Why Collector Current Bias Remains Nearly Constant
Why Collector Current Bias Remains Nearly Constant:- Transistor biasing circuits base bias, emitter bias, and voltage divider .bias, D.C. load line. Basic A.C. equivalent circuits, low-frequency model, small-signal amplifiers, common emitter amplifier, common collector amplifiers, and common base amplifiers, current and voltage gain, R.C. coupled amplifier, gain, frequency response, the equivalent circuit at low medium and high frequencies, feedback principles.
प्रश्न 19. उभयनिष्ठ आधार विन्यास में संयोजित n-pn सन्धि ट्रांजिस्टर के अभिलाक्षणिक वक्र प्राप्त करने की विधि का चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए। संग्राहक धारा बायस, संग्राहक-आधार बायस के सापेक्ष लगभग स्थिर क्यों होती है ?
With the help of a diagram, describe the method of obtaining characteristics of an n-p-n junction transistor in the common base configuration. Why collector current bias remains nearly constant with respect to collector-base bias?
उत्तर :- n-p-n ट्रांजिस्टर के उभयनिष्ठ आधार दिष्ट धारा (स्थतिक) अभिलाक्षणिक वक्र (Common base d.c. Characteristic Curves of a n.pn Transistor)-ट्रांजिस्टर परिपथ में वोल्टता के साथ धारा के परिवर्तन को निरूपित करन वाले वक्र ट्रांजिस्टर के अभिलाक्षणिक- वक्र कहलाते हैं। उभयनिष्ठ आधार विन्यास में, टाजिस्टर क आभलाक्षाणक वक्र अग्रलिखित दो प्रकार के होते है
निवेशी अभिलाक्षणिक वक्र—एक नियत संग्राहक-आधार वोल्टेज VCB पर, उत्सर्जक-आधार वोल्टेज VEB तथा उत्सर्जक धारा के बीच ग्राफ ट्रांजिस्टर का निवेशी अभिलाक्षणिक वक्र कहलाता है।
उभयनिष्ठ आधार विन्यास में n-p-n टांजिस्टर के अभिलाक्षणिक वक्र प्राप्त करने के लिए परिपथ चित्र-54 में दिखाया गया है। चित्रानुसार उत्सर्जक को अग्र अभिनत करने के लिए इसे एक धारा नियन्त्रक के द्वारा बैटरी VEE के धन ध्रुव से जोड़ा गया है जिसके ऋण ध्रुव को आधार से सम्बन्धित कर दिया गया है। उत्सर्जक-आधार वोल्टता VEB को एक वोल्टमीटर से, तथा उत्सर्जक धारा im को एक मिलीअमीटर (mA) से पढ़ा जाता है। संग्राहक को उत्क्रम अभिनत करने के लिए इसे एक-दूसरे धारा नियन्त्रक के द्वारा दूसरी बैटरी Vcc के ऋण ध्रुव से जोड़ा गया है जिसके धन ध्रुव को आधार से सम्बन्धित कर दिया गया है। संग्राहक-आधार वोल्टता VCB को एक दूसरे वोल्टमीटर से तथा संग्राहक धारा iC को एक दूसरे मिलीअमीटर (mA) से पढ़ा जाता है।
निवेशी (अथवा उत्सर्जक) अभिलाक्षणिक वक्र खींचने के लिए, संग्राहक-आधार वोल्टेज VCB को पहले शून्य पर रखते हैं। उत्सर्जक-आधार वोल्टेज VEB को शून्य से धीरे-धीरे आगे बढ़ाते हैं तथा उत्सर्जक धारा iE का मान पढ़ते जाते हैं। VEB तथा के मध्य ग्राफ खींचते हैं (चित्र-55)। इसी प्रकार, एक दूसरा ग्राफ VCB को 40 वोल्ट (माना) रखकर खींच लेते हैं।
इन अभिलाक्षणिक वक्रों में निम्नलिखित दो परिणाम प्राप्त होते हैं
(1) उत्सर्जक-आधार वोल्टेज VEB को धीरे-धीरे बढ़ाने पर, उत्सर्जक धारा iE तीव्रता से बढ़ती है जिससे स्पष्ट है कि उत्सर्जक पर एक लघु वोल्टेज सिगनल के लिए, ट्रांजिस्टर
(2) उत्सर्जक-धारा iE संग्राहक-आधार वोल्टता VCB पर लगभग अनिर्भर है।
निर्गत (अथवा संग्राहक) अभिलाक्षणिक वक्र खींचने के लिए, उत्सर्जक धारा iE को एक उपयुक्त नियत मान पर रखकर, संग्राहक-आधार वोल्टेज VCB को शून्य से धीरे-धीरे बढ़ाते हैं तथा संगत संग्राहक धारा iC का मान पढ़ते जाते हैं। VCB को बदलने पर, iC का मान स्थिर रखने के लिए VEB को परिवर्तित करना पड़ता है। VCB व iC के बीच ग्राफ खींच लेते हैं (चित्र-56)। इसी प्रकार, iE के विभिन्न निश्चित मानों के लिए अन्य ग्राफ खींचते हैं।
इन अभिलाक्षणिक वक्रों से निम्नलिखित तीन निष्कर्ष प्राप्त होते हैं
(1) संग्राहक-धारा iC, संग्राहक-आधार वोल्टेज VCB के साथ केवल इसके अत्यल्प मानों (<1 वोल्ट) पर ही बदलती है। इस क्षेत्र में ट्रांजिस्टर कभी कार्यरत नहीं होता।
(2) जब संग्राहक-आधार वोल्टेज VCB का मान 1-2 वोल्ट (लगभग) से अधिक हो जाता है, तब आधार-संग्राहक सन्धि में को विसरित होने वाले सभी आवेश वाहक संग्राहक द्वारा एकत्रित कर लिए जाते हैं। अत: वोल्टेज VCB को और आगे बढ़ाने पर संग्राहक धारा iC में कोई विशेष वृद्धि नहीं होती। अन्य शब्दों में, जब संग्राहक धारा iC, वोल्टेज VCB पर निर्भर नहीं करती, केवल उत्सर्जक धारा iE पर निर्भर करती है। ट्रांजिस्टर इस क्षेत्र में कार्यरत होता है। इस क्षेत्र में संग्राहक धारा, उत्सर्जक धारा से कुछ कम होती है क्योंकि कुछ आवेश वाहक पतले आधार के भीतर कोटर-इलेक्ट्रॉन पुन:संयोजनों के कारण लुप्त हो जाते हैं।
(3) संग्राहक-आधार वोल्टेज VCB में बहुत अधिक परिवर्तन करने पर, संग्राहक धारा iC में बहत थोड़ा परिवर्तन होता है। इसका यह अर्थ है कि ट्रांजिस्टर का निर्गत प्रतिरोध (VCB/iC) बहुत ऊँचा है इसी करण ट्रांजिस्टर में शक्ति व वोल्टता का प्रावधन होता है |