पाश्चर ने किया था। इसमें दूध को लगभग 62°C पर 30 मिनट तक गर्म किया जाता है या 71.7°C पर 15 सेकण्ड तक गर्म करते हैं। इससे दूध में साधारण रूप से मिलने वाले टाइफॉइड व क्षय
रोग आदि के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, परन्तु इस विधि द्वारा एण्डोस्पोर बनाने वाले जीवाणु नष्ट के जीवन नहीं होते हैं।
- कम ताप पर संचय (Low Temperature Storage)-दैनिक उपयोग में आने वाले खाद्य पदार्थों को फ्रीज (fridge) या फ्रीजर (freezer) में कम ताप पर रखा जाता है जिससे वे अधिक समय तक खाने योग्य रह सकें। कम ताप पर जीवाणु मरते तो नहीं हैं. परन्त उनकी उपापचयी तथा वृद्धि आदि क्रियाएँ पूर्ण रूप से रुक जाती हैं। इस विधि से अण्डे, मांस, मछली, फल, सब्जियाँ, फलों का रस आदि का प्रिजर्वेशन किया जाता है। फल, अण्डे. मांस. फलो के रस आदि को लम्बे समय तक बहुत कम ताप पर (-10°C से -18°C) पर शीतसंग्रहाकार (cold storage) में सुरक्षित रखा जा सकता है। इतने कम ताप पर freezer में रखने से लगभग सभी जीवों की सक्रियता समाप्त हो जाती है। इस क्रिया की हिमीकरण (freezing) भी कहते हैं।
अधिक ताप जीवाणुओं के लिए माइक्रोसाइडल (microcidal अर्थात् उन्हें मृत करने वाला) तथा कम ताप माइक्रोस्टैटिक (microstatic अर्थात् उनकी वृद्धि राकन वाला) होता है।
- निर्जलीकरण (Dehydration)-निर्जलीकरण की क्रिया धूप या हवा में सुखाका या ऊष्मा देकर की जाती है। खाद्य पदार्थों (जैसे—मांस, मछली, फल, सब्जी आदि) का पानी निकल जाने पर वे अधिक समय तक सुरक्षित रह सकते हैं तथा जीवाणु उनको सुगमता से दूषित नहीं कर पाते हैं।
- परिरक्षी का प्रयोग (Use of Preservatives) अचार तथा मुरब्बा में अधिक मात्रा में नमक तथा चीनी डालने से जीवाणु व कवक आदि का जीवद्रव्यकुंचन (plasmolysis) हो जाता है जिससे ये पदार्थ अधिक समय तक सुरक्षित रहते हैं। यदि अचार में नमक तथा मुरब्बे में चीनी की मात्रा कम हो तो जीवाणु व कवक बहुत तेजी के साथ इन परवृद्धि करते हैं और ये पदार्थ खाने योग्य नहीं रहते हैं। आजकल कुछ सायनिक पदार्थ भी प्रिजर्वेटिव्ज की भाँति प्रयोग में लाए जाते हैं। उनमें से बेन्जोइक अम्ल (benzoic acid), कहते हैं। इस सोरबिक अम्ल (sorbic acid) तथा ऐसीटिक अम्ल (acetic acid) प्रमुख हैं। नाइट्रेट व नाइट्राइट का प्रयोग मांस (meat) के प्रिजर्वेशन में किया जाता है।
|
||||||