BSc 1st Year Botany Asexual Reproduction In Albugo Notes
BSc 1st Year Botany Asexual Reproduction In Albugo Notes :- This post will provide immense help to all the students of BSc Botany 1st Year All PDF Free Download All Notes Study Material Previous Question Answer . You will get full information Related to BSc Botany in over site. In this post I have given all the information related to BSc Botany Completely.
प्रश्न 3 – एल्ब्यूगो में अलैंगिक जनन का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर – कवकजाल परपोषी की बाह्य त्वचा के नीचे एकत्रित होता है, कवक की इस मोटी तह से कुछ विशेष प्रकार की मोटी भित्तियों वाले मुग्दराकार तथा छोटे कवक सूत्र निकलते हैं। इन्हें बीजाणुधानीधर (sporangiophore) कहते हैं (चित्र A)। बीजाणुधानीधर में जीवद्रव्य तथा लगभग 12 केन्द्रक मिलते हैं। इसका ऊपरी भाग पतला तथा निचला भाग मोटी भित्तियुक्त होता है। बीजाणुधानीधर के ऊपरी सिरे पर उपसंकोचन (constriction) होता है और एक बीजाणुधानी बनती है। इस बीजाणुधानी (sporangium) में 5-8 केन्द्रक होते हैं। इसी प्रकार बीजाणुधानी की श्रृंखला बनती है। प्रत्येक बीजाणुधानी के बीच एक जिलेटनी गद्दी (gelatinous pad) बनती है (चित्र B)। बीजाणुधानी चिकनी, गोलाकार तथा 12 -18॥ व्यास की होती है। बीजाणुधानियों के कारण पत्ती की सतह पर दबाव पड़ता है और वह फट जाती है। पत्ती की निचली सतह पर सफेद चूर्ण–सा दिखाई देने लगता है इसी कारण इसे श्वेत किट्ट रोग कहते हैं। बीजाणुधानी बनने के बाद उनके अन्दर का जीवद्रव्य
विभाजित होता है तथा बीजाणुधानी में वृक्काकार (reniform), द्विकशाभिकायुक्त (biflagellate), एककेन्द्रकी (uninucleate) चलबीजाणु (zoospore) बनते हैं। ये चलबीजाणु बीजाणुधानी की भित्ति के टूटने पर बाहर पानी में आ जाते हैं। इनके फ्लैजेला समाप्त हो जाते हैं। ये परकोष्ठित (encysted) हो जाते हैं (चित्र C)। फिर उचित परपोषी के मिलने पर उस पर जनन नलिका (germ tube) बनाकर अंकुरित होते हैं। यह नलिका रन्ध्र दारा पत्ती के अन्दर प्रवेश करती है तथा नया कवकजाल बनाती है। जब बीजाणधानी सीधे ही जनन नलिका बनाकर अंकुरित होती हैं तब इन्हें कोनिडिया (conidia) कहते हैं।
|
||||||