Explain Principle of feedback Amplifiers
Explain Principle of feedback Amplifiers:-Input and output impedance, transistor as an oscillator, general discussion, and theory of Hartley oscillator only. Elements of transmission and reception, basic principles of amplitude modulation and demodulation. Principle and design of linear multimeters and their application, cathode ray oscilloscope, and its simple applications.
प्रश्न 26. प्रवर्धकों में फीडबैक का सिद्धान्त समझाइए। ऋणात्मक व धनात्मक फीडबैक क्या होते हैं? समझाइए ऋणात्मक फीडबैक, प्रवर्धक की दक्षता किस प्रकार बढ़ाते है? धनात्मक फीडबैक प्रवर्धकों को लाभ बढ़ाने के लिए प्रयुक्त क्यों नहीं किया जाता है?
Explain the principle of feedback in amplifiers. What is negative and positive feedback? Explain how does negative feedback improves the performance of an amplifier? Why is positive feedback not often used to increase gain in amplifiers?
उत्तर : फीडबैक प्रवर्धक (Feedback Amplifier)-फीडबैक प्रवर्धक वह प्रवर्धक होता है जिसमें प्रवर्धित निर्गत वोल्टेज (अथवा धारा) का एक अंश उपयुक्त परिपथ द्वारा निवेशी वोल्टेज (अथवा धारा) में पुन: निविष्ट कर दिया जाता है। प्रवर्धक के निवेशी सिगनल का इस प्रकार निर्गत सिगनल से सम्बन्धित होना प्रवर्धक में शोर कम करने तथा इसका प्रचालन स्थायी बनाने में सहायक होता है।
निर्गत ऊर्जा के एक अंश को निवेशी ऊर्जा में पुन: निविष्ट करने की प्रक्रिया को फीडबक feedback) कहते हैं। फीडबैक दो प्रकार के होते हैं-धनात्मक तथा ऋणात्मक।
धनात्मक फीडबैक (Positive Feedback)-यदि निर्गत सिगनल (वोल्टेज अथर धारा) का वह अंश जिसे निवेशी सिगनल में पुन: निविष्ट किया जाता है. निवेशी सिगनल का कला में है और इस प्रकार उसका सहायक है तो फीडबैक धनात्मक (positive), प्रत (direct) अथवा पुनरुत्पादक (regenerative) कहलाता है
ऋणात्मक फीडबैक (Negative Feedback)-यदि पुनः निविष्ट सिगनल निवेश सिगनल से 180° कलान्तर में है और इस प्रकार उसका विरोधी है तो फीडबैक ऋणत्मक (negative), उत्क्रम (inverse) अथवा अधोपतित (degenerative) कहलाता है। ऋणात्मक फीडबैक से वोल्टेज प्रवर्धन घटता है, परन्तु इसके साथ ही विकृति (distortion), शोर (noise) तथा शक्ति सम्भरण का गुंजन (power supply hum) भी कम हो जाता है।
फीडबैक का सिद्धान्त (Principle of Feedback)-बिना फीडबैक वाले प्रवधक के लिए, वोल्टता लाभ, निर्गत वोल्टेज VO तथा निवेशी वोल्टेज Vi की निष्पत्ति को कहते हैं, अर्थात्
इस समीकरण के दक्षिण पक्ष का हर 1 से कम है, अतः धनात्मक फीडबैक के साथ वोल्टेज लाभ AVf , बिना फीडबैक के लाभ AV से अधिक है। गुणन BAV को फीडबैक गणक (feedback factor) कहते हैं तथा B को फीडबैक निष्पत्ति (feedback ratio) कहते हैं। फीडबैक के साथ वोल्टेज लाभ Avf को बन्द लूप (closed loop) लाभ भी कहते हैं क्योंकि यह लाभ फीडबैक लूप को बन्द करने के बाद प्राप्त हुआ है।
यद्यपि धनात्मक फीडबैक के प्रवर्धक का प्रवर्धन (लाभ) बढ़ता है, परन्त इसर (distortion) भी उसी गुणक से बढ़ती है। यदि BAv = 1 हो तो लाभ अनन्त होगा जिसका अर्थ है कि प्रवर्धक बिना किसी निवेशी वोल्टेज के ही निर्गत वोल्टेज दे देता है। में तब प्रवर्धक एक दोलित्र (oscillator) बन जाता है। यही कारण है कि प्रवर्धक का बढ़ाने के लिए धनात्मक फीडबैक का उपयोग नहीं किया जाता।
यदि फीडबैक ऋणात्मक है तो प्रवर्धक का वास्तविक निवेशी वोल्टेज (Vi – Bvo) होगा। इस स्थिति में वोल्टेज लाभ
इस समीकरण के दक्षिण पक्ष का हर, अब 1 से अधिक है, अतः ऋणात्मक फीडबैक के साथ वोल्टेज प्रवर्धन Avf, बिना फीडबैक के प्रवर्धन AV से कम है। फीडबैक गुणक BAV जितना अधिक होगा, प्रवर्धन उतना ही कम होगा, परन्तु साथ-ही-साथ विकृतियाँ भी उतनी ही कम होंगी। ऋणात्मक फीडबैक का यह गुण प्रवर्धकों के लिए बहुत उपयोगी है। फीडबैक द्वारा प्रवर्धन में होने वाली हानि प्रवर्धक में अन्य चरणों (stages) को जोड़कर पूरी की जा सकती है।
ऋणात्मक फीडबैक के लाभ (Advantages of Negative Feedback)-किसी प्रवर्धक में ऋणात्मक फीडबैक के होने से कई लाभ हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं
- इससे आयाम विकृति घट जाती है— ऋणात्मक फीडबैक के प्रवर्धक द्वारा उत्पन्न आयाम विकृति उसी गुणक (1+ BAV ) से घट जाती है जिससे प्रवर्धन घटता है।
माना बिना फीडबैक के प्रवर्धक द्वारा निर्गत (सिगनल) में उत्पन्न विकृति अवयव d है तथा ऋणात्मक फीडबैक की उपस्थिति में विकृति अवयव df है।
यदि निर्गत सिगनल का अंश B निवेशी सिगनल से कला में 180° के अन्तर से पुनः निविष्ट किया जाता है तो फीडबैक का विकृत अवयव Bdf होगा। यह अवयव निवेशी सिगनल के साथ AV गुना प्रवर्धित हो जाता है। प्रवर्धित विकृति अवयव BdfAV प्रवर्धक द्वारा उत्पन्न विकृति अवयव d से कला में विपरीत होता है, अतः निर्गत सिगनल में परिणामी विकृति अवयव d – BdfAV है। यह फीडबैक सहित प्रवर्धकं के निर्गत सिगनल में विकृति अवयव df के बराबर होगा। अतः
इसी समीकरण के दक्षिण पक्ष में हर 1 से अधिक है, अत: ऋणात्मक फीडबैक का उपस्थिति में आयाम विकृति df, बिना फीडबैक की विकृति d से कम है। शक्ति सम्भरण की गुंजन तथा प्रवर्धक में अन्य बाहरी शोर भी ऋणात्मक फीडबैक से घट जाते हैं।
- यह आवृत्ति विकृति को घटा देता है यदि कोई प्रवर्धक आवृत्ति विकृति उत्पन्न करता है (अर्थात् सभी आवृत्तियों को समान रूप से प्रवर्धित नहीं करता) तो ऋणात्मक फीडबैक से यह विकृति भी कम हो जाती है।
माना बिना फीडबैक के दो विभिन्न आवृत्तियों पर प्रवर्धन A1 तथा A2 हैं। यदि अणात्मक फीडबैक की उपस्थिति में संगत प्रवर्धन Af1 तथा Af2 हों, तब
- ऋणात्मक फीडबैक से प्रवर्धक का कार्य और अधिक स्थायी हो जाता है— यदि : फीडबैक गुणक BAV को 1 की तुलना में बड़ा कर लिया जाए तो वोल्टेज प्रवर्धनअर्थात् तब यह प्रवर्धन Av पर निर्भर नहीं करेगा। इसका अर्थ यह है कि एक बड़े ऋणात्मक फीडबैक की उपस्थिति में सम्भरण वोल्टेज तथा वाल्व के अभिलक्षणों में परिवर्तन होने से प्रवर्धक के निर्गत वोल्टेज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस स्थिति में प्रवर्धक बहुत स्थायी बना रहता है।
उपर्युक्त लाभों के कारण श्रव्य आवृत्ति प्रवर्धकों में ऋणात्मक फीडबैक सामान्य रूप से विद्यमान रहता है।