BSc 1st Year Botany Sub Division Deuteromycotina Notes

BSc 1st Year Botany Sub Division Deuteromycotina Notes

 

BSc 1st Year Botany Sub Division Deuteromycotina Notes :- This post will provide immense help to all the students of BSc Botany 1st Year  All PDF Free Download All Notes Study Material Previous Question Answer . You will get full information Related to BSc Botany in over site. In this post I have given all the information related to BSc Botany Completely.

 


प्रश्न 8 – ड्यूटेरोमाइकोटिना का वर्णन कीजिए। अथवा ड्यूटेरोमाइकोटिना के प्रमुख लक्षण लिखिए।

उत्तर

सबडिवीजनड्यूटेरोमाइकोटिना

(Sub-Division : Deuteromycotina) Notes

  1. इसमें वे कवक आते हैं जिनकी पूर्ण अवस्थाओं (perfect stages) या लैंगिक अवस्थाओं का पता नहीं चल सका है। इसकी संरचना तथा अन्य जनन अवस्थाओं में ये कवक एस्कोमाइकोटिना तथा बेसीडियोमाइकोटिना के सदस्यों से मिलते-जुलते हैं।

सामान्य लक्षण (General Characters) Notes

  1. इसमें लगभग 2000 वंश तथा 15,000 जातियाँ आती हैं।

2.कवक मृतोपजीवी रूप में मृदा, सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों पर मिल सकते हैं। इनकी अनेक जातियाँ परजीवी होती हैं जिनसे अनेक पादप रोग होते हैं तथा फसलों को आर्थिक हानि होती है। प्रमुख रोग लीफ स्पॉट, ब्लाइट, ब्लॉच (blotch), विल्ट (wilt), स्केब (scab), फल तथा मल कारोट रोग आदि हैं। जानवरों तथा मनुष्य में भी ये बीमारी फैलाते हैं: जैसे रिंगवर्म, कैण्डीडाइसिस, एथलीटफुट तथा त्वचा रोग आदि।

  1. इनका कवकजाल (mycelium) सुविकसित होता है। कवक तन्तु, शाखित. पटयुक्त तथा बहकेन्द्रकी होते हैं। पट छिद्रयुक्त होते हैं जिससे कोशिकाओं का आपसी सम्बन्ध बना रहता है।

    Sub Division Deuteromycotina Notes
    Sub Division Deuteromycotina Notes
  2. अलैंगिक जननयह कोनीडिया द्वारा होता है। ये अचल होते हैं तथा कोनीडियोफोर पर विकसित होते हैं। कोनिडियोफोर मिलकर अलैंकिक फलनकाय (fructifications) बनाते हैं।

(i) मुक्त कोनीडियोफोर (Free conidiophore)-ये कवकजाल के किसी भी कवक तन्तु से विकसित होते हैं तथा अनियमित रूप से कवकजाल से निकल सकते हैं। कोनोडियोफोर शाखित या अशाखित, लम्बे या छोटे, पटहीन या पटयुक्त, कवकतन्तु जैसे या भिन्न हो सकते हैं। कभी-कभी कोनीडियोफोर के अग्रभाग पर वेसीकिल (vesicle) बन जाती है, जिस पर स्टेरिगमेटा (sterigmata) लगे होते हैं। इससे कोनीडिया विकसित होते हैं।

(ii) सिन्नेमेटा (Synemeta)—शाखित या अशाखित कोनीडियाफोर एक-दूसरे के समीप विकसित होते हैं। ये लम्बाई के अधिकतर भाग में एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं तथा इनके जुड़ने से फेसीकिल (fascicle) के समान अलैंगिक फलन (fruiting body) सिन्नेमा बनता है। कोनोडियोफोर सिन्नेमा के ऊपरी भाग की तरफ पृथक् होते हैं तथा इनके सिर कोनीडिया बनते हैं।

(iii) पिक्नीडियम (Pycnidium)- यह संरचना गोलाकार तथा फ्लास्क जैसी आकृति की होती है। इसकी स्यूडोपैरेन्काइमा की भित्तियों पर कोनीडियोफोर विन्यसित होते है। पिक्नीडियम के सिरे पर एक गोल छिद्र (ostiole) होता है। इसके अन्दर बनने वाले कोनीडिया पिक्नियोस्पोर या पिक्निीडियोस्पोर कहलाते हैं।

(iv) स्पोरोडोकियम (Sporodochium)-कोनीडियोफोर एक-दूसरे से मिलकर एक जटिल संरचना बनाते हैं जो अर्धवृत्ताकार (hemispherical) अलैंगिक फलन होता है। स्पोरोडोकियम का निचला भाग एक गद्दी जैसी (cushion like) संरचना बनाता है। यह कवक जन्तुओं द्वारा बने स्ट्रोमा (stromatic hyphae) की होती है। इस स्ट्रोमा की सतह से कोनिडियोफोर बनते हैं जो स्पोरोडोकियम का ऊपरी भाग बनाते हैं।

(v) एसरवुलस (Acervulus)-इस प्रकार के अलैंगिक फलनकाय में परपोषी पौधों की बाह्यत्वचा या क्यूटिकिल के नीचे कवक तन्तुओं की चटाई जैसी संरचना में अनेक संघनित छोटे कोनीडियोफोर (conidiophore) उत्पन्न होते हैं। परिपक्व अवस्था में यह संरचना सॉसर की आकृति (saucer shaped) के समान हो जाती है तथा कोनीडियोफोर से बनी एक समतल रचना दिखाई देती है। कोनीडियोफोर के सिरों पर कोनीडिया विकसित होते हैं। एसरवुलस प्रायः परजीवी कवक बनाते हैं।

 


Follow me at social plate Form

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top