BSc 1st Year Botany Loose Smut Of Wheat Notes

BSc 1st Year Botany Loose Smut Of Wheat Notes

 

BSc 1st Year Botany Loose Smut Of Wheat Notes :- This post will provide immense help to all the students of BSc Botany 1st Year  All PDF Free Download All Notes Study Material Previous Question Answer . You will get full information Related to BSc Botany in over site. In this post I have given all the information related to BSc Botany Completely.

 


प्रश्न 2 – गेहूँ के लूज स्मट का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर

गेहूँ का लूज स्मट अथवा कंडुवा 

(Loose Smut of Wheat) Notes

विश्वभर में पाया जाने वाला यह रोम भारत के पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्रों में गेहूं की फसल के ऊपर द्रष्टव्य होता है। इस रोग से कभी-कभी फसल को भारी नुकसान भी हो जाता है और लगभग 30% तक गेहूँ की फसल नष्ट हो सकती है। ___

  1. रोग के लक्षण (Symptoms of Disease)-बहुधा गेहूँ के पूरे पुष्पक्रम (inflorescence) के सभी स्पाइकलेट्स प्रभावित होते हैं और अन्ततः काले पाउडर के ढेर में। बदल जाते हैं। इस काले भाग में स्पोर्स भरे रहते हैं। बाहर आने से पहले प्रत्येक स्मट सेप्रभावित स्पाइकलेट के बाहर एक पतली चाँदी की तरह की झिल्ली होती है, जो कि शीघ्र ही फट जाती है। झिल्ली के फटते ही स्पोर्स के ढेर हवा के माध्यम से काफी दूर-दूर तक फैल जाते हैं। इस प्रकार से अन्त में पुष्पक्रम का अक्ष (peduncle) ही शेष रह जाता है।
  2. बीमारी पैदा करने वाला जीव (Causal Organism)-गेहूँ का लूज स्मट रोग Ustilago nuda नामक कवक से फैलता है जो कि Class-Basidiomycetesh Order- Ustilaginales एवं Family-Ustilaginaceae का सदस्य है।

इस कवक के बीजाणु पीले, हल्के भूरे, गोल या अण्डाकार होते हैं जो कि लग 5-9u डायमीटर के होते हैं एवं कटी-फटी भित्ति से घिरे रहते हैं। जल में ये स्पोर्स शीघ्रतात से अंकुरित होते है। अंकुरण के पश्चात् प्रत्येक स्पोर 1-4 कोशिकाओं वाला प्रोमाइसाल (Promycelium) अथवा जर्म नली (germ tube) बनाता है। स्टिग्मा के माध्यम से यह जर्म नली अण्डाशय (ovary) में घुस जाता है एवं embryo में अपने आपको स्थापित कर लेता हैं. जहाँ वह बीज के उगने तक सुषुप्तावस्था में पड़ी रहती है। इसकी उपस्थिति का केवल तभी पता लगता है, जबकि पौधा पूर्ण विकसित हो जाता है और स्मट से प्रभावित भाग बाहर आता है।

  1. रोकथाम (Control)-बीज के अन्दर उपस्थित बीमारी की अवस्थाओं को ‘गर्म पानी उपचार’ (hot water treatment) से दूर किया जा सकता है। बीजों को 3-4 घण्टों के लिए ठण्डे पानी में भिगोया जाता है और फिर इन बीजों को 10 मिनट तक 129-132°F तक गर्म पानी में रखा जाता है।

बीजों को पहले लगभग 6 घण्टों तक पानी में भिगोकर एवं फिर 40-50 घण्टों तक 2% स्पर्गोन (spergon) अथवा 50-72°F पर chlorose में रखने से भी लूज स्मट को रोका जा सकता है।

BSc 1st Year Botany Loose Smut Of Wheat Notes
BSc 1st Year Botany Loose Smut Of Wheat Notes

रोग-प्रतिरोधी किस्मों के प्रयोग से भी इस रोग को रोका जा सकता है।

अगले मौसम में बोए जाने वाले बीजों को बीमारी रहित स्थानों से ही लेना चाहिए। – कवकनाशी पदार्थों (fungicides) जैसे वीटावैक्स (vitavax) के प्रयोग से भी कुछ सीमा तक इस रोग की रोकथाम की जा सकती है। .

 


Follow me at social plate Form

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top