BSc 1st Year Botany Viroids Question Answer Notes
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प्रश्न 3 – वायरोइड की संरचना व गुणन का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
वायरोइड (Viroids) Notes
ये गोल (circular) एकरज्जुकी आर० एन० ए० (RNA) कम अणु भार वाले अणु हैं जो पौधो में रोग उत्पन्न कर सकते हैं। इनकी खोज सन् 1971 में T. D. Diener ने पोटेटो पन्डल रोग (Potato spindle disease) में की तथा इनको वायरोइड नाम दिया। वायरोइड विषाणु से भिन्न होते हैं।
(1) ये अपेक्षाकृत छोटे होते हैं।
(2) इनमें प्रोटीन कोट का अभाव होता है।
(3) इनमें प्रोटीन निर्माण की क्षमता नहीं होती है।
(4) इनका जीनोम mRNA की तरह कार्य नहीं करता है।
संरचना (Structure)-ये सूक्ष्म एकरज्जुकी सहसंयोजक रूप में बन्द वृत्ताकार RNA के बने होते हैं।
इनका भार 10,000-1,40,000 डाल्टन तक हो सकता है। इसमें लगभग 359 न्यूक्लियोटाइड हो सकते हैं। अधिकतर न्यूक्लियोटाइड युग्मित होते हैं। अतः द्विरज्जा (ds-RNA) के रूप में मिलते हैं। इसमें 5 domains मिलते हैं। रोगजनकता P तथा LT डोमेन में भिन्नता के कारण पैदा होती है। cckiV तथा T डोमेन भी मिलते हैं। RNA प्रोटीन कोड नहीं करता है। वलित संरचना एकरज्जुकी विकर न्यूक्लिएज (Nuclease) से इस 300 nm तथा रक्षा करती है।
गुणन (Multiplication) Notes
(i) RNA निर्देशित–इस मत के अनुसार RNA निर्देशित RNA polymerasel सीमित मात्रा में मिलता है। इससे RNA निर्देशित. RNA अणुओं की रचना होती है। तम्बाकू आदि कुछ पादपों में RNA निर्देशित RNA पॉलिमरेज की उपस्थिति पायी जाती है।
(ii) DNA निर्देशित गुणन-इसके अनुसार Viroid का अनुलेखन परपोषी कोशिका में Viroid RNA के पूरक DNA से होता है। रोगी कोशिका में संक्रमित Viroid RNA से नए DNA की रचना होती है जो template के रूप में कार्य कर सकता है। इसको प्रतिवर्ती अनुलेखन (Reverse transcription) कहते हैं।
Viroid RNA_Infection , DNA→ Viroid RNA
Reverse transcription
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