Life Cycle Of Ancylostoma Zoology Notes
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प्रश्न 6 – एन्साइलोस्टोमा के जीवन-चक्र का वर्णन कीजिए।
Describe the life-cycle of Ancylostoma.
उत्तर-
एन्साइलोस्टोमा का जीवन-चक्र
(Life-Cycle of Ancylostoma) Notes
- निषेचन (Fertilization)–हुकवर्म पोषद की आँतों में निषेचन करते हैं। नर मादा की योनि में शुक्राणुओं को स्थानान्तरित कर देता है। ये शुक्राणु शुक्रग्राही (seminal receptacle) में पहुँचकर अण्डाणुओं को निषेचित करते हैं। निषेचित अण्डाणु पोषद के मल के साथ शरीर से बाहर आ जाते हैं। प्रत्येक मादा प्रतिदिन लगभग 9000 निषेचित अण्डे देती है। अण्डों के चारों ओर काइटिन का कठोर कवच उपस्थित होता है।
लारवा (Larva)-अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों; जैसे-नमी, ऑक्सीजन तथा तापमान (60-85°C) पर अण्डे के अन्दर विदलन के पश्चात् प्रथम लारवा प्रावस्था का विकास होता है जिसे रहैब्डिटीफार्म लारवा कहते हैं। यह 24-48 घण्टों में कवच को भेदकर अण्डे से बाहर निकल आता है। इस लारवा में एक मुख, एक ग्रसनी तथा लम्बी आँत उपस्थित होती है। यह मल में उपस्थित जीवाणुओं का भक्षण करता है तथा 4-5 दिनों में दो बार त्वक्पतन करके तृतीय लारवा प्रावस्था में रूपान्तरित हो जाता है जिसे फाइलेरीफार्म लारवा प्रावस्था कहते हैं। यह प्रावस्था मनुष्य के लिए संक्रमणकारी होती है। इसमें मुख का अभाव होता हैं। अत: यह भोजन ग्रहण नहीं करता है। अनुकूल परिस्थितियों में यह प्रावस्था कई हफ्तों तक जीवित रहने में सक्षम होती हैं।
नये पोषद में संक्रमण (Infection in a new host)-फाइलेरीफार्म लारवा प्रावस्त नये पोषद में त्वचा के द्वारा प्रवेश करती है। जिस स्थान पर यह प्रवेश करती है वहाँ अ खुजली प्रारम्भ हो जाती है तथा उस स्थान पर त्वचा में अल्सर का निर्माण होता है। इस अलावा यह प्रदूषित भोजन तथा जल के द्वारा भी नये पोषद में प्रवेश करती है।

लारवा का भ्रमण (Larval migration)-संक्रमण के 24 घण्टों के अन्दर से लारवा रक्त वाहिनियों में प्रवेश कर जाते हैं तथा हृदय के दाहिने निलय से होते हुए पल्मोनरी धमनी के द्वारा फेफड़ों में पहुँच जाते हैं। जहाँ से ये वायुनाल से होते हुए ग्रसनी में प्रवेश करते हैं तथा ग्रासनाल से होते हुए आँत में पहुँचकर आँत की म्यूकस झिल्ली के साथ चिपक जाते हैं तथा वयस्क हो जाते हैं।
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