Physics Angular Momentum Conserved Notes
Physics Angular Momentum Conserved Notes:-Simple harmonic motion, differential equation of S.H.M. and its solution, uses of complex notation, damped and forced vibrations composition of simple harmonic motion.
प्रश्न 24. सिद्ध कीजिए कि जब कोई कण केन्द्रीय बल के अन्तर्गत गति करता है, तब
(अ) कोणीय संवेग संरक्षित रहता है
(ब) कण एक निश्चित तल में गति करता है
(स) त्रिज्या वेक्टर का क्षेत्रीय वेग नियत रहता है।
When a particle moves under a central force, prove that:
(a) the angular momentum is conserved
(b) the particle moves in a fixed plane :
(c) the areal velocity of the radius vector remains constant. .
उत्तर : (अ) केन्द्रीय बल के अन्तर्गत गतिमान कण का कोणीय संवेग सदैव संरक्षित रहता है— किसी बाह्य बलाघूर्ण की अनुपस्थिति में, किसी कण अथवा कणों के निकाय का कोणीय संवेग नियत रहता है। यह कोणीय संवेग संरक्षण का सिद्धान्त है।
अब, केन्द्रीय बल सदैव एक स्थिर बिन्दु की ओर अथवा उससे दूर की ओर दिष्ट रहता है। अत: इसका उस बिन्दु के परितः आघूर्ण नहीं हो सकता। इस कारण जब कोई कण केन्द्रीय बल के अन्तर्गत गति करता है तो कण पर कोई बलाघूर्ण नहीं लगता। अतः कण का बल के केन्द्र के परित: कोणीय संवेग संरक्षित रहता है
इस निष्कर्ष को गणितीय रूप से सिद्ध करने के लिए, माना कोई कण निम्न केन्द्रीय बल
के अन्तर्गत गतिमान है
इस प्रकार, केन्द्रीय बल के अन्तर्गत कण का कोणीय संवेग नियत (संरक्षित) है। उदाहरणार्थ, सूर्य के परितः पृथ्वी का कोणीय संवेग तथा हाइड्रोजन परमाणु में नाभिक के परितः इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग संरक्षित होता है।
(ब) केन्द्रीय बल के अन्तर्गत गतिमान कण सदैव एक निश्चित तल में गति करता है— माना किसी क्षण गतिमान कण का स्थिति-वेक्टर तथा वेग-वेक्टर v दोनों X-Y तल में हैं। वेक्टर गुणन की परिभाषा के अनुसार, कण का कोणीय संवेग L (= r x p= r xm v)Z-अक्ष की दिशा में होगा, चूँकि केन्द्रीय बल के अन्तर्गत, L का परिमाण व दिशा दोनों नियत हैं। अत: L सदैव Z-अक्ष की दिशा में ही रहेगा। इसके लिए, व v सदैव X-Y तल में ही रहेंगे, अर्थात् कण इसी तल में गति करेगा।
उदाहरणार्थ, प्रत्येक ग्रह (planet) सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार (elliptical) कक्षा में चक्कर लगता है तथा सूर्य की कक्षा के एक फोकस पर होता है (चित्र-31)। सूर्य S द्वारा । ग्रह पर लगने वाला गुरुत्वीय बल F, सदैव S की ओर लगता है, अर्थात् ग्रह ‘केन्द्रीय बल के अन्तर्गत गति करता है। अत: ग्रह का कोणीय संवेग L (= r x mv) परिमाण व दिशा में S के सापेक्ष नियत है।
चूँकि तथा v दोनों सदैव L के लम्बवत् हैं, ग्रह की कक्षा सदैव L के लम्बवत् एक b निश्चित तल में रहती है।
(स) केन्द्रीय बल के अन्तर्गत गतिमान कण का क्षेत्रीय वेग (Areal Velocity) नियत रहता है— पुनः ग्रहीय गति (planetary motion) का उदाहरण लेते हुए, माना कि S तथा P (चित्र-32) क्रमशः सूर्य तथा ग्रह (द्रव्यमान m) के केन्द्र हैं। माना ग्रह का s के सापेक्ष त्रिज्या-वेक्टर
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