Equisetum BSc 1st Year Botany Notes
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प्रश्न 2 – इक्वीसीटम का वितरण, प्रकृति तथा प्राप्ति स्थान व संरचना पर लेख लिखिए।
उत्तर –
इक्वीसीटम (Equisetum)
वितरण, प्रकृति तथा प्राप्ति स्थान
(Distribution, Habit and Habitat) ___ Notes
इसकी 25 जातियाँ हैं जो विश्वभर में फैली हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड में इसकी कोई जाति नहीं मिलती है अधिकांश जातियाँ समशीतोष्ण (temperatc) भागों में मिलता है, कुछ जातियाँ ट्रॉपीकल भागों में जैसे उत्तरी अमेरिका, वेस्टइन्डीज, चिली आदि स्थानों में मिलती हैं। आर्कटिक तथा एल्पाइन क्षेत्र में यह प्रायः नहीं मिलता है। इक्वीसीटम डिबाइल, इक्वीसीटम अरवेन्स, इक्वीसीटम रेमीसीमम भारतीय मैदानों में, घासक्षेत्रों में तथा नदिया, तालाबों के किनारे मिलने वाली जातियाँ हैं। दलदली भूमि में इक्वीसीटम, पालुस्टर, छाया व नमी वाले स्थानों में इक्वीसीटम प्रैटेन्स तथा अन्य कुछ जातियाँ अनावरित क्षेत्रों में उगती है। सामान्यतया इसको हॉसटेल्स (Horsetails) या Pipes या couring rushes कहते हैं।
अधिकांश जातियों के तनों की बाह्यत्वचा में सिलिका मिलता है। इस कारण स्तम्भ खुरदरे (rough) तथा एब्रसिव (abrasive) हो जाते हैं। अत: यह बर्तनों की सफाई के काम आती है।
इक्वीसीटम की सभी जातियाँ बहुवर्षी होती हैं। इसके राइजोम अतिशाखित, विसपी, क्षैतिज (horizontal) तथा भूमिगत होते हैं। कभी-कभी 3-4 फीट तक मृदा के अन्दर फंसे रहते हैं। राइजोम (rhizome) पर ऊर्ध्व (erect) वायवीय शाखाएँ लगती हैं। वायवीय शाखाएँ बन्थ्य (sterile) तथा जननक्षम (fertile) हो सकती है। पौधे की ऊँचाई विभिन्न जातियों में अलग-अलग होती है। इक्वीसीटम सरपोइडिस (Equisetum 8cirpoides) का पौधा कुछ इंच ऊँचाई होता है जबकि इक्वीसीटम जाइजेन्सियम करीब 6-12 मीटर अथवा 40 फीट तक ऊँचा हो सकता है। इनका व्यास एक इंच से भी कम होता है इक्वीसीटम डिबाइल 10-15 फीट ऊँचा होता है तथा व्यास 11 – 5 सेमी होता है।
तना (stem)…‘भूमिगत राइजोम क्षैतिज, बहुवर्षी, अतिशाखित 3-4 फीट तथा जमीन में धंसा हुआ तथा कुछ जातियों में 10.15 फीट तक के क्षेत्र में फैला रहता है। इसमें नोड तथा इन्टरनोड स्पष्ट होते हैं। नोड पर छोटी-छोटी पत्तियाँ चक्र क्रम (whorl) में विन्यसित होती हैं। पत्तियाँ पार्श्व सतह से एक-दूसरे से मिलकर भूरे रंग की आच्छद (sheath) बनाती हैं।
राइजोम की नोड पर स्थित आच्छद की प्रत्येक पत्ती के एकान्तरित एक शाखा प्राइमोडियम से वायवीय या भूमिगत शाखाएँ निकलती है। कभी-कभी ये प्रसुप्त अवस्था में , रहती हैं तथा अनुकूल परिस्थितियों के आने पर नई शाखाओं में विकसित हो जाती हैं।
राइजोम की नोड से अतिशाखित अपस्थानिक मूल नीचे की तरफ निकलती है। राइजोम पर बन्ध्य तथा जननक्षम शाखाएँ मिलती हैं, परन्तु कुछ जातियों में केवल बन्ध्य या जननक्षम . शाखाएँ मिलती हैं।
बन्ध्य शाखाएँ हरी होती हैं तथा प्रत्येक नोड पर ये एक चक्र में (whorl) में निकलती हैं। ये मुख्य रूप से प्रकाशसंश्लेषण का कार्य करती है। प्राथमिक शाखाओं पर स्थित पार्श्व शाखाओं पर भी शाखाएँ चक्र में मिलती हैं। प्रत्येक चक्र में पत्तियों की संख्या के समान शाखाएँ निकलती है तथा पत्तियों के एकान्तर क्रम में होती हैं।
जननक्षम (fertile) शाखाओं के अन भाग पर स्ट्रोबिलाई मिलते हैं। ये पहले उत्पन्न होती हैं तथा बन्ध्य शाखओं के बनने के पूर्व ही इनके बीजाणु झड़ जाते हैं। इक्वीसीटम अरवेन्स में जननक्षम प्ररोह अशाखित तथा क्लोरोफिल रहित होते हैं। इक्वीसीटम सिलवेटिकम में बीजाणु झड़ने के बाद स्टोबिलस गिर जाते हैं तथा जननक्षम शाखा अब बन्ध्य शाखा की तरह व्यवहार करती है।
इक्वीसीटम पालुस्टर में तीन प्रकार की शाखाएँ मिलती है।
(i) गहरी हरी तथा अतिशाखित बन्ध्य शाखाएँ
(ii) अल्प समय तथा जीवित रहने वाली क्लोरोफिल रहित जननक्षमप्ररोह
(iii) मध्यम प्रकार की शाखाएँ जो जननक्षम, क्लोरोफिल रहित तथा प्रारम्भ में अशाखित, किन्तु बाद में स्ट्रोबिलाई गिर जाने पर शाखाएँ हरी, शाखित व स्थायी हो जाती है। यह श्रम विभाजन का उदाहरण है।
राइजोम भोज्य पदार्थों का संग्रह करता है तथा पौधे को भूमि में स्थिर करने का कार्य करता है। वायवीय बन्ध्य, हरी शाखाएँ भोजन बनाने का कार्य करती हैं। जननक्षम शाखाएँ जनन क्रिया में योगदान करती है।
राइजोम तथा वायवीय शाखाओं की इन्टरनोड रिब्ड (ribbed) होती हैं। ये पत्तियों से एकान्तर क्रम में होती हैं।
पत्तियाँ (Leaves)
पत्तियाँ चक्र (whorl) में मिलती हैं। ये सरल, पतली, एक शिरायुक्त, शल्कवत (scaly), भूरी तथा आधार पर संयुक्त होकर आच्छद (sheath) बनाती हैं। इनके सिर (apices) स्वतन्त्र व नुकीले हो सकते हैं। प्रारम्भ में वे हरी तथा बाद में भूरी, शुष्क तथा
शल्कवत् होती है। प्रत्येक चक्र में इनकी संख्या विभिन्न जातियों में विविध होती है। सामान्यतया इनकी संख्या 3 -4 तक होती है।
मूल (Root)
प्राथमिक जड़ को छोड़कर इक्वीसीटम में सभी जड़ें अपस्थानिक होती हैं। ये न्डोजीनस होती हैं तथा राइजोम की नोड पर चक्र (whrol) में निकलती हैं। जड़ें कई वर्षों तक जीवित रहती हैं। इनकी लम्बाई अधिक नहीं होती है।
शीर्ष वृद्धि (Aplcal growth)
वायवीय शाखाओं में शीर्ष वृद्धि एक टेट्राहीड्रल एपीकल कोशिका द्वारा होती है। इसमें तीन सतहों से खण्ड कोशिकाएँ बनती हैं। सेगमेन्ट नियमित रूप से कटते हैं तथा प्रत्येक सेगमेन्ट अपनत (anticlinal) विभाजन द्वारा ऊपरी तथा निचले खण्ड बनाती हैं। ये दोनों खण्ड लगातार विभाजन के द्वारा कोशिकाओं के दो टीयर का निर्माण करते हैं। ऊपर का टीयर नोड तथा नीचे का टीयर इन्टरनोड में विकसित होता है। __
इन्टरनोड में केन्द्र में स्थित पिथ कोशिकाओं के विघटन से एक खोखली गुहा बन जाती है। कॉर्टेक्स में भी कोशिकाओं के अलग होने से वेलीकुलर कैनाल बनती है। जड़ों में भी एक टेट्राहीड्रल एपीकल कोशिका होती है जो चारों सतहों से नयी कोशिकाएँ बनाती हैं। पार्श्वखण्डों से स्टील, कॉर्टेक्स व बाह्यत्वचा बनती है, जबकि अग्र सिरीय खण्ड से मूलगोप (root) बनती है।
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