प्रश्न 10. (ब) प्रोपीन की HBr के साथ अभिक्रिया लिखिए। इस अभिक्रिया की परॉक्साइड की उपस्थिति तथा परॉक्साइड की अनुपस्थिति में क्रियाविधि दीजिए। अथवा मार्कोनीकॉफ नियम एवं खैरश्च प्रभाव पर टिप्पणी लिखिए। अथवा मार्कोनीकॉफ नियम पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। अथवा मार्कोनीकॉफ का नियम तथा उसकी क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर : प्रोपीन की क्रिया HBr के साथ कराने पर ब्रोमोप्रोपेन बनता है।
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परॉक्साइड की उपस्थिति में प्रोपीन की HBr से क्रिया— जब HBr प्रोपीन के साथ कार्बनिक परॉक्साइडों की उपस्थिति में अभिक्रिया करता है तो मुख्य उत्पाद के रूप में 1-ब्रोमो प्रोपेन बनता है। इसको असामान्य योग या एण्टीमार्कोनीकॉफ योग भी कहते हैं, अर्थात् एण्टीमार्कोनीकॉफ योग नियम के अनुसार, योगशील असममित अभिकर्मक का ऋणात्मक भाग असममित ऐल्कीन के द्वि-आबन्ध से बन्धित उस कार्बन परमाणु से जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या अधिक होती है।
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उपस्थिति ब्रोमोप्रोपेन उपर्युक्त प्रभाव को परॉक्साइड प्रभाव कहते हैं। इसका अध्ययन खैरश्च ने सन् 1933 में किया। अतः इसको खैरश्च प्रभाव भी कहते हैं। इसको डाइफेनिल ऐमीन अथवा कैटिकोल डालकर समाप्त किया जा सकता है। HF, HCl तथा HI परॉक्साइड प्रभाव नहीं दिखाते हैं क्योकि यह अभिक्रिया मुक्त मूलक अभिक्रिया का उदाहरण है, अतः इसमें HF तथा HCl, F व Cl की विद्युत ऋणात्मकता अधिक होने के कारण मुक्त मूलक नहीं बना पाते हैं, जबकि HI का मुक्त
मूलक I’ अस्थायी होता है, जो शीघ्र ही I2 में परिवर्तित हो जाता है।
क्रियाविधि— यह अभिक्रिया मुक्त मूलक क्रिया के आधार पर निम्न पदों की सहायता से समझायी जा सकती है
पद (i) : श्रृंखला प्रारम्भन पद— परॉक्साइड होमोलिटिक (समांगी) विदलन द्वारा विघटित होकर मुक्त मूलक देता है।
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(ii) : श्रृंखला संचरण पद— (i) प्रथम पद से प्राप्त मुक्त मूलक HBr पर। आक्रमण करके ब्रोमीन मुक्त मूलक (Br) बनाता है।
(ii) यह B मुक्त मूलक प्रापान कद— आवन्य को या तो द्वितीयक गवत गलक या C-2 पर जुड़कर एक प्राथमिक मुक्त मलका गवत मूलक अधिक स्थायी होता है जो HBr से अभिक्रिया – अभिक्रिया तब तक चलती है जब तक पूर्ण अभिकारक उत्पाद में परिवर्तित नहीं होता है।
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(iii) : श्रृंखला समापन पद—इस पद में विभिन्न मुक्त मलक आपस में सका। होकर उदासीन अणु बनाते हैं जो मुख्य उत्पाद के अतिरिक्ति सहउत्पाद होते हैं।
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परॉक्साइड की अनुपस्थिति में प्रोपीन की HBr से क्रिया– जब HBr साथ ऑक्सीजन या परॉक्साइड की अनुपस्थिति में अभिक्रिया करता है तो श्रोमाइड बनता है।
इस प्रकार के योग को मार्कोनीकॉफ योग भी कहते हैं अर्थात् मार्कोनीकाफ अनुसार, “किसी योगशील अभिकर्मक (असममित अभिकर्मक) का ऋणात असममित ऐल्कीन के द्वि-आबन्ध से बन्धित उस कार्बन परमाणु से जुड़ता है, जि कम-से-कम हाइड्रोजन परमाणु जुड़े होते हैं।”
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क्रियाविधि— प्रोपीन की HBr से अभिक्रिया का उदाहरण लेकर इसकी क्रियाविधि को म्न पदों की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है—
प्रथम पद (i) : HBr से इलेक्ट्रॉनस्नेही का बनना— इस पद में H-Br के एरोलिटिक (विषमांगी) विदलन से इलेक्ट्रॉनस्नेही H व नाभिकस्नेही Br आयन बनते हैं।
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द्वितीय पद (ii) : कार्बोनियम आयन का बनना— इस पद में इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रोपीन के C=C आबन्ध से एक C—H आबन्ध बनाकर, कार्बोनियम आयन बनाता है।
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तृतीय पद (iii) : योगशील उत्पाद का बनना— इस पद में कार्बोनियम आयन भिकस्नेही Br- आयन को आकर्षित करके अन्तिम उत्पाद बनाता है।
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