Compare These with Half Wave Rectifier

Compare These with Half Wave Rectifier

Compare These with Half Wave Rectifier:-Transistor biasing circuits base bias, emitter bias, and voltage divider .bias, D.C. load line. Basic A.C. equivalent circuits, low-frequency model, small-signal amplifiers, common emitter amplifier, common collector amplifiers, and common base amplifiers, current and voltage gain, R.C. coupled amplifier, gain, frequency response, the equivalent circuit at low medium and high frequencies, feedback principles.

 

 

प्रश्न 16. एक p-n सन्धि डायोड पूर्ण तरंग केन्द्र-अंशनिष्कासित दिष्टकारी की कार्य-प्रणाली परिपथ आरेख देते हुए समझाइए। इसका गणितीय विश्लेषण करते हुए-(अ) निर्गत धारा के दिष्ट (औसत) व वर्ग-माध्य-मूल (प्रभावी) मान, (ब) दिष्टकरण दक्षता,(स) ऊर्मिका गुणांक तथा (द) शिखर उत्क्रम वोल्टेज के लिए व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए। इनकी तुलना अर्द्धतरंग दिष्टकारी से कीजिए। 

Explain giving a circuit diagram, the working of a full-wave center-tap rectifier, using p-n junction diodes. Give its mathematical analysis and derive expressions for (a) d.c. (average) and rms Perfective) values of output current, (b) rectification efficiency, ripple factor, and (d) peak inverse voltage. Compare these with a half-wave rectifier. 

अथवा

पूर्ण तरंग दिष्टकारी की दक्षता तथा ऊर्मिका गुणांक के लिए व्यंजक व्यत्यन कीजिए। 

Derive the expression for ripple factor and efficiency of full waja rectifier.

 

उत्तर : पूर्ण तरंग केन्द्र-अंशनिष्कासित दिष्टकारी (Full Wave Centre-tap Rectifier)—पूर्ण तरंग दिष्टकारी एक ऐसी युक्ति है जो निवेशी प्रत्यावर्ती वोल्टेज के दोनों अर्द्धचक्रों के दौरान कार्यरत रहती है तथा इससे निर्गत धारा एकदिशीय व अविरत होती है। इसमें दो सन्धि डायोड़ प्रयुक्त होते हैं तथा वे इस प्रकार जुड़े होते हैं कि एक डायोड निवेशी वोल्टेज के एक अर्द्धचक्र का तथा दूसरा डायोड दूसरे अर्द्धचक्र का दिष्टकरण करता है।

 

पूर्ण तरंग दिष्टकारी परिपथ चित्र-47 (a) में तथा निवेशी व निर्गत तरंग रूपों को चित्र-47 (b) में दर्शाया गया है। प्रत्यावर्ती निवेशी वोल्टेज को एक ट्रांसफॉर्मर की प्राथमिक कुण्डली के सिरों P व P के बीच लगाया गया है। द्वितीयक कुण्डली के सिरों S व Sp को सन्धि डायोडों D व D2 के p-सिरों से जोड़ा गया है जिनके n-सिरे परस्पर जुड़े हैं। लोड प्रतिरोध RL को डायोडों के n-सिरों को जोड़ने वाले तार तथा. द्वितीयक. SS2 के केन्द्रीय-अंशनिष्कासित (central-tap) टर्मिनल T के बीच जोड़ा गया है।

 

कार्य-प्रणाली (Working)-प्रत्यावर्ती निवेशी वोल्टेज के पहले अर्द्धचक्र के दौरान द्वितीयक का सिरा S1 टर्मिनल T के सापेक्ष धनात्मक है (माना) तथा सिरा S2 ऋणात्मक है। इस स्थिति में सन्धि डायोड D अग्र अभिनत है तथा D2 उत्क्रम अभिनत है। स्पष्टत: D1 धारा प्रवाह होने देता है, परन्तु D2 नहीं होने देता, अतः धारा डायोड D1 लोड प्रतिरोध RL तथा द्वितीयक के ऊपरी अर्द्धभाग में तीरों द्वारा दर्शायी गई दिशा में प्रवाहित होती है। निवेशी वोल्टेज के दूसरे अर्द्धचक्र के दौरान द्वितीयक का सिरा S, टर्मिनल T के सापेक्ष ऋणात्मक है तथा S2 धनात्मक है। अब डायोड D1 उत्क्रम अभिनत है तथा D2 अग्र अभिनत है, अत: अब धारा डायोड D2 लोड प्रतिरोध RL तथा द्वितीयक के निचले अर्द्धभाग में रेखांकित (dotted) तारा द्वारा दर्शायी गई दिशा में प्रवाहित होती है। स्पष्ट है कि डायोड D1 व D2 बारी-बारी से धारा चालित करते हैं तथा निवेशी वोल्टेज के दोनों अर्द्धचक्रों के दौरान लोड प्रतिरोध RL में धारा

एक ही दिशा में प्रवाहित होती है। इस प्रकार पूर्ण तरंग दिष्टकारी में निर्गत धारा एकदिशीय स्पन्दों (unidirectional pulses) की अविरत श्रेणी (continuous series) होती है। चित्र-47 (b) में दिखाए निर्गत धारा के तरंग रूप से यह स्पष्ट है कि निवेशी वोल्टेज के प्रत्येक चक्र में दो स्पन्द (pulses) प्राप्त होते हैं।

 

गणितीय विश्लेषण (Mathematical Analysis)-फोरियर विश्लेषण द्वारा निर्गत धारा तरंग को अनन्त श्रेणी के रूप में निम्नवत् निरूपित किया जा सकता है

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इससे स्पष्ट है कि निर्गत धारा में 2i0/Pie परिमाण का दिष्ट धारा अवयव तथा 2w, 40W , …… आवृत्तियों की ऊर्मिकाएँ (ripples) उपस्थित रहती हैं। इन ऊर्मिकाओं को समकारी परिपथों द्वारा फिल्टर करके दूर किया जा सकता है तथा इस प्रकार स्थायी दिष्ट धारा प्राप्त की जा सकती है।

 

माना सन्धि डायोडों D1 व D2 में से प्रत्येक पर लगाया गया निवेशी प्रत्यावर्ती वोल्टेज निम्नवत् है—

 

E = Eo sin wt

 

यदि प्रत्येक डायोड का गतिक अग्र प्रतिरोध Rf है, तब लोड प्रतिरोध RL में तात्क्षणिक धारा जो कि निर्गत धारा का शिखर मान है।

(अ)निर्गत धारा का दिष्ट (औसत)मान (d.c. or Average Value of Output. Current)-निर्गत (स्पन्दमान) धारा का एक पूर्ण चक्र के लिए दिष्टं (औसत) मान निम्नवत् होगा—

 

 

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जब Rf / RL = 0, तब दक्षता अधिकतम होगी तथा यह 81% होगी। स्पष्ट है कि पूर्ण तरंग दिष्टकारी की अधिकतम दक्षता अर्द्धतरंग दिष्टकारी के सापेक्ष दुगुनी होती है। ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि पूर्ण तरंग दिष्टकारी प्रत्यावर्ती निवेशी वोल्टेज के दोनों अर्द्धचक्रों का दिष्टकरण करता है।

 

(स) पूर्ण तरंग दिष्टकारी का ऊर्मिका गुणांक (Ripple Factor of Full Wave Rectifier)-ऊर्मिका गुणांक r की परिभाषा निम्नवत् है –

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स्पष्ट है कि पूर्ण तरंग दिष्टकारी का ऊर्मिका गुणांक (0:482), अर्द्धतरंग दिष्टकारी के ऊर्मिका गुणांक (1:21) से बहुत कम है। इसके अतिरिक्त इस दिष्टकारी की मुख्य ऊर्मिका की आवृत्ति निवेशी वोल्टेज की आवृत्ति से दुगुनी है। इस उच्च आवृत्ति ऊर्मिका को फिल्टर परिपथ द्वारा सुगमता से दूर किया जा सकता है। अतः पूर्ण तरंग दिष्टकारी अर्द्धतरंग दिष्टकार की तुलना में कहीं अधिक श्रेष्ठ है।

 

(द) शिखर उत्क्रम वोल्टेज (Peak Inverse Voltage or PIV) हम पूर्ण तर शिकारी परिपथ पर उस क्षण विचार करते हैं, जबकि द्वितीयक के आधे कुण्डलन (winding) वोल्टेज अपने अधिकतम मान E0 (धनात्मक दिशा में) पर है। इस क्षण डायोड D1 धारा की प्रवाहित होने देता है तथा, D2 नहीं होने देता, अत: D1 के सिरों के बीच अल्प वोल्टेजपतन नगण्य मानने पर सम्पूर्ण द्वितीयक वोल्टेज अचालकीय (non-conducting) डायोड D2 के सिरों के बीच दृष्टिगोचर होता है। स्पष्ट है कि D2 के सिरों के बीच शिखर । उत्क्रम वोल्टेज अर्द्ध-द्वितीयक (half secondary) के। अधिकतम वोल्टेज का दुगुना होगा, अर्थात्

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इस प्रकार पूर्ण तरंग दिष्टकारी में प्रत्येक डायोड के सिरों के बीच शिखर उत्क्रम वोल्टेज अर्द्ध-द्वितीयक चित्र-48 के अधिकतम वोल्टेज का दुगुना होता है।

वोल्टेज नियन्त्रण (Voltage Regulation)—पूर्ण तरंग दिष्टकारी में निर्गत d.c. वोल्टेज Edc तथा d.c. लोड धारा idc में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है

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