Canal System Sycon Zoology Question Answer Notes
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प्रश्न 4 – साइकॉन के नालतन्त्र का वर्णन कीजिए तथा इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
Describe the canal system of Sycon and throw light on its significance.
उत्तर – नालतन्त्र (Canal System)-साइकॉन में छिद्रों तथा नालों से बना एक जटिल तथा विशिष्ट तन्त्र उपस्थित होता है जिसे नाल तन्त्र (Canal System) कहा जाता है। . नाल तन्त्र में निम्नलिखित अवयव उपस्थित होते हैं1.
- ऑस्टिया या चर्मीय छिद्र (Ostia or Dermal pore)-शरीर की ऊपरी पिनेकोडर्म स्तर में असंख्य छिद्र उपस्थित होते हैं जिनके द्वारा जल शरीर के अन्दर प्रवेश करता है। इन छिद्रों को
ऑस्टिया कहा जाता है। इन छिद्रों के चारों ओर संकुचनशील पेशी कोशिकाएँ उपस्थित होती हैं जो
इन छिद्रों के व्यास को घटा अथवा बढ़ा सकती हैं।
- अन्तर्वाही नालें (Incurrent canals)-शरीर भित्ति के अन्तर्वलन के कारण इन नालों का निर्माण होता है। ये नालें ऑस्टिया के द्वारा शरीर से बाहर खुलती हैं। अन्दर की ओर ये नालें बन्द होती हैं।
- आगामी द्वार (Prosopyles) – अन्तर्वाही नालें अन्दर की ओर कुछ अन्तः कोशिकीय अवकाशों के द्वारा अरीय नालों में
खुलती हैं। इनको आगामी द्वार कहा जाता है।
- अरीय नालें (Radial canals)—ये नाले = अंगुलीनुमा होती हैं जो शरीर भित्ति के बहिर्वलन के द्वारा बनती हैं। इन नालों में कशाभित कोएनोसाइट का स्तर है. उपस्थित होता है जो भोजन को ग्रहण तथा पाचन में सहायता करते हैं। ये नालें बाहर की ओर बन्द होती हैं, किन्तु अन्दर की ओर स्पंजगुहा में दूसरे प्रकार के छिद्रों, जिन्हें अपद्वार कहते हैं, की सहायता से खुलती हैं।
- स्पंजगुहा (Spongocoel)—यह स्पंज की केन्द्रीय गुहा होती है।
- ऑस्कुलम (Osculum)-केन्द्रीय गुहा एक शिखरस्थ छिद्र ऑस्कुलम के द्वारा शरीर से बाहर खुलती है। इस छिद्र के द्वारा शरीर के अन्दर से जल बाहर निकलता है।
महत्त्व (Significance)-स्पंज के शरीर में नाल तन्त्र का एक विशेष महत्त्व है। इस तन्त्र के द्वारा जलधारा शरीर में प्रवाहित होती है तथा जल के साथ विभिन्न श्वसन गैसें शरीर में प्रवेश करती हैं। ऑक्सीजन शरीर कोशिकाओं के द्वारा ग्रहण कर ली जाती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड जल में शरीर कोशिकाओं से विसरित होकर शरीर से बाहर निकाल दी जाती है।
जल धारा के साथ विभिन्न भोज्य पदार्थ शरीर में प्रवेश करते हैं जिनका अरीय नालों में उपस्थित कोएनोसाइट में पाचन होता है। यह भोजन शरीर में विभिन्न भागों में अमीबोसाइट कोशिकाओं द्वारा पहुँचा दिया जाता है। अपचित भोजन जल धारा के साथ शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
शरीर में विभिन्न उपापचयी क्रियाओं के दौरान अनेकों उत्सर्जी तथा हानिकारक पदार्थों का निर्माण होता है जिनको जल में विसरित कर दिया जाता है तथा जल के द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। शरीर के अन्दर से शुक्राणु जलधारा के साथ शरीर से बाहर निकलकर दूसरी स्पंज के शरीर में प्रवेश करके अण्डाणुओं को निषेचित करते हैं तथा प्रजनन क्रिया सम्पन्न करते हैं।
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