Germination Of Spore And Development Of Prothallus BSc Botany Notes

Germination Of Spore And Development Of Prothallus BSc Botany Notes

 

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प्रश्न 6 – इक्वीसीटम में बीजाणु का अंकुरण तथा प्रोथैलस का परिवर्धन पर लेख लिखिए। 

उत्तर –  

बीजाणु का अंकुरण तथा प्रोथैलस का परिवर्धन 

(Germination of Spore and development of Prothallus) Notes

बीजाणु लगभग 5-20 दिन तक जीवनक्षम (viable) रहते हैं। अनुकूल वातावरण में बीजाणु में पहला विभाजन होता है जिससे दो कोशिकाएँ बनती हैं। छोटी कोशिकाएँ राइजोइडल कोशिका तथा बड़ी प्रोथैलियल कोशिका कहलाती है। राइजोइडल कोशिका से मूलाभास बनता है तथा बड़ी कोशिका अनियमित रूप से विभाजित होकर अनेक कोशिकीय एक स्तर की संरचना बनाती है।

यह गद्दी के समान (cushion like) संरचना प्रोथैलस कहलाती है। इस पर हरी पालियाँ (lobes) या शाखाएँ होती हैं तथा नीचे की तरफ मूलाभास निकलते हैं। प्रोथैलस के नीचे के । भाग की कोशिकाएँ रंगहीन होती हैं जबकि ऊपरी भाग में कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट मिलते हैं। इसका सम्पूर्ण किनारा मेरीस्टेमेटिक (meristematic) होती है। जब इसमें अनियमित वृद्धि होती है तब यह पालीयुक्त हो जाता है। इनकी ऊपरी सतह पर ऊर्ध्व हरी पालियाँ (lobes) सघन रूप में मिलती हैं। इनका आकार 1 सेमी से कम तथा कभी-कभी 3 सेमी तथा मोटाई 2 मिमी तक हो सकती है। ..

परिपक्व प्रोथैलस (Mature prothallus)-परिपक्व प्रोथैलस भूरा, हरा होता है जसमें ऊपर की तरफ अनेक ऊर्ध्व पालियाँ होती हैं। ये आमतौर पर चिकनी क्ले मृदा, झरनों तथा नदी किनारों पर छायादार स्थानों पर मिलते हैं। प्रोथैलस पर कभी-कभी कवक का आक्रमण होता है।

Germination Of Spore And Development Of Prothallus
Germination Of Spore And Development Of Prothallus

प्रोथैलस एकलिंगाश्रयी (dioecious) तथा उभयलिंगाश्रयी (monoecious) हो सकते हैं। इ० डिवाइल जब अधिक बीजाणु एक ही स्थान पर अंकुरित होते है तो प्रोथैलस आकार में छोटे होते हैं तथा इन पर एक ही प्रकार के जनन अंग विकसित होते हैं। जब बीजाणु काफी दूरी पर अंकुरित होते हैं तब इनमें दोनों प्रकार के जनन अंग बनते हैं। इ० लीवीगेटम उभयलिंगाश्रयी जाति है।

जोयट लेवन (Joyet Lavergne, 1931) के अनुसार, बीजाणु आकार में समान तथा क्रियात्मक रूप से भिन्न होते हैं। एक ही समूह के कुछ बीजाणु नर तथा कुछ स्त्री होते हैं। अत: इनमें आन्तरिक विषमबीजाणुता मिलती है।

जनन अंग (Sex Organs)–30-40 दिन पुराने प्रोथैलस पर जनन अंग बनने हैं। स्त्रीधानी पहले बनती है। परन्तु कुछ जातियों में दोनों जनन अंग साथ-साथ विकसित होते हैं।

आर्कीगोनियम की संरचना

(Strucgture of Archegonium) Notes

आर्कीगोनियम का आधार प्रोथैलस के ऊतक में धंसा रहता है तथा ग्रीवा बाहर निकलती रहती है। ग्रीवा नेक कोशिकाएँ की चार उदग्र कतारों से बनी होती है।

Germination Of Spore And Development Of Prothallus
Germination Of Spore And Development Of Prothallus

एन्थ्रीडियम का विकार

(Development of Antherldlum) __Notes

एन्थ्रीडियम का विकास स्त्रीधानी के बाद होता है। एन्थ्रीडिया विकसित होते समय प्रोथैलस की ऊर्ध्व पालियों (erect lobes) की वृद्धि रुक जाती है तथा स्वयं प्रोथैलस ऊपर की तरफ मुड़कर फैल जाता है। एन्थ्रीडिया इन मुड़े तथा फैले भागों पर विकसित होते हैं।

एन्धीडिया दो प्रकार के होते हैं-(i) धंसे हुए (embedded type), (ii) बाहर निकले हुए (Projecting type)।

  • धँसे हए (Embedded type)-प्रोथैलस की सुपरफिशियल कोशिका एन्थ्रीडियल इनिशियल की भाँति कार्य करती है। इसमें परिनत विभाजन से बाहरी तरफ जैकिट इनिशियल तथा भीतरी तरफ प्राइमरी एन्ड्रोगोनियल कोशिका (primary androgonial cell) बनती है। जैकिट इनिशियल बार-बार विभाजित होकर एक स्तर की जैकिट का निर्माण करता है। इसमें एक तिकोनी ऑपरकुलर (opercular) कोशिका होती है। प्राथमिक एन्ड्रोगोनियल कोशिका केलगातार विभाजन के फलस्वरूप एन्ड्रोगोनियल कोशिकाओं का समूह बनता है। अन्त में यें कोशिकाएँ एन्ड्रोसाइट मातृ कोशिकाएँ (androyti mothor cell) कहलाती है। प्रत्येक एन्ड्रोसाइट मातृ कोशिका विभाजित होकर दो एन्ड्रोसाइट बनाती है जो रूपान्तरित होकर पुंमणु बनाती है। प्रत्येक एन्ड्रोसाइट में बनीफेरोप्लाट होता है। आरंम्भ में इसका केन्द्रक तथा ब्लीफेरोप्लास्ट लम्बे हो जाते है। परन्तु बाद में केन्द्रक का पश्च शिरा फैलकर चपटा हो जाता है तथा ब्लीफेरोप्लास्र कलाकार हो जाता है। एन्ड्रोसाइट में एक रिक्तिका बनती है। इसका सायटोप्लाजा झागदार व दानेदार होता है तथा इसमें अनेक कशामिकाएं विकसित हो  जाती हैं।

    Germination Of Spore And Development Of Prothallus
    Germination Of Spore And Development Of Prothallus

पुंमणु की संरचना (Structure of Spermetozoid or Antherozoid)- इनका आकार बड़ा होता है। पश्चभाग मोटा तथा चपटा होता है। अग्रभाग शंक्वाकार होता है जिस पर अनेक कशाभिकाएँ मिलती हैं। फ्लेजला ब्लीफेरोप्लास्ट में संगलित रहते है। इसमें एक केन्द्रक होता है। पुंगणु का अधिकांश भाग केन्द्रक तथा तनी ब्लीफेरोप्लास्ट का बना होता है

(ii) बाहर निकले हुए (IProjecting ) इस प्रकार की एन्ध्रीडियम के विकास , में प्रोथैलस की कोशिका में तीन भित्तियों द्वारा विमाजनो के फलस्वरूप केन्द्र में टेटाहीडल एपीकल कोशिका (Tetrahedrial apical cell) बनती है जो एन्धीडियल इनिशियल कहलाती है। इसमें परिनत विभाजन द्वारा बाहरी बैंकिंग कोशिका तथा अन्दर की प्राइमरी एन्ड्रोगोनियल कोशिका बनती है। शेष अवस्थाएँ धँसे हुए एपीडियम के समान होती है।

धंसे हुए एन्थ्रीडियम में लगभग 256 घुमणु बनते हैं। यह संख्या अनेक जातियों में इससे कम व अधिक हो सकती है।

Hanke (1963) के अनुसार एन्थ्रीडियम के कोने वाली कोशिकाएँ जल के अवशोषण के कारण फूल जाती हैं तथा पुंमणु के समूह द्वारा भित्ति पर एक दवाव पड़ता है। अन्त में एन्थ्रीडियम की भित्ति में एक दरार उत्पन्न हो जाती है जिससे घुमणु बाहर निकल आते हैं।

निषेचन (Fertilization) Notes

परिपक्व स्त्रीधानी में अण्ड को छोड़कर अक्ष की सभी कोशिकाएँ विघटित होकर म्यूसीलेजीनस पदार्थ का स्रावण करती हैं जिसमें मैलिक अम्ल रसायन होता है। घुमणु जल में तैरते हुए स्त्रीधानी की तरफ रासायनिक रूप से (chemotactically) आकर्षित होते हैं। पुंमणु के केन्द्रक का अण्ड के केन्द्रक से संयोजन होता है, जिससे द्विगुणित जाइगोट का निर्माण होता है। प्रायः एक प्रोथैलस पर 8-10 स्त्रीधानी निषेचित होती है कश्यप (1914) ने ई० डिवाइल के प्रोथैलस पर 15 स्पोरोफाइट दर्शाए। .

 


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