Internal Structure Of Pteridium BSc Botany Notes

Internal Structure Of Pteridium BSc Botany Notes

 

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 प्रश्न 12 – टेरीडियम की आन्तरिक संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।

उत्तर

टेरीडियम की आन्तरिक संरचना 

(Internal Structure of Pteridium) Notes

  1. मूल (Root) 

अनुप्रस्थ काट में गोल तथा सबसे बाहर मूलीय त्वचा (epiblema) की परत होती है। | इससे मूलरोम निकलते हैं। मूलीय त्वचा के अन्दर चौड़ा वल्कुट (cortex) होता है जो दो क्षेत्रों में बँटा होता है। बाह्य वल्कुट मृदूतकी कोशिकाओं का तथा भीतरी क्षेत्र दृढ़ोतक कोशिकाओं का बना होता है। सबसे अन्दर रम्भ (stele) होता है जो एक परत की ढोलकाकार कोशिकाओं में कैस्पेरियन पट्टिकाएँ (casparian strips) होती हैं। ठीक अन्तस्त्वचा के नीचे मृदूतकीय  कोशिकाओं की पर्त परिरम्भ (pericycle) बनाती है। इसका रम्भ द्विआदिदारुक (diarch) होता है जिसमें दो जाइलम पूल, फ्लोएम पलों के एकान्तर क्रम में व्यवस्थित हाते हैं। दोनों जाइलम पूल एक-दूसरे से सटे हाते हैं और इनके सिरों पर दो प्रोटोजाइलम समूह होते हैं। अतः जाइलम बाह्यआदिदारुक या (exarch) होता है। फ्लोएम दोनों तरफ पार्श्व में रहता है। इनके जाइलम में वाहिकाएँ व फ्लोएम में सहकोशिकाएँ अनुपस्थित होती हैं तथा द्वितीयक वृद्धि का अभाव होता है।

Internal Structure Of Pteridium
Internal Structure Of Pteridium
  1. पर्णवृन्त (Petiole) 

अनुप्रस्थ काट में एक तरफ से उत्तल (पत्ती की अपाक्ष या निचली सतह की ओर वाला) तथा दूसरी ओर अवतल होता है। सबसे बाहर बाह्यत्वचा की एक परत और इसके नीचे दृढ़ोतक  की 2 से 3 परत की अधश्चर्म (hypodermis) होती है। शेष अन्दर का क्षेत्र मृदूतकीय कोशिकाओं का भरण . ऊतक (ground tissue) होता है। इसमें अनेक मेरीस्टील (Meristele) अनियमित क्रम में व्यवस्थित होती हैं। मेरीस्टील की संरचना ठीक प्रकन्द में पाए जाने वाले मेरीस्टील जैसी होती है।

Internal Structure Of Pteridium
Internal Structure Of Pteridium

पत्ती (Leaf) 

(A) पर्णवृन्त या रेकिस (Petiole or Rachis)-यह घोड़े के नाल के आकार के संरचना है। सबसे बाहरी परत epidermis की बनी होती है जो क्यूटिकिल से ढकी होती है। बाह्यत्वचा की कोशिकाएँ आयताकार होती हैं। बाह्यत्वचा के नीचे 2 कोशिकाओं की बनी स्क्लेरनकाइमा की हाइपोडर्मिस होती है। हाइपोडर्मिस पैरेन्काइमा की कोशिकाओं से निर्मित भरण ऊतक (ground tissue) को घेरे रहती है। भरण ऊतक में 3-4 मेरीस्टील (meristeles मिलती है। मेरीस्टील एण्डोडर्मिस (endodermis) से घिरी रहती है तथा इसमें diarch तथ exarch जाइलम मिलता है। यह फ्लोएम (phloem) द्वारा घिरी रहती हैं।

पर्णक (Leaflet or Pinna) – इसमें ऊपरी (upper) तथा निचली (lower) एवं स्तरीय बाह्यत्वचा (epidermis) मिलती है जो क्यूटिकिल (cuticle) से ढकी रहती है। रन्द्र निचली बाह्यत्वचा में मिलते हैं। मीसोफिल प्राय: स्पंजी पैरेन्काइमा से बना होता है। पार्श्व शिराओं के संवहन पूल मीसोफिल में मिलते हैं। प्रत्येक संवहन पूल संकेन्द्रिक (concentric) तथा हैड्रोसेन्ट्रि (hadrocentric) होता है i.e. मध्य में जाइलम होता है जो फ्लोएम से घिरा रहता है।

Internal Structure Of Pteridium
Internal Structure Of Pteridium

जड (Root) – जड़ की संरचना सामान्यत: इसमें एक स्तरीय पैरेन्काइमा की कोशिका द्वारा निर्मित बाह्यत्वचा मिलती है। इसमें नीचे बहुस्तरीय Multilayered) कॉर्टेक्स मिलता है। एण्डोडर्मिस एक परत की बनी होती है जिसके नीचे 1-2 परत की पेरीसाइकिल मिलती है मूल diarch तथा Phloem xylem exarch होता है, जो फ्लोएम द्वारा घिरा रहता है। इसमें haploprotostele मिलती है।

Internal Structure Of Pteridium
Internal Structure Of Pteridium

III. प्रकन्द (Rhizome) 

अनुप्रस्थ काट में आयतरूपी तथा उभयोत्तल (biconvex) होता है। सबसे बाहर एक परत की बाह्यत्वचा (epidermis) होती है। इसके नीचे 5 से 7 परत की दृढ़ोतक कोशिकाओं पर की अधश्चर्म (hypodermis) होती है तथा शेष क्षेत्र मृदूतकीय कोशिकाओं से निर्मित भरण ती है| ऊतक (ground tissue) होता है। भरण ऊतक में मेरीस्टील दो वलयों (rings) में व्यवस्थित रहते हैं, इन दोनों वलयों के बीच दो दृढ़ोतक कोशिकाओं की पट्टिकाएँ होती हैं। बाहरी वलय में मेरीस्टील संख्या में अधिक व आकार में छोटे होते हैं और भीतरी वलय में केवल दो या तीन eles| बड़े मेरीस्टील होते हैं।

Internal Structure Of Pteridium
Internal Structure Of Pteridium

प्रत्येक मेरीस्टील गोल होता है और अन्तश्चर्मी कोशिकाओं की एक परत से ढका रहता है। अन्तश्चर्म के अन्दर मृदूतक की एक परत परिरम्भ (pericycle) होती है। परिरम्भ के पश्चात् फ्लोएम होता है जिसमें प्राक्फ्लोएम (protophloem) बाहर की ओर व मेटाफ्लोएम (metapholem) अन्दर की ओर होता है। इसमें सहकोशिकाओं का अभाव होता है। मेरीस्टील के केन्द्र में जाइलम होता है, जो मध्यारंभी (mesarch) होता है अर्थात् प्राक्जाइलम (protoxylem) केन्द्र में रहकर चारों तरफ मेटाजाइलम (metaxylem) से घिरे रहते।

अत: मेरीस्टील जाइलम केन्द्री (amphicribral = hadrocentric) प्रकार की संकेन्द्रकी (concentic) संरचना है। जाइलम में वाहिकाएँ (vessels) अनुपस्थित होते हैं तथा प्रकन्द में द्वितीयक वृद्धि नहीं होती है।

 


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