Transistor Biasing Mention Merits Demerits
Transistor Biasing Mention Merits Demerits:-Input and output impedance, transistor as an oscillator, general discussion, and theory of Hartley oscillator only. Elements of transmission and reception, basic principles of amplitude modulation and demodulation. Principle and design of linear multimeters and their application, cathode ray oscilloscope, and its simple applications.
प्रश्न 24. ट्रांजिस्टर बायसिंग की विभिन्न विधियों को लिखिए तथा उनके गुणों व . दोषों का उल्लेख कीजिए।
Write the different methods of transistor biasing and mention their merits and demerits.
उत्तर : ट्रांजिस्टर बायसिंग की विधियाँ (Methods of Transistor Biasing) टांजिस्टर बायसिंग की तीन सामान्य विधियाँ हैं जिनमें केवल एक दिष्ट धारा सप्लाई स्रोत प्रयक्त होता है। ये है:-
(i) निश्चित बायस अथवा आधार-बायस,
(ii) संग्राहक-आधार बायस अथवा फीडबैक प्रतिरोधक बायसिंग तथा
(iii) वोल्टेज-विभाजक बायस व उत्सर्जक बायस।
निश्चित बायस अथवा आधार-बायस (Fixed Bias or Base-Bias) – आभार-बायस परिपथ चित्र-64 में दर्शाया गया है। इस परिपथ में, n-p-p ट्रांजिस्टर के आधार तथा दिष्ट धारा सप्लाई स्रोत VCC के धन सिरे के बीच एक उच्च प्रतिरोध RB जोड़ा गया है चकिn-p-n ट्रांजिस्टर का आधार-उत्सर्जक के सापेक्ष धनात्मक है, अत: आधार-उत्सर्जक सन्धि अग्र-अभिनत है।
परिपथ के लिए; किरचॉफ का वोल्टेज नियम लगाने पर,
चूँकि VCC एक निश्चित ज्ञात राशि है तथा iB (शून्य-सिगनल आधार धारा) का एक उपयुक्त मान चुना गया है, अत: RB का मान निश्चित है। इसलिए इसे ‘निश्चित बायस’ (fixed bias) कहा जाता है।
स्थायित्व गुणक (Stability Factor), परिपथ में संग्राहक धारा के लिए निम्न व्यंजक है—
B= 50 के लिए S = 51। इसका अर्थ है कि संग्राहक धारा iC, क्षरण धारा iCBO की तुलना में 51 गुनी तेजी से बढ़ती है।
लाभ (Advantages)-(i) बायसिंग परिपथ बहुत सरल है जिसमें केवल एक प्रतिरोध RB है।
(ii) RB का सही मान ज्ञात करके, कार्यकारी बिन्दु (operating point) को सुगमता से निर्धारित कर सकते हैं।
हानियाँ (Disadvantages)-(i) स्थायित्व निम्न कोटि का है। यदि ताप बढ़ता है, अथवा B बढ़ता है (ट्रांजिस्टर बदल देने से) तो संग्राहक धारा बढ़ेगी तथा कार्यकारी बिन्दु विस्थापित हो जाएगा।
(ii) स्थायित्व गुणक S इतना ऊँचा है कि परिपथ में ऊष्मीय लोप होने की पूरी सम्भावना है। इन हानियों के कारण आधार-बायस विधि प्रायः प्रयोग में नहीं लायी जाती।