प्रश्न 12. डाइईन क्या है? डाइईन का वर्गीकरण कीजिए। ब्यूटाडाइईन-1, 3 के निर्माण की विधियों तथा गुणों का वर्णन कीजिए।
संयुग्मित डाइईन, असंयुग्मित डाइईनों से अधिक स्थायी क्यों होते हैं?
अथवा डाइईन क्या है? उनको वर्गीकृत कीजिए तथा डाइईन को बनाने की विधियाँ लिखिए।
अथवा डाइल्स-ऐल्डर अभिक्रिया (डील्स-ऐल्डर अभिक्रिया)उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर : डाइईन
दो कार्बन-कार्बन द्वि-बन्ध, C=C युक्त ऐल्कीन को डाइईन कहते हैं। इनका सामान्य सूत्र CnH2n–2, Hansa होता है। ये निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं—
- विलगित डाइईन (Isolated diene)-जिन ऐल्कीनों में दो द्वि-बन्ध होते हैं तथा ये द्वि-बन्ध एक या अधिक संतृप्त कार्बन परमाणुओं से पृथक् रहते हैं, विलगित डाइइन कहलाते हैं।
- संचयी डाइईन (Cumulative diene)-जिन ऐल्कीनों में दो द्वि-बन्ध समीपवर्ती स्थानों पर होते हैं, उन्हें संचयी डाइईन कहते हैं।
ये डाइईन अल्प स्थायी होते हैं तथा इनमें त्रि-बन्ध वाले हाइड्रोकार्बन में परिवर्तित होने की प्रवृत्ति होती है; जैसे—
- संयुग्मित डाइईन (Conjugated diene) इनमें एकान्तर एकल वन्ध व द्वि-बन्ध होते हैं।
बनाने की विधियाँ
1, 3-ब्यूटाडाइईन को निम्नलिखित प्रकार से बनाया जाता है
- n-ब्यूटेन के उत्प्रेरित विहाइड्रोजनीकरण द्वारा 1, 3-ब्यूटाडाइईन प्राप्त होता है।
- साइक्लोहेक्सीन के विच्छेदन द्वारा ब्यूटा-1, 3-डाइईन प्राप्त होता है।
- ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ 1, 4-डाइक्लोरोब्यूटेन को गर्म करने पर ब्यूटा-1, 3-डाइईन प्राप्त होता है।
- एथिल ऐल्कोहॉल तथा ऐसीटेल्डिहाइड के मिश्रण को गर्म उत्प्रेरक के ऊपर प्रवाहित पर ब्यूटा-1, 3-डाइईन प्राप्त होता है।
- 1, 4-ब्यूटेन यंटेन डाइऑल के अम्लीय उत्प्रेरित निर्जलीकरण से ब्यूटा-1, 3-डाइईनप्राप्त होता है।
गुणधर्म
11:4 तथा 1 : 2 ( या 3 : 4 ) योग- द्वि-बन्धों के संयुग्मी तन्त्र वाले डाइईन असामान्य योग अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं; जैसे-ब्यूटा-1, 3-डाइईन ब्रोमीन (एक अण) से अभिक्रिया करके दो डाइब्रोमो व्युत्पन्न उत्पन्न करता है। इनमें से एक 3, 4-डाइब्रोमो 1-ब्यूटीन (1 : 2 योग) तथा अन्य 1, 4-डाइब्रोमो-2-ब्यूटीन (1 : 4 योग) होता है। . (i) ब्रोमीन की उपस्थिति में ब्यूटाडाइईन इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव प्रदर्शित करता है।
आयनीकृत होने वाले विलायक में ब्रोमीन अणु आंशिक रूप से Br-Br में ध्रुवित होता है। ध्रुवित ब्रोमीन अणु आंशिक ब्यूटाडाइईन अणु से संयोग करके कार्बोनियम आयन तथा ऋणात्मक ब्रोमाइड आयन देता है।
कार्बोनियम आयन निम्न संरचनाओं (I) व (II) का अनुनाद संकर है-
ऋणात्मक ब्रोमाइड आयन धनात्मक कार्बन परमाण से संयक्त होकर 1:4 तथा (या 3 : 4) योगशील उत्पादों का मिश्रण बनाता है।
(ii) हैलोजेन अम्लों (हाइड्रोब्रोमिक अम्ल)का योग- कम ताप पर 1:2 उत्पाद तथा उच्च ताप पर 1 : 4 योगशील उत्पाद अधिक बनता है।
क्रियाविधि-अभिक्रिया की क्रियाविधि इस प्रकार है—
मार्कोनीकॉफ नियम के अनुसार प्रोटॉन द्वि-बन्ध पर आक्रमण करके स्थायी अनुनादी कार्बोनियम आयन उत्पन्न करता है।
(iii) उत्प्रेरक की उपस्थिति में H2 से संयोग—
(iv) डाइल्स-ऐल्डर अभिक्रिया— ब्यूटाडाइईन का ऐल्कीन से 1 : 4 के अनुसार योग हाता है और चक्रीय यौगिक संश्लेषित होते हैं। इस अभिक्रिया को डाइल्स-ऐल्डर अभिक्रिया कहत हैं। ऐल्कीन को सामान्यतः डाइनाफिल कहते हैं। इनमें इलेक्ट्रॉन-आकर्षित समूह जुड़े होते है जैसे-COOH,-CN,-COR आदि। उदाहरण-ब्यूटाडाईन की अभिक्रिया, पान के साथ उच्च ताप पर कराने पर 1.4 योगशील उत्पाद हेक्सीन बनता है।
- SO2 से अभिक्रिया- चक्रीय सल्फोन प्राप्त होते हैं।
- बहुलीकरण- पेन्टाऑक्साइड की उपस्थिति में बहुलीकृत होकर पॉलि (ब्यूना-रबड़) देता है।
पॉलिब्यूटाडाइईन (ब्यूना-रबड़)
संयुग्मित डाइईनों का असंयुग्मित डाइईनों की अपेक्षा अधिक स्थायित्व
आण्विक कक्षक अवधारणा के अनुसार ब्यूटाडाइईन का प्रत्येक कार्बन परमाणु sp-संकरित होता है। ब्यूटा-1, 3-डाइईन के प्रत्येक कार्बन परमाणु में असंकरित p-कक्षक होते हैं। अत: कार्बन-2 का p-कक्षक या तो कार्बन-1 या कार्बन-35 p-कक्षक के साथ अतिव्यापित होता है।
इसी प्रकार कार्बन-3 पर कक्षक कार्बन-2 या कार्बन-4 के साथ अतिव्य पाई-बन्ध बनाता है। ग-इलेक्ट्रॉन का प्रत्येक युग्म न केवल दो कार्बन परमाणुआत कार्बन परमाणुओं से आकर्षित होता है।
कार्बन-2 व कार्बन-3 के p-कक्षकों का अतिव्यापन दोनों दिशाओं में -इलेक्टॉनों को विस्थानीकृत होने में सहायता करता है। ग-इलेक्ट्रॉनों का विस्था ब्यूटाडाइईन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए उत्तरदायी होता है। इस तथ्य को बन मापन से तथा दहन ऊष्मा या हाइड्रोजनीकरण ऊष्मा के अध्ययन से भी बल मिलता है