BSc 1st Year Botany Gametophyte Question Answer Notes
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प्रश्न 15 – टेरीडियम में युग्मकोद्भिद् की संरचना, जनन क्रिया तथा जीवन–चक्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर –
टेरीडियम (Pteridium)
युग्मकोद्भिद् (Gametophyte) Notes
नम, ठण्डे व छायादार. स्थान पर बीजाणु अंकुरित होकर प्रोथैलस बनाते हैं। यह छोटा (0 – 5-2 0 सेमी) कोमल व पारदर्शी होता है। यह हृदयाकार (heart shaped) व डोर्सीवेन्ट्रल (dorsiventral) होता है। इसके आगे के भाग में अग्रस्थ खाँच (apical notch) होती है जिसमें वृद्धि बिन्दु (growing point) होता है। प्रोथैलस के नीचे के भाग से अनेक मूलाभास (rhizoids) निकलते हैं। प्रोथैलस की कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट मिलते हैं। जिससे यह स्वपोषी होता है। प्रोथैलस में दोनों प्रकार के जनन अंग मिलते हैं।

पुंधानी एन्थ्रीडियम (Antheridium) Notes
ये नर जननांग हैं जो निचली सतह पर मूलाभास के साथ मिलते हैं। पुंधानी छोटी, कोमल . वृन्तहीन (stalkless) जैकिट द्वारा घिरी संरचना है। इसमें चार कोशिकाओं के आधार पर कप

कोशिका (cup cell) मध्य में 2 रिंग कोशिकाएँ (ring cells) तथा सिरे पर cap cell होती हैं। पुंधानी में 30-50 तक सर्पिल रूप से कुण्डलित बहकशाभिक .. पुंमणु (spirally coiled, multiciliate antherozoids) बनते हैं। परिपक्व पुंधानी की भित्ति जल की उपस्थिति में फट जाती है पुंमणु बाहर आ जाते ह।।
स्त्राधानी (Archegonium)-ये निचली सतह पर कुशन क्षेत्र (cushion region) बनते हैं। यह फ्लास्क के समान होती है। इसमें वेन्टर (venter) व नैक (neck) मिलती है। वेन्टर में एक अण्ड (egg) तथा एक छोटी वेन्टर नलिका कोशिका (venter canal cell) मिलती है। ग्रीवा में द्विकेन्द्रीय ग्रीवा नलिका कोशिका (binucleate, neck canal cell) मिलती है।

निषेचन (Fertilization)-जल निषेचन हेतु आवश्यक होता है। परिपक्व स्त्रीधानी में नहीं Ventral canal cell तथा Neck canal cell विघटित होकर म्यसीलेज बनाती हैं, जो ग्रीवा से बाहर आ जाता है। यह पुंमणु को आकर्षित करता है तथा पुंमणु ग्रीवा में प्रवेश करते हैं, परन्तु केवल एक पुंमणु अण्ड (egg) को निषेचित करता है जिससे द्विगुणित जाइगोट बनता है।
स्पोरोफाइट (Sporophyte)-स्त्रीधानी में ही तरुण जाइगोट का विकास होता है। शीघ्र ही इसके के अंकुरण से जड़ तना व पत्ती का निर्माण होता है। भ्रूणीय मूल शीघ्र ही अपस्थानिक मूल से प्रतिस्थापित हो जाती है। प्रारम्भ में स्पोरोफाइट प्रोथैलस पर निर्भर होता है। परन्तु शीघ्र ही यह जड़, पत्ती में विकसित होकर आत्मनिर्भर हो जाता है तथा प्रोथैलस सूख जाता है।
जीवन–चक्र (Life cycle)-टेरीडियम एक बीजाणुउदभिद (2n) है। इसके पत्रक पर सोराई मिलते हैं, जिसमें बीजाणुधानी बनती है। बीजाणुधानी में बीजाणु मातृ कोशिका ( 2n बनती है, जिसमें अद्धसूत्री विभाजन होता है जिसके फलस्वरूप अगणित बीजाणु बनते हैं।जो अंकुरित होकर प्रोथैलस अथवा युग्मकोद्भिद् (n) बनाते हैं। इस युग्मकोद्भिद् में एन्थ्रोडियम व आर्किगोनियम बनते है जिसमें क्रमशः पुंमणु व अण्ड का निर्माण होता है जिनके निषेचन से युग्मज (2n बनता है जो अंकुरित होकर बीजाणुउद्भिद् बनाता है। इस प्रकार इसमें स्पष्ट पीढी एकान्तरण मिलता है। (चित्र के लिए खण्ड ‘अ’ का प्रश्न 19 देखें।)
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