Bsc 2nd Year Botany VI Plant Physiology And Biochemisty Part B Notes

Bsc 2nd Year Botany VI Plant Physiology And Biochemisty Part B Notes :-

खण्ड ‘स’

प्रश्न 1 – प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कार्बन पथ अथवा अप्रकाशिक क्रियाओं अथवा ब्लैकमैन क्रियाओं का वर्णन कीजिए। अथवा कैल्विन चक्र का वर्णन कीजिए। 

उत्तर – प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में अप्रकाशिक क्रियाओं अथवा ब्लैकमैन क्रियाओं की प्रकृति एन्जाइमीकरण की होती है। ग्रैना के बजाए ये क्रियाएँ क्लोरोप्लास्ट के स्ट्रोमा पर होती हैं। इन प्रक्रियाओं में NADPH, तथा ATP की सहायता से CO, कार्बोहाइड्रेट्स में बदल जाती है। इन प्रक्रियाओं की खोज के लिए मेल्विन कैल्विन नामक वैज्ञानिक को सन् 1961 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसलिए इन क्रियाओं को कैल्विन चक्र के नाम से भी जाना जाता है। कैल्विन चक्र की क्रियाएँ चित्र में दिखायी गई हैं।

अप्रकाशिक प्रतिक्रिया अथवा 

रासायनिक प्रकाशहीन प्रतिक्रिया अथवा ब्लैकमैन प्रतिक्रिया 

(Dark Reaction or Chemical Dark Reaction or Blackman’s Reaction)

इस प्रक्रिया के लिए प्रकाश आवश्यक नहीं है। यह क्रिया दिन और रात कभी भा हा सकती है। यह क्रिया हरितलवक (chloroplast) के स्ट्रोमाः (stroma) अथवा पीठिका होती है। इस क्रिया में CO, का अपचयन होकर शर्करा, मण्ड (starch) आदि बनते हैं। CO2 का अपचयन मुख्य रूप से दो मार्गों से हो सकता है ।

(1) कैल्विन-बेन्सन चक्र (Calvin-Benson Cycle) अथवा (2) हैच-स्लैक चक्र (Hatch-Slack Cycle)

कैल्विन चक्र अथवा कैल्विन-बेन्सन चक्र

(Calvin Cycle or Calvin-Benson Cycle) 

इसको Cs-चक्र भी कहते हैं। यह चक्र तीन भागों में पूरा होता है (चित्र देखिए)

ये भी क्लोरोफिल की तरह चार पायरोल वलय (tetrapyrole ring) के बने होते हैं, परन्तु इनमें Mg तथा फाइटोल की श्रृंखला नहीं पायी जाती है।

आक्सीजीनिक प्रकाश संश्लेषण (Oxygenic photosynthesis)-सामान्यतः सभी हरे पादपों में मिलती है। इस क्रिया में Co. लेकर 0, मुक्त की जाती है। यह क्रिया कुछ जीवाणु, नील-हरित शैवाल में भी पायी जाती है।

अनाक्सीजीनिक प्रकाश संश्लेषण (Anoxygenic photosynthesis)-यह क्रिया सामान्यत: सल्फर जीवाणओं में मिलती है। यहाँ प्रकाश संश्लेषण से 0,2 मुक्त नहीं होती है।

प्रश्न 3 – श्वसन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं? विस्तार से लिखिए। 

उत्तर – श्वसन को प्रभावित करने वाले कारक

(Factors Affecting Respiration) – 

श्वसन को दो प्रकार के कारक प्रभावित करते हैंI. 

  1. अन्तः कारक (Internal Factors)
  2. श्वसन पदार्थ की सान्द्रता (Concentration of Respiratory Substrate)- यदि सभी कारक पूरी मात्रा में हों तथा श्वसन पदार्थ की मात्रा अधिक हो तो श्वसन की दर में वृद्धि होती है। श्वसन पदार्थ ऑक्सीकृत होकर पौधे की वृद्धि और विकास के लिए ऊर्जा का निर्माण करते हैं।
  3. जीवद्रव्य (Protoplasm) – श्वसन की दर जीवद्रव्य की मात्रा, सान्द्रता तथा परिस्थिति पर निर्भर करती है। विभाजित होने वाली कोशिकाओं में जीवद्रव्य अधिक मात्रा में होता है तथा श्वसन दर भी अधिक होती है। वृद्ध कोशिकाओं में श्वसन दर कम होती जाती है। यह क्रिया कोशिकाद्रव्य में पाए जाने वाले विकरों (enzymes) पर भी निर्भर करती है। 
  4. बाह्य कारक (External Factors)
  5. तापमान (Temperature) सामान्यतः श्वसन 5°C से 25°C तक होता है। यदि तापमान वृद्धि करके 35°C तक कर दिया जाए तो श्वसन दर बढ़ जाती है। इससे अधिक तापमान के बढ़ने पर यह घटने लगती है। इसी प्रकार बहुत कम तापमान पर भी श्वसन दर कम हो जाती है। अधिक तापमान पर अधिकतर विकर विघटित हो जाते हैं। कुछ जीवाणु तथा शैवाल 60°C तक श्वसन कर सकते हैं। दूसरी ओर कुछ जीवाणु -10°C पर भी श्वसन कर सकते हैं।

2.प्रकाश (Light)-प्रकाश का श्वसन पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। मुख्यत: प्रकाश में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है। इससे श्वसन पदार्थ बनता है। ये श्वसन पदार्थ ही श्वसन की क्रिया के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। अच्छी तरह प्रकाश संश्लेषण होने से श्वसन पदार्थ अधिक मात्रा में बने तो श्वसन की दर भी अधिक होगी।

3. ऑक्सीजन (Oxygen)-ऑक्सी श्वसन (aerobic respiration) ऑक्सीजन की उपस्थिति में ही होता है। अनॉक्सी श्वसन में श्वसन पदार्थ अधिक उपयोग में आता है. परन्तु ऊर्जा कम निकलती है। श्वसन पदार्थ के कम खर्च करने की क्रिया को पाश्चर प्रभाव

(pasteur effect) कहते हैं। ऑक्सीजन की अधिक सान्द्रता से श्वसन की दर घटती है क्योंकि अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की उपस्थिति श्वसन में आवश्यक विकरों का संदमन (inhibition) करती है।

  1. कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide)-वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की सान्द्रता बढ़ने से श्वसन की दर में कमी आती है। यदि मृदा में CO2 की सान्द्रता बढ़ जाए तो जड़ें श्वसन क्रिया नहीं कर पाती हैं। CO, की सान्द्रता रन्ध्रों (stomata) को बन्द कर देती है जिससे गैसों का विनिमय (gaseous exchange) नहीं हो पाता है। CO2 की अत्यधिक मात्रा होने से श्वसन की क्रिया रुक जाती है। इसका लाभ केवल फलों को सुरक्षित रखने में होता है। यदि फलों को अधिक CO, में रखा जाए तो श्वसन की क्रिया बहुत कम हो जाती है जिससे श्वसन पदार्थ सुरक्षित रहता है और फल ताजा बने रहते हैं।
  2. जल (Water)-जल की कमी से श्वसन की दर कम हो जाती है क्योंकि विकर जल पाकर ही क्रियाशील होते हैं। इसलिए सूखे मेवे तथा बीज अधिक समय तक सुरक्षित रहते हैं।
  3. निरोधक अथवा संदमक (Inhibitors)-कुछ पदार्थ श्वसन की क्रिया को निरुद्ध करते हैं जैसे-सायनाइड (Cyanide), कार्बन मोनोक्साइड (Carbon monoxide), आयोडोऐसीटेट (Iodoacetate) तथा मैलोनेट (Malonate) आदि जिनकी उपस्थिति में श्वसन दर न्यूनतम हो जाती है।
  4. अकार्बनिक लवण (Inorganic Salts)-यदि पौधों को अधिक लवणीय जल में रखा जाए तो श्वसन दर में वृद्धि होती है। इस क्रिया को लवणीय श्वसन (salt respiration) कहते हैं।

प्रश्न 4 – टिप्पणी लिखिए(क) प्रकाश संश्लेषण में प्रकाश व अन्धकार की आवश्यकता के प्रमाण (ख) RuBP कार्बोक्सीलेज। 

उत्तर – (क) प्रकाश संश्लेषण में प्रकाश व अन्धकार की आवश्यकता के प्रमाण 

(Evidences of Necessity of Light and Dark Period in Photosynthesis) 

  1. विराम प्रकाश पर किए गए प्रयोग (Experiments with Intermittent Light)-यदि पौधों को निरन्तर प्रकाश न देकर रुक-रुक कर प्रकाश (प्रकाश के मध्य थोड़ी देर के लिए अँधेरा) दिया जाए तो प्रकाश संश्लेषण की दर में वृद्धि होती है। इससे यह पता चलता है कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में प्रकाश व अन्धकार दोनों आवश्यक हैं। लगातार अथवा निरन्तर प्रकाश में ATP व NADPH, बनता रहता है, परन्तु उपयोग में नहीं आता है। परन्तु यदि क्षणभर को भी अन्धकार मिल जाए तो यह उपयोग में आ जाए अन्यथा यह CO., को स्थिर कर कार्बोहाइड्रेट बन सकता है। 

2. तापमान गुणांक (Temperature Coefficient or Q10)-किसी क्रिया की बढ़ी हुई वह दर जो उसका तापमान 10°C बढ़ाने पर बढ़ती है, तापमान गुणांक अथवा Q10 कहलाती है। शुद्ध रासायनिक क्रिया में इसका मान 2 होता है।

0.03% से अधिक मात्रा सीमाकारी होती है। अधिक सान्द्रता में पौधों की उपापचयी क्रियाओं पर प्रभाव पड़ता है। रन्ध्र बन्द हो जाते हैं।

  1. तापक्रम (Temperature)-सामान्यतः प्रकाश संश्लेषण की गति 40°C तापमान तक बढ़ती है, उसके पश्चात् घटने लगती है। अधिक तापमान पर बहुत-से प्रोटीन, विकर आदि का विकृतिकरण (denaturation) हो जाता है। प्रकाश संश्लेषण के लिए अनुकूलतम (optimum) तापमान अलग-अलग पौधों के लिए अलग-अलग होता है जैसे बहुत-से पौधों में 0°C पर प्रकाश संश्लेषण रुक जाता है। कुछ कोनीफर (Conifers) में –35°C पर भी प्रकाश संश्लेषण चलता रहता है। कुछ नील-हरित शैवालों तथा जीवाणुओं में प्रकाश संश्लेषण 70°C तक ताप में भी हो सकता है।
  2. ऑक्सीजन (Oxygen)-0, की अधिकता में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है क्योंकि यह श्वसन की गति को तीव्र करती है। यह क्लोरोफिल की उत्तेजित अवस्था को नष्ट करती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण नहीं हो पाता है।
  3. जल (Water)-प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में अवशोषित जल का केवल 1% काम आता है। जल की कमी से रन्ध्र बन्द हो जाते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड का पत्ती में कम विसरण होता है। अत: प्रकाश संश्लेषण में कमी आ जाती है। जल की कमी से जलयोजन • (hydration) कम होने लगता है जिससे म्लानि (wilting) की अवस्था आ जाती है। सभी _ जैव क्रियाओं पर प्रभाव पड़ता है।
  4. क्लोरोफिल (Chlorophyll)—यह एक आवश्यक अन्त:कारक (internal factor) है। इमर्सन (Emerson) ने सन् 1929 में क्लोरोफिल तथा प्रकाश संश्लेषण की दर में सीधा सम्बन्ध बताया। रंगीन पत्तियों (variegated leaves) जैसे क्रोटोन (Croton) आदि में जिन स्थानों पर क्लोरोफिल नहीं होता है, वहाँ मण्ड नहीं पाया जाता है। विल्स्टैटर और स्टॉल (Willstater and Stoll). ने सन् 1918 में स्वांगीकरण संख्या (Assimilatory number Photosynthetic number) अथवा प्रकाश संश्लेषी संख्या के बारे में बताया कि यह CO, की ग्राम में व्यक्त की गई वह संख्या है जो 1 ग्राम क्लोरोफिल एक घण्टे में अवशोषित करती है।
  5. जीवद्रव्य कारक (Protoplasmic Factors)-जीवद्रव्य कारक प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशिक क्रिया (dark reaction) को प्रभावित करते हैं। ये अज्ञात हैं, परन्तु 30°C से ऊपर तापमान पर प्रकाश संश्लेषण की दर का गिरना, प्रकाश की अधिक तीव्रता से विकरों (enzymes) का विकृतिकरण होना इसके उदाहरण हैं।
  6. प्रकाश संश्लेषी उत्पाद (Photosynthetic Products)-प्रकाश संश्लेषण द्वारा बने उत्पादों (कार्बोहाइड्रेट आदि) का स्थानान्तरण साथ-साथ न होने पर इसका प्रभाव प्रकाश संश्लेषण की दर पर पड़ता है। शर्करा, मण्ड में बदलकर क्लोरोप्लास्ट में एकत्र हो जाती है जो क्लोरोफिल की क्रियाशीलता को कम करती है।

9. पत्ती की आन्तरिक संरचना (Internal Structure of Leaf) रन्ध्र की संख्या, आमाप, स्थान, व्यवहार आदि CO2 विसरण को प्रभावित करते हैं। इसी प्रकार उपत्वचा (cuticle), बाह्यत्वचा (epidermis), क्लोरोप्लास्ट की संख्या तथा स्थान (number and position of chloroplast) आदि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करते हैं।

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