Asexual Reproduction In Euglena BSc Question Answer
Asexual Reproduction In Euglena BSc Question Answer :- Hello students in this post we have share you asexual reproduction this is the topic of your syllabus of zoology in bsc first year. if you like this post you can share with your friends.
प्रश्न 4 – यूग्लीना में अलैंगिक जनन समझाइए।
Describe asexual reproduction in Euglena.
उत्तर –
यूग्लीना में अलैंगिक जनन
(Asexual reproduction in Euglena)
यूग्लीना में लैंगिक जनन अनुपस्थित है। यह द्विखण्डन (binary fission) तथा बहु:खण्डन (multiple fission) द्वारा अलैंगिक जनन करता है।
- द्विखण्डन (Binary fission)-अनुकूल दशाओं के अन्तर्गत यूग्लीना सरला अनुदैर्घ्य द्विखण्डन द्वारा विभाजित होता है। इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम इसका केन्द्रक समसूत्री विभाजन (mitosis) के द्वारा दो भागों में विभक्त हो जाता है। तत्पश्चात कोशिकाद्रव्य में विभाजन होने से यूग्लीना का विभाजन हो जाता है। केन्द्रकीय विभाजन के दौरान केन्द्रक कला का अन्त तक विद्यमान रहना एक असाधारण घटना है।
प्रोफेज अवस्था में केन्द्रक के अन्दर उपस्थित समस्त केन्द्रिकाएँ परस्पर जुड़कर एका केन्द्रकीय पिण्ड का निर्माण करती हैं तथा प्रत्येक गुणसूत्र दो सन्तति गुणसूत्रों या अर्ध-गुणसूत्रों (chromatids) में विभक्त हो जाता है। मेटाफेज में युग्मित .अर्ध-गुणसूत्र एक अनुदैर्घ्य तल पर व्यवस्थित हो जाते हैं। सूक्ष्म नलिकाएँ (microtubules) केन्द्रक के अन्दर उपस्थित रहती हैं, परन्तु तर्कु (spindle) का निर्माण नहीं करती हैं। एनाफेज अवस्था में अर्ध-गुणसूत्र विसंयोजित (segregated) होकर अपने-अपने ध्रुवों की ओर गति करने लगते हैं। केन्द्रक में अनुदैर्घ्य संकीर्णन होता है जो टीलोफेज में पूर्ण हो जाता है जो टीलोफेज में पूर्ण हो जाता है तथा दो सन्तति केन्द्रक बन जाते हैं। इसके पश्चात कोशिकाद्रव्य विभाजन होता है। कोशिकाद्रव्य में एक खाँच अगले सिरे के मध्य से आरम्भ होकर धीरे-धीरे गहरी होती जाती है और अन्त में यूग्लीना हो सन्तति यूग्लीनाओं में विभक्त हो जाता है।
अगले सिरे के कोशिकांग जैसे आशय, कोशिका ग्रसनी, कोशिकाद्रव्य, कशाभ, संकुचनशील रिक्तिका इत्यादि का एक नया समुच्चय (set) बन जाता है तथा ये दोहरे हो जाते हैं।
- बहुखण्डन (Multiple fission)– यूग्लीना प्रतिकूल अवस्थाओं में निष्क्रिय हो जाता है। ऐसे समय में यह पुटीभूत (encysted) होकर बहुखण्डन करता है। यह गतिविहीन हो जाता है, कशाभ गिर जाते हैं तथा यह गोलाकार होकर अत्यन्त श्लेष्मिक आवरण में बन्द हो जाता है जिसे पुटी कहते हैं। पुटीभवन के पश्चात इसके अन्दर कई बार अनुदैर्घ्य द्विखण्डन होता है जिसके फलस्वरूप 16 से 32 सन्तति प्राणियों का निर्माण होता है। तत्पश्चात इन सन्तति प्राणियों में कशाभ बन जाते हैं और ये वयस्क यूग्लीना बनने के लिए बाहर आ जाते हैं।
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