BSc 1st Year Botany Sporophyte Sporogonium Notes

BSc 1st Year Botany Sporophyte Sporogonium Notes

 

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प्रश्न 8 – रिक्सिया में बीजाणुउद्भिद् का वर्णन कीजिए।

उत्तर – 

बीजाणुउद्भिद् . 

(Sporophyte = Sporogonium) Notes

निषिक्ताण्ड के परिवर्द्धन से स्पोरोगोनियम का निर्माण होता है। इसके परिवर्द्धन के साथ ही साथ स्त्रीधानी की अण्डधा कोशिकाएँ (venter cells) विभाजित होकर चारों ओर कोशिकाओं की दो स्तर मोटी सुरक्षा पर्त गोपक (calyptra) बनाती हैं जो भ्रूण तथा बीजाणुउद्भिद् (स्पोरोगोनियम) को सुरक्षा प्रदान करती है। निषिक्ताण्ड एक अनुप्रस्थ विभाजन से विभाजित होकर तथा दो बार लम्बवत् विभाजित होने से 8 कोशिकाओं के भ्रूण का निर्माण करता है। फिर इसमें अनेक अनियमित विभाजन होने से 30 से 40 कोशिकाओं का समूह

BSc Sporophyte Sporogonium Notes
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(भ्रूण) बन जाता है। इस समूह में परिनत विभाजन (periclinal division) होने से बाहरी एक स्तर की एम्फीथीसियम (amphithecium) तथा भीतरी समूह एन्डोथीमित (endothecium) बन जाता है। एम्फीथीसियम स्पोरोगोनियम की बाहरी बंध्य (क) भित्ति है तथा एण्डोथीसियम की कोशिकाएँ बीजाणु मातृ कोशिकाएँ (spore mother बनाती हैं।

बीजाणु मातृ कोशिकाओं में से कुछ कोशिकाएँ विघटित होकर परिवर्द्धित हुए बीजाणओं को पोषणता प्रदान करती हैं, इन्हें सहायक कोशिकाएँ (nurse cells) कहते हैं। शेष बीजाणु मातृ कोशिकाओं में अर्द्ध-सूत्री विभाजन होने से बीजाणु चतुष्क (spore tetrad) बनते हैं। ब्रायोफाइटा पादपों के स्पोरोगोनियम के तीन भाग होते हैं—पाद (foot), सीटा (seta) व संपुटिका (capsule) परन्तु रिक्सिया के स्पोरोगोनियम में पाद व सीटा का अभाव होता है, इसमें केवल संपुटिका ही होती है। अत: यह सरल या आद्य प्रवृत्ति (simple or primitive type) है। एक परिपक्व संपुटिका में निम्नलिखित रचनाएँ होती हैं –

(1) सबसे बाहर दो पर्त का संरक्षी गोपक (calyptra) परत। –

(2) एक पर्त की बन्ध्य कोशिकाओं की भित्ति (इसका निर्माण एम्फीथीसियम से हुआ है)।

(3) बीजाणु मातृ कोशिकाएँ जो अर्द्ध-सूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होकर बीजाणुओं का निर्माण करती हैं (इनका निर्माण एन्डोथीसियम से हुआ है)।

स्पोरोगोनियम का स्फुटन (Dehiscence of Sporogonium) 

स्फुटन की कोई विशेष विधि नहीं होती है। जब थैलस सूखकर मृत व नष्ट हो जाता है तब स्पोरोगोनियम की भित्तियाँ भी नष्ट हो जाती हैं, फलस्वरूप बीजाणु स्वतन्त्र होकर वायु द्वारा दूर-दूर तक पहुँच जाते हैं।

बीजाणु संरचना एवं अंकुरण (Spore Structure and Germination) 

बीजाणु- चतुष्क से पृथक् होने के पश्चात् प्रत्येक बीजाणु गोल आकार का तथा एक बीजाणु चोल (spore coat) से ढका रहता है। यह बीजाणु चोल तीन पर्तो-बहिःचोल (exosporium), मध्यचोल (mesosporium) व अन्त:चोल (endosporium) में विभेदित होता है। बहि:चोल बाहर व क्यूटिनयुक्त होता है, मध्यचोल मोटा व क्यूटिनयुक्त तथा अन्त:चोल अन्दर, पतली भित्ति का व कोमल होता है। इसके जीवद्रव्य में एक केन्द्रक, वसा संगृहीत खाद्य पदार्थ होता है। नमी उपलब्ध होने पर अन्त:चोल बाहरी चोलों को बेधकर जनन नलिका (germ tube) के रूप में बाहर निकल आता है।

जनन नलिका के शीर्ष पर कोशिका विभाजन होने से बहुकोशिकीय रचना बन जाता है तथा इसके शीर्ष पर एक वृद्धि बिन्दु स्थापित हो जाता है। अब यह वृद्धि कर नये थैलस का निर्माण कर देता है।

BSc Sporophyte Sporogonium Notes
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