Mention Advantages over Maxwell’s Bridge

Mention Advantages over Maxwell’s Bridge

Mention Advantages over Maxwell’s Bridge:-Semiconductors, intrinsic and extrinsic semiconductors, n-type and p-type semiconductors, unbiased diode, forward bias and reverse bias diodes, diode as a rectifier, diode characteristics, zener diode, avalanche and zener breakdown, power supplies, rectifier, bridge rectifier, capacitor input filter, voltage regulation, zener regulator. Bipolar transistors three doped regions, forward and reverse bias, D.C. alpha, D.C. beta transistor curves.

 

 

प्रश्न 7. किसी कुण्डली का स्वप्रेरकत्व ज्ञात करने के लिए एन्डरसन के सेतु का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। मैक्सवेल के सेतु की तुलना में इसके लाभ बताइए। 

Describe briefly Anderson’s bridge for the measurement of self-inductance of a coil. Mention its advantages over Maxwell’s bridge. 

उत्तर : एन्डरसन का L-C सेतु— एन्डरसन सेतु मैक्सवेल सेतु का एक संशोधित रूप है। इसमें द्वि-सन्तुलन केवल प्रतिरोधों के परिवर्तन से प्राप्त किया जा सकता है जबकि मानक धारिता का मान नियत रखा जाता है इस सेतु में एक परिवर्ती प्रेरणहीन प्रतिरोध को संसचक (detector) भुजा में रखा जाता है तथा संधारित्र (C4) को R4 व r के सिरों के बीच जोड़ा जाता है (चित्र-28)

Mention Advantages over Maxwell's Bridge
Mention Advantages over Maxwell’s Bridge

 

 

माना i1, i2, i3, i4 सेतु की मुख्य भुजाओं में सम्मिश्र धाराएँ हैं तथा ir व ic क्रमशः प्रतिरोध r तथा धारिता C4 में सम्मिश्र धाराएँ हैं। सन्तुलन की अवस्था में संसूचक D में कोई धारा नहीं होती है।

 

Mention Advantages over Maxwell's Bridge
Mention Advantages over Maxwell’s Bridge

समीकरण (5) व (6) सन्तुलन की दो शर्ते हैं जो स्रोत की आवृत्ति पर निर्भर नहीं हैं तथा स्वतन्त्र रूप से सन्तुष्ट की जा सकती हैं। पहले R1 को समायोजित करके दिष्ट-धारा सन्तुलन (5) प्राप्त किया जाता है, इसके पश्चात् r को समायोजित करके प्रत्यावर्ती धारा सन्तुलन (6) प्राप्त किया जाता है।

 

व्यवहार में R3 तथा R4 को बराबर रखा जाता है। इस दशा में सन्तुलन के प्रतिबन्ध निम्नलिखित हो जाते हैं

                     R1 = R2

तथा

L= C4R2 (R3 + 2r)

 

सन्तुलन प्राप्त करने के लिए L का मान C4R2R3 से अधिक होना चाहिए। यह विधि विस्तृत परास में L के अधिकांश मानों की सही माप देती है। इससे धारिता C4 भी मापी जा सकती है (यदि अंशांकित स्वप्रेरकत्व उपलब्ध हो)।


Zoology

Inorganic Chemistry

Lower Non-Chordata

Video Lecture

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top